प्रवासी मजदूर हो रहे है डिप्रेशन का शिकार, स्वास्थ्य महकमे ने इस तरह संभाला मोर्चा
In haryana
Migrant laborers are becoming victims of depression, health department handled this way
Chandigarh(Atal Hind)
एक तरफ कोरोना वायरस की दहशत, दूसरी तरफ लॉकडाउन की बंदिशें, आवागमन के सभी साधन बंद और घरों से दूर प्रदेश के विभिन्न शहरों में अजीबोगरीब माहौल के बीच फंसे बैठे प्रवासी मजदूर। सड़कों, खेतों और रेलवे लाइनों पर कंधे पर समान ढोए पैदल ही घरों की ओर चल रहे थे। मगर अब इन मजदूरों को इसकी भी इजाजत नहीं। अगले आदेशों तक जिलों में सरकार के लगाए शिविरों में ही रहना पड़ेगा।
हरियाणा के प्रत्येक जिले में इन प्रवासी मजदूरों के लिए कई शिविर बनाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन के कंधों पर इन शिविरों में रहने वाले मजदूरों की पूरी जिम्मेवारी है। कहीं दिनों से ये मजदूर इन शिविरों में रह रहे हैं। लेकिन अब इन्हें यहां कुछ अजीब सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बहुत से मजदूर मौजदा हालातों को पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं। वे अपने घर और घर वालों को याद करते करके डिप्रेशन का शिकार होने लगे हैं।मजदूरों की इन हालातों को देखते हुए हरियाणा स्वास्थ्य महकमे की मेंटल हेल्थ विंग ने मोर्चा संभाल लिया है। डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज डॉक्टर वीना सिंह की देखरेख में इसके लिए एक विशेष हेल्थ प्रोग्राम तैयार किया गया है। इतना ही नहीं मनो चिकित्सकों की निगरानी में सभी जिलों के लिए विशेष टीमें भी तैयार की गई हैं, जो डिप्रेशन में जा रहे हैं मजदूरों को अवसाद से बाहर निकालने में मदद करेंगी।
हेल्थ निदेशक डॉक्टर वीना सिंह ने बताया कि वे खुद भी विभिन्न शिविरों का दौरा कर रही हैं। शिविरों में यह देखने को आया है कि अवसाद से घिरे कई मजदूरों को भूख नहीं लग रही। कोई तीन दिन से सोया नहीं, किसी की प्रवृत्ति अचानक झगड़ालू बन गई है, कोई घंटों गुमसुम ही बैठा रहता है और कोई अचानक अश्रु बहाने लगता है। डॉ. वीना के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की गाइडलाइंस के चलते हमने सभी जिलों के लिए विशेष टीमें औए प्रोग्राम तैयार किए हैं। ये टीमें इन लोगों को अवसाद से बाहर निकाल मौजूदा परिस्थितियों से रूबरू कराते हुए उन्हें जागरूक करेंगी।
दरअसल, ये मजदूर विभिन्न अथॉरिटी और पुलिस द्वारा इन्हें विभिन्न शहरों में जबरन रोके जाने की वजह से भी खौफजदा थे। इसलिए मुख्य सचिव हरियाणा की केशनी आनंद अरोड़ा ने भी यह निर्देश दिए हैं कि पुलिस प्रशासन भी इन मजदूरों के साथ शिविरों में पूरी तरह मानवीय व्यवहार करें।
खेलों के सहारे बहलाएंगे मजदूरों का मन
स्वास्थ्य महकमे की इन टीमों में मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, इस क्षेत्र में काम करने वाले सोशल वर्कर, नर्सिंग स्टाफ, काउंसलर इत्यादि शामिल होंगे। सभी जिलों के सिविल सर्जन से कहा गया है कि वे जिला शिक्षा अधिकारियों से इस काम के लिए साइकॉलजी विषय के पीजीटी टीचरों की भी मदद लें। जबकि जिला उपायुक्तों को भी निर्देश दिए गए हैं टीम की काउंसलिंग के लिए जरूरी बंदोबस्त शिविरों में करवाएं। इसके अलावा खेल विभाग की भी मदद ली जा रही है। इन मजदूरों के लिए फुटबॉल, वालीबॉल और कैरम इत्यादि खेलों की व्यवस्था की जा रही है। इन खेलों में सभी खिलाड़ी दूर-दूर रहकर खेलते हैं। मुख्य सचिव की ओर से भी इन शिविरों में टीवी लगाने के निर्देश गत दिवस ही दिए जा चुके हैं। डॉ वीना सिंह ने मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिको की एक टीम बनाने के लिए कहा जो इन लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखेंगे
-डॉ वीना सिंह ने कल सुखराली ( गुरुग्राम) में विजिट करके कहा कि इन लोगों का ध्यान रखे, इनके मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाए, सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि इन लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का खास तौर पर ध्यान रखा जाए।सुखराली में सैकड़ों मजदूरों के लिए रहने की व्यवस्था की गई है जहाँ पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य की निदेशक डॉ वीना सिंह ने विजिट करके सम्बन्धित अधिकारियों को इस सम्बंध में दिशा निर्देश दिए।