कोराना से रेलवे स्टेशन और बस अड्डे अछूते ही रहेंगे !
गुरुग्राम(atal hind) सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। बचाव में ही बचाव है, यह चेतावी के साथ-साथ आम जनमानस की जागरूकता के साथ-साथ चेतावनी भी है। हाल ही के दिनों में कोराना वायरस (कोविड 19) को आंतक ऐसा फैला है और पैर पसारता जा रहा है कि, विभिन्न देशों के साथ ही अपने ही देश के विभिन्न राज्यों की सरकार इस चीनी वायरस को लेकर पेशोपेस में आ गई हैं। विभिन्न 62 देशों में 12 लाख कोराना वायरस की चपेट में बताये जा रहे हैं, चीन में इसी वायरस के कारण मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। कोराना वायरस से प्रभावित विभिन्न देशों के वीजा सहित यात्रा पर पाबंदी घोषित कर दी गई। अपने ही देश में कोराना वायरस से प्रभावितों का आंकड़ा 70 से अधिक का बताया जा रहा है। कोराना वायरस को एक संक्रमण बताते हुए एक ही स्थान पर अधिक भीड़भाड़ नहीं करने या होने की एडवाइजरी जारी की जा चुकी है।
अब सारे हालात और सुरक्षा के किसे उपायों पर गौर करे तथा देखें तो यह सवाल भी किसी यक्ष प्रश्न से कम नहीं कि, … तो क्या कोराना से रेलवे स्टेशन और बस अड्डे अछूते होने का दावा किया जा सकता है? यह सवाल इस लिहाज से बाहर निकलकर आया है कि, कोराना वायरस (कोविड 19) के और नहीं फैलने या फिर आमजन की सुरक्षा के लिए विभिन्न राज्यों में यूनिवर्सिटी,कालेज, स्कूल, सिनेमा हाल सब बंद कर दिये गए हैं । लाख टके का सवाल फिर यही है कि क्या भीड़भाड़ और लोगों का जमावड़ा इन्ही स्थानों पर ही रहता है? देश सहित विभिन्न राज्यों में एक से बढक़र एक रेलवे जंक्शन स्टेशन, अंतरर्राज्यीय बस अड्डे भी मौजूद हैं और प्रतिदिन करोड़ो लोग रेलवे स्टेशनों सहित बस अड्डों से ही आवागमन कर रहे हैं। यहां एकमात्र सवाल केवल भीड़भाड़ का ही है, क्या एेसे स्थानों पर कोराना वायरस (कोविड 19) नहीं पहुंच सकेगा या फिर आने-जाने वाले सभी की जांच संभव है।कोराना वायरस (कोविड 19) के कारण तमाम क्रिकेट टूर्नामेंट भी स्थगित कर दिये गए कि, मैच के दौरान स्टेडियम में हजारों की संख्या में दर्शकों के रूप में भीड़ एकत्रित रहेगी। अब सवाल फिर से भीड़भाड़ तंत्र की ही तरफ घूम कर सीधे ट्रेन और बसों में जा रहा है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता , रेवाड़ी सहित अन्य तमाम रेलवे जंक्शन से आवागमन करने वाली ट्रेनों के साथ-साथ विभिन्न बस अड्डों से बसों में यात्रा करने वालों का आंकड़ा भी अपने आप में एक रिकार्ड ही है। मैट्रो जैसी ट्रेनों में तो साफ-सफाई का युद्ध स्तर पर अभियान तक चलाया जा रहा है, यह अच्छी और सकारात्मक पहल ही है।
देश के तमाम बड़े शहरों के रेलवे स्टेशनो से प्रतिदिन असंख्य दैनिक यात्री आसपास के शहरों, कस्बों में रोजी – रोटी के लिए अवागमन करते हैं, ऐसी ट्रेनों में सवार होने अथवा यात्रा करने वालों की भीड़ को देखें तो ट्रेन के डिब्बों में भीड़ के बीच लोग एक-दूसरे पर ही चढ़े प्रतीत होते हैं, वहीं डिब्बों में जगह के अभाव में डिब्बों के बीच जोड़ के साथ ही पायदान पर लटकना भी मजबूरी बना रहता है। इन हालात और ट्रेन यात्रियों की मजबूरी के बीच क्या यह मान लिया जाये कि कोराना वायरस (कोविड 19) का काई खतरा ही नहीं है? यही बात और फार्मूला बस सहित बस यात्रियों पर भी लागू होता है। अब ट्रेन हो या बस, दोनों में ही लंबी दूरी सहित लंबे समय की यात्रा ही की जाती है , ऊपर से खानपान का सामान बेचने वालों सहित इनसे खरीददारों की भी कमी नहीं होती है।
इस पूरे प्रकरण में जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डा. एनएस यादव का कहना है कि, कोराना वायरस (कोविड 19) के प्रति सरकार के द्वारा लोगों को अवेर करने सहित सुरक्षति रहने के लिए की गई पहल अनुकरणीय है। लेकिन एेसा महसूस होता है कि, जो भी ‘बंद’ वाली पालिसी लागू की है, उससे लोगों में और भी अधिक डर-भय का ही माहोल बनेगा। सरकार को ‘बंद’ वाली पालिसी के विपरीत , खानपान में परहेज सहित एेसे संक्रमण फैलने के समय लोगों को स्वस्थ बने रहने के बारे में अधिक जागरूक करना चाहिये। इस बात में कोई शक ही नहीं है कि, भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा और सस्ता परिवहन का माध्यम है और लंबी दूरी की लंबे समय तक विभिन्न आयु वर्ग के असंख्य लोग सफर कर रहे हैं।