अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे नेता अब कहां हैं?इनमें भारतीय जनता पार्टी के वे चेहरे भी हैं
दिल्ली (अटल हिन्द ब्यूरो )
अयोध्या में राम मंदिर की ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ समारोह में राजनीति से लेकर सिने जगत, कारोबार से जुड़ी बड़ी-बड़ी हस्तियों को न्योता दिया गया है.
इनमें भारतीय जनता पार्टी के वे चेहरे भी हैं, जिन्होंने 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया था.
इन दोनों के अलावा उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, कल्याण सिंह और अशोक सिंघल जैसे हिंदूवादी नेताओं ने भी राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई की.
भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 में जिन मुद्दों पर सत्ता में आए, उनमें राम मंदिर निर्माण भी अहम था. अब राम मंदिर आंदोलन 22 जनवरी को अपने अंजाम तक पहुंचेगा.
कल तक बीजेपी और देश में जिन दो लोगो लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की आवाज और ललकार से भारत ही नहीं विदेशी सरकारें भी हिल जाती थी आज उनकी बेचारगी इस कदर बढ़ गई की वो अपने घर से बाहर भी बिना इजाजत के नहीं निकल सकते ,शायद इसके पीछे इस दोनों की वो अच्छाई है जो इन दोनों ने देश और पार्टी के लिए दिखाई जिसे आज उस नई भाजपा ने छीन लिया की ये दोनों नेता साँस भी पूछ कर लेने को मजबूर है शायद इसलिए पहले इन दोनों को राजनीति से फिर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया और अब तो हद हो गई जब इन दोनों की उम्र को देखते हुए इन्हे राम मंदिर में प्रवेश करने पर भी मना कर दिया ,
इस दिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचेंगे तो सभी की नज़र उनपर होगी. लेकिन वे चेहरे कहां हैं, जो इस आंदोलन के अहम किरदार थे?
लेकिन आंदोलन के अगुवा रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल न होने का अनुरोध किया गया है.
इसके पीछे उनकी सेहत और उम्र का हवाला दिया गया है.
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया से बात करते हुए ये कहा कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को न्योता तो दिया गया है, लेकिन उनके समारोह में शामिल होने की संभावना कम है.
उन्होंने कहा, “आडवाणी जी का होना अनिवार्य है लेकिन हम ये भी कहेंगे उनसे कि वह न आएं. डॉक्टर जोशी से मेरी सीधी बात हुई है. मैं यही कहता रहा कि आप मत आइए, और वह ज़िद करते रहे कि वो आएंगे. मैं बार-बार कहता रहा कि आपकी आयु अधिक है, सर्दी है और आपने घुटने भी बदलवाए हैं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा था, “पूर्व उप प्रधानमंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष एलके आडवाणी जी से मिलने उनके आवास पर गया और उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं.”
मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के बाद भारतीय जनता पार्टी के दूसरे बड़े नेता हैं जो राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिसा लेते रहे.
छह दिसंबर 1992 को घटना के समय वो विवादित परिसर के नज़दीक मौजूद थे. गुंबद गिरने पर उमा भारती उनसे गले मिली थीं. वह वाराणसी, इलाहाबाद और कानपुर से सांसद रह चुके हैं.
ये दोनों ही नेता फिलहाल बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं. लेकिन ये दोनों ही सार्वजनिक जीवन में अब ख़ास सक्रिय नहीं दिखते.
उमा भारती
तीन दशक पहले राम मंदिर आंदोलन की अगुवा में उमा भारती भी शामिल थीं. इस आंदोलन से उमा भारती को देशभर में राजनीतिक पहचान मिली.
बाबरी विध्वंस के दस दिन बाद मामले की जांच के लिए बनाए गए लिब्राहन आयोग ने उनकी भूमिका दोषपूर्ण पाई. उमा भारती पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा जिससे उन्होंने इनकार किया था.
वह केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहीं. उमा भारती 2003 से 2004 के बीच मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं.
हालांकि वह 2019 के संसदीय चुनावों से अलग रहीं. इसके बाद से पार्टी में उन्हें किनारे किए जाने की अटकलें चलती रहीं.
हाल ही में हुए मध्य प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी ने जब अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, तो उसमें उमा भारती का नाम नहीं था.
उमा भारती ने मध्य प्रदेश चुनाव से ठीक पहले अपने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा ज़ाहिर की थी.
साध्वी ऋतंभरा
साध्वी ऋतंभरा एक समय हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश के आरोप तय किए गए थे.
