खट्टर सरकार का नया फरमान ,पुंडरी ,नरवाना ,थानेसर ,रादौर ,सहित क्षेत्रोँ धान की फसल लगाने पर रोक
कृृपया धान न उगाये किसान
Khattar government’s new order banning the planting of paddy crops in areas including Pundri, Narwana, Thanesar, Radaur
Farmers please don’t grow paddy
चंडीगढ़(अटल हिन्द ब्यूरो ) किसानों के लिए एक बार फिर से हरियाणा की भाजपा सरकार दिक्कत पैदा करने जा रही है। इस बार सरकार ने फारमान जारी कर दिया कि प्रदेश के सात जिलों में पंचायती जमीन में किसान धान की खेती न करे।
अंबाला जिला के अंबाला व साहा, करनाल के असंध, कैथल के पुंडरी, जींद जिला के नरवाना, कुरूक्षेत्र जिला के थानेसर, यमुनानगर जिला के रादौर तथा सोनीपत जिला के गन्नौर क्षेत्रों में धान की रोपाई पर रोक लगा दी है।
यह रोक ऐसे समय में लगायी गई है, जब किसान पहले ही दिक्कतों से दो चार हो रहा है। उन्हें गेहूं के सीजन में खासे आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। कोरोना की वजह से चल रहे लॉकडाउन के कारण किसानों की दिक्कत कम नहीं हो रही है। ऐसे में सरकार का यह फरमान किसानों के लिए बहुत बड़ा झटका है।
युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान के अनुसार यह सात जिले वह है, जिन्हें धान का कटोरा कहां जाता है। हरियाणा कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 32 लाख एकड़ में धान की पैदावार होती है। इसमें लगभग 68 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार होती है। जिसमें 25 एमटी बासमती भी शामिल है।
जिन सात जिलों में धान की खेती पर रोक लगायी, यहां 90 प्रतिशत धान की खेती होती है। जीटी रोड बेल्ट को धान का कटोरा बोला जाता है। इसमें बड़ी भूमिका इन सातों जिलो की है।
चौहान ने बताया कि एक तो सरकार ने यह निर्णय तब दिया जब धान का सीजन शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि पंचायती जमीन को बहुत पहले ही किसान एक साल की लीज पर करीब पचास से साठ हजार रुपये प्रति एकड़ लेता है। क्योंकि इसमें वह धान और गेहूं की पैदावार करता है। वह इसलिए धान और गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय है। केंद्र सरकार दोनो फसलों को खरीद लेती है। इससे किसान की सोच रहती है कि कम से कम फसल मंडी में बिक तो जायेंगी। अब जबकि किसानों ने जमीन को लीज पर ले ली है, ऐसे में सरकार यह निर्णय दे रही है, इससे सीधे सीधे किसानों को भारी नुकसान होगा।
उन्होंने बताया कि यदि सरकार धान का सीजन शुरू होने से पहले इस तरह का निर्णय देती तो किसान या तो पंचायती जमीन लीज पर न लेता, यदि लेता तो वह इसकी लीज राशि कम करा सकता था। रादौर के धान उत्पादक किसान जसवंत सिंह बंचल (42) ने बताया कि एक एकड़ में, लगभग 30 क्विंटल धान (परमल) का उत्पादन होता है और एक किसान लगभग 20,000 रुपये प्रति एकड़ से अधिक की इनपुट लागत को छोड़कर लगभग 30,000 रुपये प्रति एकड़ कमाता है। इसके विपरीत यदि वह दूसरी फसल लगाता है तो उसे एक तो इस बात की गारंटी नहीं है कि फसल मंडी में बिक जायेगी। दूसरी दिक्कत यह है कि इससे किसान की आमदनी आधी से भी कम रह सकती है।
भारतीय किसान युनियन के प्रधान सेवा सिंह आर्य ने बताया कि सरकार का तर्क है कि धान की खेती से पानी की बर्बादी होती है, यह समझ से रहे हैं। क्या? इन जिलों में धान की खेती पर रोक लगाने से भूजल बच जायेगा। होना तो यह चाहिए कि सरकार भूजल बचाने के उपायों पर काम करें। इसके लिये योजना बननी चाहिए। खेतों में भूजल रिचार्ज वैल बनाये जाये। गांवों में जोहड़ों की की मरम्मत होनी चाहिए। लेकिन इस दिशा में तो कुछ नहीं हुआ। बस फरमान जारी कर दिया कि धान की खेती रोक दी जाये। यह सरकार का तानाशाही रवैया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि फसल विविधिकरण की बात सरकार कर रही है, लेकिन इसकी हकीकत क्या है? सरसो की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य होने के बाद भी इसकी बिक्री में किसानों को भारी दिक्कत आयी। राममाजरा के किसान अशोक प्रजापति( 60) ने बताया कि उसे सरसो न्यूनतम समर्थन मूल्य 4200 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन मंडी में सरसो बिकी ही नहीं। इस पर उन्होंने निजी विक्रेता को सरसो तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल में बेचनी पड़ती। किसानों ने बताया कि सरकार गेहूं और धान को छोड़ कर अन्य फसलों की खरीद की कोई नीति नहीं है। इस वजह से किसान के सामने एक ही चारा बचता है कि या तो वह धान गेहूं की खेती करें, या फिर भारी अार्थिक नुकसान उठाये।
किसानों की इन दिक्कतों पर जब हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री, जय प्रकाश दलाल के सरकारी आवास और कार्यालय में संपर्क किय गया तो उनके स्टाफ ने बताया कि मंत्री अभी मिल नहीं सकते। कई बार कोशिश करने के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
इधर विपक्ष भी इस मसले पर सक्रिय हो गया है। कांग्रेस नेताओं ने सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग करते हुए एक प्रेस नोट जारी किया है। हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव एवं कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा के राजनीतिक सलाहकार रामकिशन गुज्जर, मुलाना के विधायक वरूण चौधरी तथा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रोहित जैन ने एक संयुक्त बयान में सरकार के इस फरमान को तुगलकी करार दिया।
सरकार फौरन वापिस ले धान बोने पर पाबंदी का फ़ैसला- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
महामारी के मुश्किल वक़्त में किसानों के साथ नए-नए प्रयोग ना करे सरकार- हुड्डा
· किसान पर बंदिशें लगाने की बजाए, उसकी फसल की ख़रीद, उठान और पेमेंट पर ध्यान दे सरकार- हुड्डा
चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कई मसलों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कोरोना से लड़ाई, लॉकडाउन में ढील, धान बुआई पर पाबंदी, शराब घोटाले की जांच और मध्यम व निम्न तबके को आर्थिक राहत देने समेत कई मुद्दों पर पत्रकारों से संवाद किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वो महामारी के इस नाजुक दौर में विवाद नहीं संवाद के ज़रिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने सरकार के धान बुआई पर पाबंदी लगाने के फ़ैसले का पुरज़ोर विरोध किया और कहा कि इस फ़ैसले को फौरन वापिस लेना चाहिए।