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रामदेव के ‘पच्‍चीस’ में से 5 के जवाब तो बनते ही हैं?


रामदेव के ‘पच्‍चीस’ में से 5 के जवाब तो बनते ही हैं? जिसकी जहां मुराद पूरी वहीं लहरा गया आस्‍था का झंडा, रामदेव के ‘पच्‍चीस’ में से 5 के जवाब तो बनते ही हैं? ऐलोपैथी का अपना अलग महत्व है, होम्‍योपैथी और आयुर्वेदा का अपना अलग. सुबह सवेरे तुलसी और गिलोय को गटककर ज्ञान देने वाले भी इसके क़ायल ही हैं. आज की तारीख में करीब अस्‍सी फीसदी घरों में लौंग, हल्‍दी, दालचीनी को घोंट-घोंटकर पिया जा रहा है. —–BY Piyush Sharma===

Whose wish was hoisted right there, the flag of the faith,Are the answers to 5 of Ramdev’s twenty-five made?

Allopathy has its own importance, Homeopathy and Ayurveda have their own different. Morning basil andThose who give knowledge to Giloy are also its convicts. Today, nearly eighty percent of householdsCloves, turmeric, cinnamon are being drunk after drinking.

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रामदेव के ‘पच्‍चीस’ में से 5 के जवाब तो बनते ही हैं?

बात में कुछ तो दम है, इसलिए सब थोड़ा नरम हैं. ‘पच्‍चीस’ के पांव तो पालने में ही नजर आ गए थे. शनिवार को जो बात खाक से शुरू हुई थी सोमवार आते-आते वो गले की फांस बन गई. नहीं तो आज की वर्चुअल दुनिया में सब अब तक प्रकट हो गए होते अपनी-अपनी थ्‍योरियां लेकर. हालांकि बातें तो काफी बनती नजर आ रही हैं, पर उनकी तरफ से नहीं जिनसे ये मांगी गई हैं. यहां बात हो रही है आयुर्वेद और ऐलोपैथी के बीच चल रही पिछले तीन दिनों से जंग की. योगगुरु बाबा रामदेव ऐलोपैथी के खिलाफ पूरा मोर्चा खोले नजर आ रहे हैं. गजब का आयुर्वेद और ऐलोपैथी के बीच लेटर वॉर चला. बाबा के ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ के विवाद को लगाम लगाने के लिए बीच में हेल्‍थ मिनिस्‍टर को कूदना पड़ा तब जाकर विवादास्‍पद बयान वापस लिया गया और ऐलेापैथी की थोड़ी महिमाधुन सुनाई देने लगी. पर बाबा तो बाबा ही हैं. तीन दिन में ‘पच्‍चीस’ का ऐसा पांसा फेंका, जो हर तरफ से सभी को फंसाता ही नजर आया. किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग विराम ले सकते हैं.योगासन और प्राणायाम योग के क्षेत्र में अपनी तूती बुलवा चुके स्‍वामी रामदेव एक बार कमिटमेंट कर लें तो वे खुद की भी नहीं सुनते. और लगता है उन्‍होंने आयुर्वेद को लेकर कुछ ऐसा ही कर लिया है. नहीं तो बैकफुट में आने के बाद वो इतनी जोरदार वापसी नहीं करते, जैसी उन्‍होंने सोमवार शाम को की. उन्‍हें देर सबेर ये एहसास हो गया कि कोरोना काल के इस दौर में जब सबकी जान हलक में अटकी हुई है, तब शनिवार को छोड़ा हुआ उनका तीर उल्‍टा पड़ गया. और इसके लिए हुई आलोचना पूरी तरह से जायज भी है. लेकिन चौबीस घंटे में जवाब देने वालों को इन ‘पच्‍चीस’ का जवाब तो देना ही चाहिए. हरियाणा में कोरोनिल किट के फ्री में बांटे जाने के ऐलान के बाद से उत्‍साहित बाबा के पूरी विनम्रता के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फार्मा कंपनियों से सीधे-सीधे पूछे गए 25 सवालों में से कुछ के जवाब आना तो बनता ही है. अब तक टाइप-1 व टाइप-2 डायबिटीज व उसके कॉम्प्लिकेशन्स के लिए परमानेंट सॉल्यूशन आया है क्या? या फिर हाईपरटेंशन (बी.पी.) व उसके कॉम्प्लिकेशन्स के लिए स्थाई समाधान है? नहीं न. सबकी अपनी-अपनी डिमांड है. विपदा का मारा आदमी मजहब या किस दुकान में जाना है वो नहीं देखता. हर उस जगह वो माथा टेकता है जहां से उसे उम्‍मीद की किरण नजर आती है.हालांकि इस लेटर में अपनी आदत के अनुरूप बाबा ने जमकर गुड़ दिखाकर ईंट मारी है. जो उन्‍हें समय-समय पर खंगलाता रहता है उन्‍हें पता है कि उनके सोशल एकाउंट में कैसे ऐलोपैथी और फार्मा कंपनियों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं. शनिवार को व्‍हाटसअप यूनिवर्सिटी का हवाला देकर पढ़े बाबा के बयान का जवाब देने के लिए दस-दस घंटे में पत्रों का जैसे एवरेस्‍ट खड़ा कर दिया गया था, क्‍या वैसे ही दो सौ साल पुराने इस विज्ञान के दिग्‍गज पच्‍चीस में से क्‍या पांच के ही संतोषजनक जवाब दे पाएंगे? ये हिंदुस्‍तान है आधी आबादी इसी मोड में चलती है कि देवी यदि वरदान नहीं देगी तो मंदिर में थोड़े न बैठा लेगी. जिसकी जहां मुराद पूरी हुई वहीं आस्‍था का झंडा लहरा गया. ऐलोपैथी का अपना अलग महत्व है, होम्‍योपैथी और आयुर्वेदा का अपना अलग. सुबह सवेरे तुलसी और गिलोय को चबाकर ज्ञान देने वाले भी इसके क़ायल ही हैं. आज की तारीख में करीब अस्‍सी फीसदी घरों में लौंग, हल्‍दी, दालचीनी को घोंट-घोंटकर पिया जा रहा है. आयुर्वेद बीमारी कैसे पनपती है इन वजहों के साथ-साथ इसे समूल ख़त्म करने की तरकीब देता है. हजारों वर्षों से देश में फल फूल रहे इस विज्ञान को महज़ पांच मिनट में ही नहीं खारिज किया जा सकता. खैर सोशल में बाबा के इस हठयोग को महज बाइस घंटे में बीस हजार लोग रिट्वीट और पैंतालिस हजार (आर्टिकल लिखे जाने तक) लोग लाइक कर चुके हैं. और कई कमेंट करके बखिया उधेड़ने में जुटे हैं तो कई कह रहे हैं कि पहले इस्‍तेमाल करें फिर विश्‍वास. कहानी कुल मिलाकर समाधान की है. जहां किसी समस्या का हल मिलेगा वहीं से आपको बल मिलेगा.Share this story

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