AtalHind
उत्तर प्रदेशटॉप न्यूज़राष्ट्रीय

मृतकों को नदियों में बहाने का चलन रहा है

गंगा में मिले शवों पर यूपी सरकार ने केंद्र से कहा- मृतकों को नदियों में बहाने का चलन रहा है
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान गंगा नदी में शवों को बहाए जाने के विजुअल सोशल मीडिया पर वायरल होने से पहले ही उन्हें पता था कि शवों को नदियों में बहाया जा रहा है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी सरकार का कहना है कि प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में शवों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है.यह बात 15 मई को केंद्र सरकार के साथ हुई एक बैठक में राज्य सरकार की ओर से कही गई है. यह बैठक जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में यूपी और बिहार के अधिकारियों के बीच हुई.यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई, जिसमें नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा 11 मई को राज्यों को जारी एडवाइजरी के बारे में की गई थी. दरअसल इस एडवाइजरी में राज्यों से कहा गया था कि वे गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों को बहने से तुरंत रोकें. एक रिपोर्ट के अनुसार, मई महीने के दूसरे सप्ताह में अकेले उन्नाव में 900 से अधिक शवों को नदी के किनारे दफनाया गया था. उसने कन्नौज में यह संख्या 350, कानपुर में 400, गाजीपुर में 280 बताई. उसने बताया कि मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे शवों की संख्या लगातार बढ़ रही थी.

बैठक के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, ‘बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने बताया कि राज्य के मध्य एवं पूर्वी क्षेत्रों में नदियों में शवों को बहाने का प्रचलन है.’

बैठक के मिनट्स के मुताबिक, ‘उन्होंने बताया कि पूर्वी एवं मध्य यूपी के दो विशेष क्षेत्रों में नदियों में शवों को बहाने का प्रचलन है और इसका केंद्र मध्य यूपी में कानपुर-उन्नाव क्षेत्र और पूर्वी यूपी में बनारस-गाजीपुर क्षेत्र है.’

Advertisement

बैठक में कहा गया, ‘राज्य के पश्चिमी जिलों में इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आई हैं जबकि ये मुख्य तौर पर राज्य के कन्नौज से बलिया में हैं.’

हालांकि, बैठक में यूपी के अधिकारियों द्वारा गंगा में मिले शवों की संख्या को लेकर कोई आंकड़ा पेश नहीं किया गया.

बिहार के अधिकारियों ने बताया कि नदी में शव उत्तर प्रदेश की ओर से बह रहे हैं और नदी से 71 शव मिले हैं.

Advertisement

बिहार सरकार के शहरी विकास विभाग के मुख्य सचिव आनंद किशोर ने बैठक में बताया कि राज्य सरकार ने नदियों से शवों को पकड़ने के लिए नदी के किनारे पर मछली पकड़ने का बड़ा जाल फैलाया हुआ है.

सूत्रों का कहना है कि दोनों राज्यों को बताया गया कि गंगा नदी में शवों को बहाना और नदियों के तटों पर शवों को दफनाने की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए.

सूत्रों का कहना है कि बैठक में फैसला लिया गया कि गंगा नदी में बहाए गए शवों और किनारे पर दफनाए गए शवों का मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) और दिशानिर्देशों के अनुसार दाह संस्कार किया जाना चाहिए.

Advertisement

रिकॉर्ड से पता चलता है कि जल शक्ति सचिव ने राज्यों से कहा कि शवों को बहाए जाने की घटनाओं को चिह्नित किया जाए.

रिकॉर्ड के मुताबिक, ‘बैठक में कहा गया कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य जल निकायों में शवों को बहाए जाने की घटनाएं अन्य राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों के कुछ हिस्सों में भी हो सकती है, इसे चिह्नित किया जाना चाहिए ताकि संबंधित प्रशासन, स्थानीय निकाय या पंचायतों को निर्देश दिए जा सके कि नदियों या जल निकायों में शवों को बहाए जाने के बजाय इन्हें शवदाह गृहों में दाह संस्कार किया जाएं.’

बैठक के रिकॉर्ड के मुताबिक, ‘यह भी सुझाव दिए जाते हैं कि पानी के नमूनों में कोविड19 के परीक्षण के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल केमिकल लैबोरेटरी जैसी विशेषीकृत संस्थाओं को जोड़ा जा सकता है.’

Advertisement

12 मई को एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर उन्हें संबंधित जिला प्रशासन, स्थानीय निकाय और पुलिस को विशेष दिशानिर्देश जारी करने को कहा था.

इससे पहले दिन एनएमसीजी ने सभी 59 जिला गंगा समितियों को एडवाइजरी जारी कर नदी में बह रहे शवों की समस्या के निपटान के लिए आवश्यक कदम उठाने और इससे संबंधित रिपोर्ट 14 दिनों के भीतर पेश करने को कहा था.

बता दें कि बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव तैरते हुए मिले थे. बीते 10 मई को उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार में बक्सर जिले के चौसा के समीप गंगा नदी से 71 शवों को निकाला गया था.

Advertisement

इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 2000 से अधिक शव आधे-अधूरे तरीके या जल्दबाजी में दफनाए गए या गंगा किनारे पर मिले हैं.

 

Advertisement
Advertisement

Related posts

Narendra Modi-प्रचारक से प्रधानमंत्री बने जनाब नरेंद्र मोदी  को अपना अलग डेमोक्रेसी इंडेक्स बनाने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी है?

editor

कौन बनेंगा जाखल नपा का प्रधान पार्षदों सहित हल्का सांसद व टोहाना विधायक को भेजा पत्र, चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी  

admin

भगत सिंह की किताब के चलते यूएपीए के तहत गिरफ़्तार आदिवासी पिता-पुत्र बरी

atalhind

Leave a Comment

URL