दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम क्या बन गए मौकापरस्तों का लगने लगा जमावड़ा
=राजकुमार अग्रवाल =
चंडीगढ़। क्या यह सही है कि जेजेपी की सत्ता में हिस्सेदारी ने प्रदेश के सियासी समीकरणों को बदल दिया है?
प्रदेश में बीजेपी और जेजेपी की सरकार बनने के बाद चंडीगढ़ में सियासी नजारा बदल गया है। 5 साल तक नेताओं और वर्करो की भीड़ से विरान रहने वाले सचिवालय में लोगों की बहार लौट आई है।
लोगों के रेले सरकार के बड़े भागीदार भाजपा के कार्यालय या मंत्रियों के दफ्तरों के बजाय जेजेपी के कार्यालय और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के कार्यालय में नजर आ रहे हैं।
जेजेपी की सत्ता में हिस्सेदारी होते ही न केवल जेजेपी के वर्करों और नेताओं में खुशी का आलम है बल्कि उसके साथ साथ मौकापरस्तों की भी बांछें खिल गई है।
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कल तक अजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला और दिग्विजय चौटाला के अलावा जेजेपी के नेताओं और वर्करों को खुलेआम गालियां देने वाले लोग गुलदस्ते लेकर दुष्यंत के कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में खड़े हुए नजर आ रहे हैं।
जेजेपी के संघर्ष में साथ निभाने वाले लोगों से 10 गुना वे लोग नजर आ रहे हैं जो विधानसभा चुनाव में जेजेपी प्रत्याशियों की मुखालत कर रहे थे। जेजेपी की सत्ता में हिस्सेदारी के बाद मौकापरस्त लोग सत्ता गुड़ को खाने के लिए बेचैन हो उठे हैं और अपनी सेटिंग के लिए हर तरह की तिकड़म भिड़ा रहे हैं।
जेजेपी के नेताओं और वर्करों की आड़ में इनेलो और कांग्रेस के लोग अपना उल्लू साधने की दौड़-धूप में लगे हुए हैं।
जेजेपी और दुष्यंत के कार्यालय में अधिकांश वे चेहरे नजर आ रहे हैं जो पिछले 1 साल में एक बार भी नजर नहीं आए थे।
अजय चौटाला परिवार पर आए संकट के दौरान विरोधी खेमे में खड़े रहने वाले लोगों के अलावा उनका सियासी नुकसान करने वाले लोग अब खुद को अजय चौटाला के पुराने समर्थक बताकर दुष्यंत के सामने खुद को शुभचिंतक के रूप में पेश कर रहे हैं।
दुष्यंत चौटाला के सामने यह चुनौती है कि वह नकली और असली लोगों में किस प्रकार से फर्क करते हुए पसीना बहाने वाले नेताओं और वर्करों के कामों को प्राथमिकता दें।
जेजेपी मुख्यालय और दुष्यंत के कार्यालय में मौकापरस्तों की भीड़ ने जेजेपी के मेहनतकश नेताओं और वर्करों की माथे पर परेशानी के बल डाल दिए हैं। उनको यह डर सता रहा है कि उनकी मेहनत पर डाका डालते हुए कहीं मौकापरस्तों की भीड़ उन्हें पीछे धकेल कर राज की मौज न ले ले।
बात यह है कि सत्ता के चीचड़ों ने जेजेपी मुख्यालय और दुष्यंत के कार्यालय को डेरा बना लिया है। बड़ी-बड़ी गाड़ियों और हाथों में गुलदस्ते लिए हुए भारी संख्या में लोग अपने कामों के लिस्ट लेकर पहुंच रहे हैं। दुष्यंत चौटाला के सामने हमदर्द और हितैषी बनकर ऐसे लोग मुखोटे पहनकर पूरी तरह से सत्ता में हिस्सेदारी लेने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
जेजेपी के मेहनतकश युवाओं को गालियां देने वाले लोग अब बेशर्मी का लबादा ओढ़कर कतारों में खड़े हुए नजर आ रहे हैं।
सत्ता की मलाई खाने के लिए ऐसे लोगों की भीड़ से निपटना भी आसान नहीं है क्योंकि काफी संख्या में धूर्त लोग जेजेपी के नेताओं और वर्करों की आड़ लेकर घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं।
हजारों की संख्या में लोग दुष्यंत चौटाला से मिलने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में असली वर्करों और नकली सफेदपोशों में फर्क करना आसान नहीं है।
दुष्यंत चौटाला की टीम ऐसे लोगों की पहचान करने की कोशिश में लगी हुई है और संघर्ष में साथ खड़े वर्करो को ही सत्ता में हिस्सेदारी देने के प्रबंध कर रही है। अब देखना यही है कि मौकापरस्तों की लंबी फेहरिस्त में से पसीना बहाने वाले वर्करों की अलग पहचान कैसे होती है और उन्हें किस तरह से राज में हिस्सेदारी मिल पाती है।