AtalHind
अंतराष्ट्रीय

भगवा धारियों की नफरती धर्म संसद से भारत की विदेशों में घटी साख

हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में भड़काऊ भाषणों पर दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड, फिनलैंड और न्यूजीलैंड में प्रवासी समूहों ने ट्विटर पर अपना रोष जताया है.इन लोगों में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.

भारत की नफरती धर्म संसद के कारण विदेशों  में कैसे हो रहा भारत की इज्जत में इजाफा ,जो बहुत शर्मनाक है भारतियों के लिए 

Advertisement

प्रवासी भारतीयों ने ‘धर्म संसद’ में नफरत भरे भाषण देने वालों की गिरफ्तारी की मांग की

न्यूयॉर्क(एजेंसी )वैश्विक प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों और कई देशों के नागरिकों ने हरिद्वार में एक कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों पर चिंता जताई है और सम्मेलन में ‘नरसंहार जैसे भाषण’ देने वाले लोगों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है.विभिन्न संगठनों के एक समूह द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि पिछले महीने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में भड़काऊ भाषणों पर दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड, फिनलैंड और न्यूजीलैंड में प्रवासी समूहों ने ट्विटर पर अपना रोष जताया है.इन लोगों में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.28 संगठनों के बयान में ‘हरिद्वार धर्म संसद’ में मुस्लिमों के कथित नरसंहार और घृणा फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर सरकार की भी आलोचना की गई है.

इसमें कहा गया है कि वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय यति नरसिंहानंद और धर्म संसद के वक्ताओं की तत्काल गिरफ्तारी का आह्वान करता है.

Advertisement

बयान पर हस्ताक्षर करने वाले संगठनों में हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स वर्ल्डवाइड, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम्स वर्ल्डवाइड, इंडिया अलाएंस यूरोप, स्टिचटिंग लंदन स्टोरी यूरोप, दलित सॉलीडैरिटी फोरम यूएसए, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल यूएसए, इंडिया सॉलीडैरिटी जर्मनी, द ह्यूमैनिज़्म प्रोजेक्ट ऑस्ट्रेलिया, पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन कनाडा और साउथ एशिया सॉलीडैरिटी ग्रुप यूके, फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन आदि शामिल हैं.

उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा इस ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलकर नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.

कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. नरसिंहानंद पहले ही नफरत भरे भाषण देने के लिए पुलिस की निगाह में हैं.

Advertisement

यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.

मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के ​बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.

प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.

Advertisement

इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.

बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.

दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.

Advertisement

बीते दिनों उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशकों क्रमश: विभूति नारायण राय और विकास नारायण राय सहित सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा था कि ‘धर्म  संसद’ विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की उत्तराखंड की लंबी परंपरा पर काला धब्बा है.

सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर दिल्ली और हरिद्वार में हुए हालिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की है.इसके अलावा देश के पूर्व सेना प्रमुखों, नौकरशाहों और कई बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर मुस्लिमों के नरसंहार के आह्वान की निंदा करने और इस तरह की धमकियां देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी.

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति को लिखे गए इस खुले पत्र पर 200 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं.

Advertisement

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

Advertisement

Related posts

गर्भपात की आजादी पर अमेरीका फैसले से बरपा हंगामा

atalhind

इजराइल में सत्ता परिवर्तन के बाद भी भारत से संबंध मजबूत बने रहेंगे

admin

University of Auckland attempts to muzzle Hindu voice seeking “Hindu Prayer Room”

admin

Leave a Comment

URL