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हेल्थ

कैथल के पत्रकार डॉक्टर विनय गुप्ता जिसको अफसरों ने 3 बार अलग-अलग कारणों से टर्मिनेट कर नौकरी से निकाला,फिर तीनों बार हाई कोर्ट ने टर्मिनेशन को बताया गलत, ऐतिहासिक फैसले ने रचा इतिहास।

dr. vinay

 डॉ. विनय गुप्ता समेत कई कर्मचारियों को  नौकरी से निकाल दिया की भारत सरकार की ओर से हरियाणा को दिया जाने वाला स्वास्थ्य का बजट कम कर दिया गया है ।

 कैथल के पत्रकार डॉक्टर विनय गुप्ता  जिसको  अफसरों ने 3 बार अलग-अलग कारणों से टर्मिनेट कर नौकरी से निकाला,फिर  तीनों बार हाई कोर्ट ने टर्मिनेशन को बताया गलत, ऐतिहासिक फैसले ने रचा इतिहास।

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कैथल(Atal Hind )हरियाणा के कैथल जिले के पत्रकार डॉक्टर विनय गुप्ता पेशे से डेंटल सर्जन है जिन्हे BDS की पढ़ाई के दौरान दो दो स्कॉलरशिप (आई.डी.ए-कोलगेट स्कॉलरशिप , प्राइम मिनिस्टर स्कॉलरशिप) से नवाजा गया । डॉक्टर विनय के पढ़ाई के दौरान दंत चिकित्सा में लगभग 50 आर्टिकल्स और एक किताब भी लिख डाली। अपने कॉलेज में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के चलते एक HOD ने डॉ. विनय को  अपने साइन करके ये तक लिखकर दे दिया गया की तुम अब कभी टॉपर नही बन पाओगे, साथ ही उन्हें BDS के फाइनल ईयर में 3 सब्जेक्टों में फेल कर दिया गया। डॉ. विनय गुप्ता ने पूरा मामला हाई कोर्ट चंडीगढ़ में उठाया । एक विशेष जांच कमिटी बनी । डॉ. विनय गुप्ता के दोबारा इम्तिहान लिए गए जिसमे वो पास हुए।

BDS की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने 2014 में कैथल  हरियाणा में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) के तहत मेडिकल ऑफिसर डेंटल की पोस्ट ज्वाइन की। अफसरों ने 2015 में डॉक्टर विनय समेत कई स्वास्थ्य कर्मचारियों को यह कहकर नौकरी से टर्मिनेट कर दिया की हरियाणा में स्वास्थ्य व्यस्था में स्टाफ जरूरत से ज्यादा है इसीलिए इन कर्मचारियों की कोई जरूरत नही। डॉक्टर विनय इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट पहुंचे और असल तथ्य रखे की हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में तो डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की भारी कमी है । हाई कोर्ट चंडीगढ़ में जीत दर्ज करके, कोर्ट के आदेशों से दोबारा नौकरी ज्वाइन की ।

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बिना किसी वकील, हाई कोर्ट में खुद लड़ा अपना केस : दूसरी बार 2016 में अफसरों ने  एक बार फिर यह कारण देकर डॉ. विनय गुप्ता समेत कई कर्मचारियों को  नौकरी से निकाल दिया की भारत सरकार की ओर से हरियाणा को दिया जाने वाला स्वास्थ्य का बजट कम कर दिया गया है ।  फिर से डॉक्टर विनय हाई कोर्ट चंडीगढ़ पहुंचे जहां उन्होंने लगभग 100 से ज्यादा RTI से जुटाए गए जवाब, अपना केस बिना किसी वकील खुद लड़ते हुए, असल तथ्य कोर्ट के सामने रखे की हरियाणा का स्वास्थ्य बजट तो बढ़ा है घटा नही , और दो साल की लंबी लड़ाई के बाद जनवरी 2018 में हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेशों से दूसरी बार फिर से नौकरी ज्वाइन की । 

तीसरी बार साल 2019 में डॉक्टर विनय गुप्ता द्वारा स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने के चलते उनके खिलाफ अधिकारियों ने अपने कार्यालय की ई-मेल आई.डी. हैक करने की एक एफ.आई.आर दर्ज करवाके बिना डॉक्टर विनय का पक्ष सुने बिना किसी विभागीय जांच या इंक्वायरी के उन्हें नौकरी से निकाल दिया । जबकि नेशनल इन्फोरमेटिक्स सेंटर (NIC) जो पूरे भारत में सरकारी ई-मेल आई. डी की संचालक संस्था है, ने आर.टी.आई के जवाब में बताया की कैथल के सिविल सर्जन की ई मेल आई डी हैक होने बारे कोई तथ्य, कोई सूचना उनके पास नहीं है ना ही कोई शिकायत उनके पास दर्ज है। तीसरी बार फिर इस पूरे मामले को लेकर डॉ. विनय गुप्ता  हाई कोर्ट चण्डीगढ़ पहुंचे, और हाई कोर्ट ने डॉक्टर विनय गुप्ता के टर्मिनेशन को पूर्णतः गलत और गैर कानूनी बताते हुए नौकरी से निकाले जाने वाले टर्मिनेशन ऑर्डर रद्द कर दिए हैं।

आपको बतादें की 2019 से 2022 के दौरान डॉ. विनय ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के साथ साथ सोशल मीडिया के कई चैनलों में, बिना कोई वेतन नि:स्वार्थ सक्रिय भूमिका निभाई । हाल ही में डॉ. विनय द्वारा इंटरव्यू रिपोर्टिंग के दौरान एक वकील को हार्ट अटैक आने पर, डॉ. विनय द्वारा CPR देकर उस वकील की जान बचाने का वायरल वीडियो, NDTV के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, सुप्रसिद्ध सोशल मीडिया पोर्टल LallanTop, समेत कई न्यूज चैनलों ने भी शेयर किया था और डॉ. गुप्ता की जमकर तारीफ भी की थी ।

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