खट्टर सरकार कर रही दोगले फैसले
जान दांव पर लगाने वाले मिल्क प्लांट कर्मचारियों के वेतन से काट लिए पैसे
Khattar government is making double decisions
Money deducted from salary of milk plant employees who put their lives
बल्लभगढ़। कोरोना महामारी के बीच उद्योगपतियों और व्यापारियों से कर्मचारियों व श्रमिकों का वेतन नहीं काटने की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली खट्टर सरकार खुद कर्मचारियों के वेतन पर डाका डाल रही है।
इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब बल्लभगढ़ स्थित वीटा मिल्क प्लांट के कर्मचारियों के अप्रैल माह के वेतन से कई कई दिन के पैसे काट लिए गए। जितने दिन कर्मचारी नहीं आए उनका दिन का वेतन काट लिया गया।
अपनी जान दांव पर लगाकर मिल्क प्लांट में पहुंचने वाले कर्मचारियों के वेतन को सरकार ने खुद ही काट लिया। ऐसे में सरकार प्राइवेट कंपनियों और फैक्ट्रियों के मालिकों को किस नैतिकता के साथ कर्मचारियों का वेतन नहीं काटने की नसीहत दे रही है।
वीटा मिल्क प्लांट बल्लभगढ़ से फरीदाबाद, पलवल, मेवात और गुड़गांव में दूध पदार्थों की सप्लाई होती है। दिल्ली और आसपास के जिलों में कोरोना का कहर जोरों पर होने के बावजूद वीटा मिल्क प्लांट के कर्मचारियों ने यथासंभव ड्यूटी पर जाकर प्लांट को चलाया। जान जोखिम में होने के बावजूद उन्होंने अपनी ड्यूटी में कोताही नहीं बरती। कर्मचारी इसीलिए भारी खतरे के बीच ड्यूटी पर गए ताकि उनको पूरा वेतन मिल जाए और प्लांट भी लगातार चलता रहे। उन्हें नहीं पता था कि उनके साथ धोखा किया जा रहा है। लोक डाउन के दौरान हॉटस्पॉट इलाकों से निकलने की मनाही के चलते कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आ पाए। जो कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आए उनका उतने दिन का वेतन काट लिया गया जबकि खट्टर सरकार ने यह वादा किया था कि लोक डाउन के दौरान कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा जाएगा।
ऐसे में खट्टर सरकार क्या इस बात की जांच करेगी कि किसके आदेश पर कर्मचारियों का वेतन काटा गया।