AtalHind
राष्ट्रीय

अजीत सिंह के जाने से किसान सियासत को बड़ा नुकसान

अजीत सिंह के जाने से किसान सियासत को बड़ा नुकसान


अजीत सिंह के जाने से किसान सियासत को बड़ा नुकसान अजीत सिंह के जाने से किसान सियासत को बड़ा नुकसानजिंदगी में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे अजीत सिंह नेपिता चौधरी चरण सिंह(CHARAN SINGH) की तरह अजीत सिंह(AJIT SINGH) ने कभी संघर्ष की नजर नहीं छोड़ीNATIONAL NEWS(ATAL HIND)पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे व राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का गुरुवार सुबह निधन (death)हो गया। 82 साल के चौधरी अजित सिंह ने गुडगांव के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। वे 20 अप्रैल से कोरोना से संक्रमित थे। फेफड़ों में इन्फेक्शन फैलने से उन्हें निमोनिया भी हो गया था। पिछले दो दिनों से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। उनके बेटे चौधरी जयंत सिंह ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। अजीत सिंह के जाने से किसान सियासत को बड़ा नुकसानजाट समुदाय के बड़े नेता थे चौधरी अजित सिंहअजित सिंह का दबदबा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी ज्यादा था। वे जाटों के बड़े नेता माने जाते थे। वे कई बार केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। लेकिन पिछले 2 लोकसभा चुनाव और 2 विधानसभा चुनावों के दौरान राष्ट्रीय लोकदल का ग्राफ तेजी से गिरा। यही वजह रही कि अजित सिंह अपने गढ़ बागपत से भी लोकसभा चुनाव हार गए। अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी भी मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे। 7 बार सांसद रहे, मेरठ में हुआ था जन्मचौधरी अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी, 1939 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था।जाट और किसान नेताओं के रूप में पहचान बनाने वाले अजित सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय और IIT खड़गपुर से अपनी पढ़ाई पूरी की।17 साल तक अमेरिका में नौकरी करने के बाद चौधरी अजित सिंह साल 1980 में अपने पिता चरण सिंह की ओर से बनाए गई राजनीतिक पार्टी लोक दल को एक बार फिर सक्रिय करने के लिए भारत लौट आए। इनके परिवार में पत्नी राधिका सिंह और दो बच्चे हैं।साल 1986 में चौधरी अजित सिंह पहली बार राज्यसभा सदस्य के तौर पर चुने गए।उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश से 7 बार लोकसभा चुनाव भी जीता।विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई वाली सरकार में चौधरी अजीत सिंह 1989-90 तक केन्द्रीय उद्योग मंत्री रहे।90 के दशक में अजित सिंह कांग्रेस के सदस्य बन गए। पी.वी. नरसिम्हा राव के काल में वर्ष 1995-1996 तक वे खाद्य मंत्री भी रहे। 1996 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद वे लोकसभा सदस्य बने।2019 में लोकसभा चुनाव वे हार गए थे। उनके बेटे जयंत चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद अजीत सिंह ने कभी हौसला नहीं छोड़ा और किसानों की बेहतरी और हितों की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक डटे रहे।कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को भी अजीत सिंह ने पूरा समर्थन दिया और कई जगह किसान महा पंचायतों को संबोधित किया।उनके स्वर्गवास से किसानों के हितों की रक्षा के लिए बुलंद आवाज उठाने वाला एक बड़ा स्तंभ गिर गया है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी।Share this story

Advertisement
Advertisement

Related posts

भाजपा की लगातार गिरती साख व मोदी की घटती लोकप्रियता से आरएसएस में मची खलबली

admin

नरवाना में जींद-पटियाला नैशनल हाईवे पर हुआ भीषण हादसा, 2 की मौत, 3 महिलाओं सहित 5 घायल

admin

उपराष्ट्रपति जी! आप किसानों के आंदोलन और पहलवानों के प्रदर्शन के वक़्त भी जाट ही थे…

editor

Leave a Comment

URL