रमन-एक प्रभाव
इंद्रधनुष के लाल नारंगी पीले हरे नीले जामुनी और बैंगनी रंग बरबस ही हर किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं। सूर्य के सफेद किरण अपने आप में इन सभी रंगों को समाए रहती है और जब कांच के प्रिज्म से होकर सूर्य का एकवर्णी सफेद प्रकाश गुजरता है तो यह रंगीन बैंड दिखाई देता है, इसको स्पेक्ट्रम कहते हैं। वातावरण में हवा के साथ मौजूद पानी की बूंदों पर 42 डिग्री के कोण से जब सूर्य का प्रकाश गिरता है तो पानी की बूंदे एक प्रिज्म की तरह काम करतीं है और यही कारण है कि यह सात रंग का, मन को लुभाने वाला प्रकाश, इंद्रधनुष के रूप में हमें आसमान में चमकता हुआ दिखाई देता है। 28 फरवरी 1928 को भारतीय भौतिक शास्त्री श्री चंद्रशेखर वेंकट रमन ने अपने 7 साल के लंबे शोध के बाद प्रकृति में छिपा हुआ यह फिनोमिना दुनिया को बताया बताया, जिसे रमन स्पेक्ट्रम या रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। 16 मार्च 1928 को विज्ञान की दुनिया में एक महत्वपूर्ण दिन रहा क्योंकि उस दिन उन्होंने अपने शोध को पूरी दुनिया के सामने सिद्ध करके दिखाया। यह प्रभाव वैज्ञानिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रभाव के द्वारा रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझना बहुत आसान हो गया। इस अद्भुत प्रभाव की खोज के एक दशक बाद ही 2000 रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना निश्चित की गई ,इसके पश्चात ही क्रिस्टल की आंतरिक रचना का भी पता लगाया गया साथ ही समुद्र का पानी हमें नीला क्यों दिखाई देता है इस रहस्य का सिद्धांत भी हमें पता चल पाया।रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है, जब वह कैसे पारदर्शी माध्यम से निकलता है, यह माध्यम ठोस, द्रव या गैसीय कुछ भी हो सकते हैं। यह घटना तब घटीत होती है जब माध्यम के अणु, प्रकाश ऊर्जा के कणों को प्रकीर्णित कर देते हैं,जैसे कैरम बोर्ड पर स्ट्राइकर गोटीयों को छितरा देता है।मूल रूप से बंगाल के निवासी श्री सी वी रमन भारत के पहले ऐसे वैज्ञानिक बने ,जिन्हें अपनी इसी खोज के लिए 1930 में नोबेल प्राइज से नवाजा गया और इसके बाद इन्हें 1954 में भारत रत्न से भी नवाजा गया। श्री सी वी रमन जी की खोज को महत्व देने के लिए 28 फरवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का प्रपोजल नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशंस (एनसीएसटीसी) ने सरकार के समक्ष 1986 में रखा, तब से हमारा देश प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे के रूप में मनाते आ रहा है। इस दिन मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इस दिवस को साइंस का मानव जीवन में उपयोगिता की जन जागरूकता पूरे देश में फैलाने के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों में खूब धूमधाम से इस दिवस को मनाती है जहां केवल श्री सीवी रमन जी ही नहीं बल्कि देश के अन्य महान वैज्ञानिकों की मूलभूत खोजो और विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को भी सेलिब्रेट किया जाता है जैसे श्री आर्यभट्ट, श्री होमी जहांगीर भाभा,श्री एपीजे अब्दुल कलाम, श्री जगदीश चंद्र बोस,श्रीनिवास रामानुजन, श्री सुब्रमण्यम चंद्रशेखर,श्री हरगोविंद खुराना जी आदि। छात्रों के द्वारा वैज्ञानिकों शोधकर्ताओं और एक्सपोर्ट प्रोफेसर्स की देखरेख में इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनीयां, सेमिनार, वर्कशॉप, वर्चुअल टूर, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, ओपनहाउस साइंस क्विज प्रोग्राम,पोस्टर मेकिंग और साइंस शो के अतिरिक्त नए प्रोजेक्ट्स और लेटेस्ट रिसर्च जो भी अलग-अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा कराई जा रही हैं उनका प्रदर्शन भी देश के नागरिकों के सामने किया जाता है। इस दिवस को उत्सव की तरह मनाने के पीछे एक मुख्य कारण है कि सभी उम्र के सभी नागरिकों के दिमाग में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उत्पन्न किया जाए ताकि हम चीजों को जाने ,समझे और सीखें, क्योंकि इसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण पत्थर युग में इंसान ने दो पत्थरों को रगड़ कर आग कैसे जलाई जाती है से लेकर हमें आज इस ऐशो आराम भरी दुनिया तक पहुंचाया है।विज्ञान हमारी सुरक्षा,हमारे विकास और हमारी सारी प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करता है और हमारे जीने और रहने के स्तर को दिन प्रतिदिन बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है इसलिए विज्ञान का प्रचार प्रसार जन-जन तक हो सके,इस दिन को खूब धूमधाम से सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं में बढ़-चढ़कर मनाया जाता है जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-1. इंडियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
2.जॉइंट मेट्रीवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी)
3. काउंसिल्स ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन एवरी स्टेट
4.डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ)
5.द सीएसआईआर नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-एनइइआरआई)
6.जवाहरलाल नेहरु प्लेनेटोरियम
हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का एक थीम होता है जो मानव जीवन में विज्ञान की उपयोगिता का मैसेज देता है। पिछले वर्ष इसका थीम था “साइंस फॉर द पीपल, एंड द पीपल फॉर द साइंस”और इस वर्ष 2020 में इसका थीम है “वूमेन इन साइंस”। इस बार यह दिन हमें चुनौती देता है कि हम अपने देश की लड़कियों और औरतों के विज्ञान के क्षेत्र में योगदान को आगे बढ़ाएं और विज्ञान की दुनिया में जेंडर इक्वलिटी को बनाएं। पिछले कुछ वर्षों से औरतों ने सक्रिय भागीदारी के रूप में विज्ञान के रिसर्च कार्यक्रमों में 35% योगदान दिया है ,जिसमें प्रमुखतया स्टेम सेल रिसर्च और स्पेस प्रोग्राम रिसर्च शामिल है मिशन मार्स-मंगलयान और चन्द्रयान-2 औरतों की विज्ञान के क्षेत्र में भागीदारी की कहानी कहते हैं।
संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतीकरण
स्मृति चौधरी,