अयोध्या आंदोलन के दौरान उनके उग्र भाषणों के ऑडियो कैसेट पूरे देश में सुनाई दे रहे थे जिसमें वे विरोधियों को ‘बाबर की औलाद’ कहकर ललकारती थीं.
वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा का वात्सल्यग्राम नाम का आश्रम है.
साध्वी ऋतंभरा उन लोगों में से हैं जिन्हें सबसे पहले 22 जनवरी का निमंत्रण मिला.
कल्याण सिंह
छह दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे. उन पर आरोप था कि उनकी पुलिस और प्रशासन ने जान-बूझकर कारसेवकों को नहीं रोका.
बाद में कल्याण सिंह ने बीजेपी से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई लेकिन वह फिर बीजेपी में लौट आए.
कल्याण सिंह का नाम उन 13 लोगों में शामिल था जिन पर मस्जिद गिराने का साज़िश का आरोप लगा था.
अगस्त 2021 में कल्याण सिंह का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.
अशोक सिंघल
रामजन्मभूमि आंदोलन को जन्म देने वालों में अशोक सिंघल का नाम भी गिना जाता है.
मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में अशोक सिंघल की अहम भूमिका रही. कई लोगों की नज़रों में वह राम मंदिर आंदोलन के ‘चीफ़ आर्किटेक्ट’ थे.
वह 2011 तक वीएचपी के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया.
विनय कटियार और प्रवीण तोगड़िया
राम मंदिर आंदोलन के लिए 1984 में ‘बजरंग दल’ का गठन किया गया था और पहले अध्यक्ष के तौर पर उसकी कमान आरएसएस ने विनय कटियार को सौंपी थी.
कटियार का राजनीतिक क़द बढ़ता गया और वह बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी बने. कटियार फ़ैज़ाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से तीन बार सांसद चुने गए. वह राज्यसभा सांसद भी रहे. हालांकि, साल 2018 में कार्यकाल ख़त्म होने पर उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिला.
वहीं, विश्व हिंदू परिषद के दूसरे नेता प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय रहे थे. लेकिन उन्होंने वीएचपी से अलग होकर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बनाया. राम मंदिर बनने से पहले वह कई बार पीएम मोदी की आलोचना भी करते रहे.
चंपत राय ने और क्या-क्या बताया?
चंपत राय ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा को समारोह का न्योता देने के लिए एक तीन सदस्यों वाली टीम बनाई गई है.
उन्होंने कहा, “छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्य और 150 साधु-संत इसमें भाग लेंगे. इनके अलावा करीब 4000 संत और 2,200 अन्य मेहमानों को भी समारोह के लिए न्योता दिया गया है.”
चंपत राय ने बताया कि काशी विश्वनाथ, वैष्णो देवी जैसे बड़े मंदिरों और धार्मिक तथा संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों को भी न्योता भेजा गया है.
राय ने कहा कि धर्म गुरु दलाई लामा, केरल की माता अमृतानंदमई, योग गुरु रामदेव, सिनेमा जगत के सितारे जैसे रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, फ़िल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और जाने-माने कारोबारी जैसे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, प्रसिद्ध पेंटर वसुदेव कामत, इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई सहित कई बड़ी हस्तियों को भी फंक्शन में बुलाया गया है.
उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद 24 जनवरी से अगले 48 दिनों तक ‘मंडल पूजा’ होगी. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर 23 जनवरी से खुल जाएगा.
राय ने बताया कि मेहमानों के रुकने के लिए अयोध्या में तीन से अधिक जगहों पर पूरे प्रबंध किए गए हैं. इसके अतिरिक्त अलग-अलग मठों, मंदिरों और आम लोगों के परिवारों ने भी 600 कमरे तैयार रखे हुए हैं.
चंपत राय ने कहा, “विभिन्न परंपराओं के 150 साधु-संतों और छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्यों सहित 13 अखाड़े इस समारोह में भाग लेंगे. कार्यक्रम में लगभग चार हजार संतों को आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा 2200 अन्य मेहमानों को भी निमंत्रण भेजा गया है.” राय ने बताया कि काशी विश्वनाथ, वैष्णोदेवी जैसे प्रमुख मंदिरों के प्रमुखों, धार्मिक और संवैधानिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है.
राय ने बताया कि आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा, केरल की माता अमृतानंदमयी, योग गुरु बाबा रामदेव, अभिनेता रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत, इसरो के निदेशक नीलेश देसाई और कई अन्य जानी-मानी हस्तियां भी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में मौजूद रहेंगी.
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