कोरोना के आतंक के बीच जेल मे बंद पति की रिहाई दर-दर गुहार लगाती महिला
पुलिस की मानहानि, पुलिस ही शिकायतकर्ता, पुलिस ही गवाह
एस.पी. के खिलाफ विडियो वायरल विडियो करना पड़ा महंगा: एस.सी.एस.टी. एक्ट के तहत मुक्क्द्मा दर्ज
पत्र में पुलिस अधीक्षक पर आरोप: व्यक्तिगत रंजिस के चलते एस.पी. के दबाव व प्रभाव के चलते नहीं हो रही रिहाई
चंडीगढ़:(ATAL HIND)कोरोना के चलते भले ही सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल तक की सजा वाले मामलों में आरोपियों को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए हो लेकिन हरियाणा में उन आदेशों की पालना करवाने वाला कोई नहीं । ऐसे ही एक मामला सामने आया है जिसमे महिला के पति 7 साल से कम वाले अपराध में बंद हैं और उन पर आरोप है की उन्होंने एस.पी. चरखी दादरी वह अन्य पुलिस वालों के खिलाफ जातिसूचक शब्द बोलकर मानहानि करने वाली वीडियो को फेसबुक पर सांझा किया! महिला के पति डेढ़ महीने से जेल में बंद हैं ।
======पत्नी का पत्र======
उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट, हरियाणा लीगल सर्विसेज अथॉरिटी और वकीलों की सामाजिक संस्था सबका मंगल हो संस्था को पत्र भेजते हुए कहा है कि उनके पति के साथ अन्याय हो रहा है और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट के साफ-साफ आदेश हैं कि 7 साल तक की सजा वाले केसों में अंडर ट्रायल आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी जाएगी तो इतने दिन से उसके पति जेल में कोरोना के साए में जीने को क्यों मजबूर हैं । महिला ने अपने पत्र में आरोप लगाया है की एस.पी. के दबाव और प्रभाव के चलते उनके पति को रिहा करने की फाइल पर तारीख पर तारीख डाली जा रही है और फाइल को इधर उधर घुमाया जा रहा है।
दरअसल जितेंदर जटासरा आर.टी.आई. एक्टिविस्ट और विस्सल ब्लोअर हैं जिन्होंने न सिर्फ भ्रस्टाचार को उजागर किया बल्कि बेटी बचाओ अभियान में 6 केसों में गर्भपात करने वाले अस्पतालों पर रेड भी करवाई और सरकार उनको एक लाख का इनाम देकर सम्मानित भी किया और उनकी जान को खतरा देखते हुए उनको असले का लाइसेंस भी दिया । हाल ही में उन्होंने एस.पी. चरखी दादरी और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कई शिकायते की और दिलचस्प बात तो ये है कि 1 मई को आरोपी ने मुख्यमंत्री से ये कहते हुए मिलने का समय माँगा कि वो एस.पी. चरखी दादरी के खिलाफ कुछ पुख्ता सूचना उनको देना चाहते हैं लेकिन इससे पहले कि वो मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पाते 5 मई उन्हें पुलिस की छवि खराब करने वाली विडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के जुर्म में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया ।महिला ने सुप्रीम कोर्ट से फरियाद की है कि उनके पति को तुरंत रिहा करवाने की मेहरबानी करें और जो अधिकारी उनकी फाइल पर मुरली मारकर बैठे हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए, हालांकि ‘सबका मंगल हो’ संस्था की मदद से एडवोकेट प्रदीप रापडिया ने मंगलवार को हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर दी है जिसकी सुनवाई एक हफ्ते में होने की संभावना है !
मुफ्त कानूनी सहायता देने का निर्णय लिया-प्रदीप रापडिया
“वकीलों के टीम ने मामले का पूरी बारीकी से अवलोकन करने पर पाया कि जितेंदर जटासरा का केस सुप्रीम कोर्ट की कोरोना के दौरान उन आरोपियों को रिहा करने की केटेगरी में आता है और वैसे भी केस एक दम झूठा प्रतीत होता है! इसलिए सबका मंगल हो ग्रुप ने मुफ्त कानूनी सहायता देने का निर्णय लिया है ”- सबका मंगल हो संस्था के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट प्रदीप रापडिया