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हिरासत में मौत के आरोप में 12 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

नूह: (atal hind)हरियाणा में कथित पुलिस हिरासत में एक 24 वर्षीय युवक की मौत का मामला सामने आया है. इस संबंध में फरीदाबाद के 11 से 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.24 वर्षीय मृतक युवक जुनैद के परिजनों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में उन्हें बुरी तरह से पीटा गया, जिससे उनकी जान चली गई. पुलिस ने घटना की जानकारी मंगलवार को दी.परिजनों का आरोप है कि जुनैद को गलत तरीके से बीते 31 मई को हिरासत में लिया गया था और इस दौरान उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया. फरीदाबाद पुलिस ने आरोप से इनकार किया है. उसका कहना है कि जुनैद की मौत किडनी संबंधी दिक्कत की वजह से हुई. रिपोर्ट के अनुसार, नूह पुलिस के अनुसार, जुनैद की मां खतीजा की शिकायत के बाद फरीदाबाद जिले के बिछोर थाने में केस दर्ज किया गया है.एफआईआर में फरीदाबाद के साइबर स्टेशन के सब इंस्पेक्टर राजेश, सब इंस्पेक्टर सुरजीत, हेड कॉन्स्टेबल नरेश, हेड कॉन्स्टेबल दलबीर, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर नरेंद्र, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर जावेद और स्टेशन हाउस ऑफिसर बसंत के नाम हैं.नूह के एसपी नरेंद्र बिजरनिया ने बताया कि आईपीसी भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) और 34 (एक ही इरादे से कई लोगों द्वारा अपराध को अंजाम देना) के तहत सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ नामजद और और चार से पांच अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.फरीदाबाद पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी सुबे सिंह ने कहा, ‘मामले की जांच के दौरान 31 मई को छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. उनमें से एक शाहिद था, जो कि आरोपी पाया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. जुनैद जो कि किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित था, के अलावा पांच अन्य को उसी रात छोड़ दिया गया था.’सुबे सिंह ने कहा, ‘साइबर पुलिस ने न तो किसी व्यक्ति को प्रताड़ित किया और न ही किसी को अवैध हिरासत में रखा. यह आरोप कि जुनैद को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मौत हुई, पूरी तरह से झूठा और निराधार है.’


परिवार का आरोप
पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में जुनैद की मां ने कहा कि वह पांच अन्य लोगों के साथ 31 मई की शाम करीब छह बजे राजस्थान में एक शादी से वापस आ रहा था तभी फरीदाबाद साइबर पुलिस स्टेशन के 10-12 पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया.उन्होंने आरोप लगाया कि वे जुनैद और उसके साथियों को थाने ले गए, जहां से अगले दिन उनके परिवार द्वारा पुलिसकर्मियों को 70,000 रुपये का भुगतान करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. जुनैद के साथियों को भी इतनी ही राशि के भुगतान के बाद रिहा कर दिया गया.शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जुनैद और उनके साथियों को रिहा करते समय उनके शरीर पर चोट के निशान थे और पुलिसकर्मियों ने जुनैद और उसके भाई इरसाद, जो उसे रिहा करने के लिए गए थे, से कई सादे कागजों पर हस्ताक्षर भी कराए थे.शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एसएचओ ने जुनैद को धमकी दी कि अगर पुलिस के खिलाफ कोई कार्रवाई की या अपना मेडिकल कराया तो वह पूरे परिवार को वैसी हालत (जुनैद की तरह) में पहुंचा देंगे.परिवार ने आरोप लगाया कि एक जून को जब जुनैद घर लौटे तो उनके शरीर पर चोट के कई निशान थे.जुनैद की मां ने आरोप लगाया कि घर पहुंचने पर उनके पैर और पूरे शरीर में चोट के निशान थे. परिवार ने एक स्थानीय डॉक्टर से संपर्क किया, लेकिन जुनैद की हालत बिगड़ती जा रही थी. 11 जून को उन्हें पुन्हाना सीएचसी ले जाया गया, जहां उनकी जांच हुई, जिसके बाद परिवार उन्हें होडल के किसी बड़े अस्पताल ले जाना चाह रहा था.शिकायत के अनुसार, हालांकि अस्पताल पहुंचने से पहले ही फरीदाबाद पुलिस द्वारा की गई पिटाई के चलते जुनैद की मौत हो गई.हालांकि नूह पुलिस के अधिकारियों ने दावा कि पोस्टमॉर्टम में कोई चोट नहीं पाया गया.

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