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हरयाणा सरकार और अफसरशाही की वहज से बड़ा हादसा घटित हुआ जो 5 परिवारों के चिरागों को बुझा गया।

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हादसे के पश्चात घटनास्थल पर पहुंचे अनेक राजनीतिक तथा अन्य लोगों ने मृतकों के परिजनों को कम से कम 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।

तोशाम के डाडम पहाड़  हादसा :हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की शिकायत पर कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज

हरयाणा सरकार और अफसरशाही की वहज से बड़ा हादसा घटित हुआ जो  5 परिवारों के चिरागों को बुझा गया।

तोशाम (ATAL HIND /विष्णु दत्त शास्त्री)।

शनिवार सुबह डाडम पहाड़ में चट्टान दरकने से हुए भीषण हादसे के चौथे दिन मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्ति की ओर बढ़ने लगा क्योंकि सर्च अभियान में जुटी टीम घटनास्थल पर जिंदा व्यक्ति दबे होने की संभावना से पहले ही नकार चुकी है। जबकि डॉग स्क्वायड की टीम भी अन्य मजदूर दबे होने कम ही संभावना जता चुकी है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था और रेस्क्यू ऑपरेशन के समाप्ति की ओर जाने के आसार थे। वहीं हादसे का शिकार हुए बिहार निवासी मृतक एक मजदूर के परिजनों ने खनन करने वाली कंपनी के खिलाफ पुलिस को शिकायत देकर मामला दर्ज करवाया है। हादसे का शिकार हुए पांचों मृतकों के घर में मातम छाया हुआ है तथा परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। हादसे के पश्चात घटनास्थल पर पहुंचे अनेक राजनीतिक तथा अन्य लोगों ने मृतकों के परिजनों को कम से कम 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।उल्लेखनीय है कि नववर्ष की सुबह गांव डाडम के पहाड़ में चट्टान दरकने से जोरदार धमाके के साथ एक बड़ा हादसा घटित हुआ देखते ही देखते इस हादसे की गूंज पूरे भारत में फैल गई। हादसे के पश्चात मौके पर आर्मी व पुलिस के जवानों सहित एनडीआरएफ, एसटीआरएफ व डॉग स्क्वायड की टीम मौके पर पहुंची और दल बल के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई। जोकि रेस्क्यू ऑपरेशन करीबन 4 दिन तक निरंतर चलने के पश्चात मंगलवार शाम समाप्ति की ओर बढ़ने लगा। इस दौरान मलबे के नीचे से करीबन 1 दर्जन क्षतिग्रस्त वाहन सहित दो जिंदा व्यक्ति तथा 5 मृत व्यक्ति निकाले गए। इस हादसे में नव वर्ष 2022 के शुरुआत में ही 5 परिवारों ने अपने लाल खो दिए हैं जो कि बहुत ही दुखद है। आखिरकार इस हादसे का जिम्मेदार कौन है, किसकी लापरवाही से हादसा घटित हुआ है। जिसके लिए टीम गठित कर दी गई है टीम की जांच के पश्चात ही यह सब साफ हो पाएगा। लेकिन जांच निष्पक्ष होगी या जांच में लीपा-पोती होगी यह कहना अभी उचित नहीं होगा। हालांकि इससे पहले भी अनेक दफा डाडम पहाड़ में अवैध खनन को लेकर अनेक बार मुद्दे उठते रहे हैं तथा अनेक समाचार-पत्र भी अवैध खनन के मुद्दे को अनेक दफा प्रमुखता से उठाते रहे हैं। बावजूद उसके भी हर बार मामले में प्रशासनिक अधिकारियों तथा राजनीतिक लोगों के द्वारा लीपापोती कर दी जाती है जिसके कारण यह बड़ा हादसा घटित हो गया तथा 5 परिवारों के चिरागों को बुझा गया। इसमें कोई संशय ही नहीं की पहाड़ में अवैध खनन होता था क्योंकि नियमों के मुताबिक गहराई में करीबन एक हजार फुट तक खनन हो ही नहीं सकता जो कि डाडम पहाड़ में पिछले काफी समय से धड़ल्ले से होता आया है। जिससे जमीन में खाई बनने की वजह से अरावली क्षेत्र का पहाड़ की चट्टान दरक गई और बड़ा हादसा घटित हो गया। यह तो हादसे के तुरंत पश्चात भाजपा सांसद धर्मवीर सिंह ने भी स्पष्ट रूप से माना था कि यहां अवैध खनन होता था जो कि गलत है। यह सब स्थानीय अधिकारियों, वन विभाग तथा खनन विभाग के आंखों तले काफी लंबे समय से चल रहा था। जिसको लेकर सभी चुपचाप मौन व्रत धारण किए हुए थे। यदि समय रहते प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता तथा खनन करने वाले ठेकेदार जाग जाते तो शायद ये हादसा घटित न होकर 5 परिवारों के घरों में अंधेरा नहीं होता। इस हादसे का शिकार हुए व्यक्तियों में से कई परिवारों के हालात तो यह है कि उनके परिवार में छोटे-छोटे बच्चों का पालन पोषण करने वाला अर्थात कमाने वाला व्यक्ति कोई नहीं बचा है जिससे उनके रोटी के लाले पड़ गए हैं। हादसे के पश्चात बने हालातों को देखकर प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हादसे की निष्पक्ष जांच करवाई जाए तथा दोषियों को अपने किए की सजा मिले। जिससे भविष्य में गरीब मजदूरों की जिंदगी के साथ ऐसा खिलवाड़ ना हो। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए कुछ कहा नहीं जा सकता कि मामले में निष्पक्ष जांच हो पाएगी या नहीं क्योंकि हादसे के 4 दिन बीत जाने के पश्चात भी कंपनी के खिलाफ सिर्फ आईपीसी 304ए के तहत एक मामला दर्ज हुआ है वह भी मृतक के परिजनों के द्वारा शिकायत देने के बावजूद। आखिर अब जांच निष्पक्ष हो या लीपापोती हो जिन घरों के लाल इस हादसे का शिकार हो गए हैं उन घरों में तो सदा-सदा के लिए अंधेरा छा ही गया है। ऐसे में उनके घरों के हालात जाकर देखते हैं तो एकबारगी रूह कांप उठती है कि उनके छोटे-छोटे बच्चों का पालन-पोषण अब सिर्फ और सिर्फ राम-भरोसे ही रह गया है। 

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