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किन-किन भगोड़ों को लाना है वापस

किन-किन भगोड़ों को लाना है वापस

किन-किन भगोड़ों को लाना है वापस

आर.के. सिन्हा

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पीएनबी घोटाले का मास्टरमाइंड मेहुल चोकसी को एंटीगुआ से वापस भारत लाकर जेल की सलाखों के पीछे भेजने की कवायद तो जारी है। इसने हजारों करोड़ रुपए के घोटाले किए हैं। लग तो यही रहा है कि उसे देर-सवेर भारत आना ही होगा। वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता है। खासकर वर्तमान समय के मोदी सरकार के काल में I सरकारी एजेंसियों को देश के दुश्मन कुछ और भगोड़ों पर भी नजर रखनी होगी। वे देश में बड़े अपराध करके अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। विवादित इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक की वापसी के लिए भी भारत सरकार गंभीर है। सरकार ने मलेशिया सरकार से उसे भारत वापस भेजने को लेकर बात भी की है। जाकिर नाइक अभी मलेशिया में है। भारत का विदेश मंत्रालय उसे मलेशिया से वापस लाने की भरसक कोशिशें कर भी रहा है। वह मलेशिया में रहकर लगातार भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहर उगलता रहा है। लेकिन, अब उसके वहां पर बहुत लंबे समय तक रहने की संभावना न के बराबर है I क्योंकि, मलेशिया के प्रधानमंत्री पद से महातिर मोहम्मद अब हट चुके हैं। यह दुनिया जानती है कि महातिर का जाकिर नाइक को सीधा संरक्षण हासिल था। नाइक पर भारत में देशद्रोह का भी केस चल रहा है। उस पर जैसे ही देश द्रोह का केस दर्ज हुआ तो वह देश से भाग गया। वह सच में बेहद जहरीला किस्म का शख्स है। वह देश में हिन्दुओं और मुसलमानों आपसी वामनस्य पैदा करने की कोशिश कर रहा था। उसे हिन्दुओं से सख्त नफरत है। वह मलेशिया में बैठकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामबाद में बनने वाले एक मंदिर निर्माण का विरोध भी कर रहा था। इन सारे तथ्यों को देखते हुए जाकिर नाइक को तो तुरंत भारत लाना ही होगा। सरकार कानूनन उसकी मुंबई और दूसरे शहरों की अचल संपतियों को अपने कब्जे में भी ले सकती है।

 

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इसी तरह संगीत निर्देशक नदीम सैफी को भी भारत लाना होगा। उस पर आरोप है कि उसका मुंबई में 12 अगस्त 1997 को म्यूजिक कैसेट कंपनी टी-सीरिज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या की षड्यंत्र में हाथ था । उसका नाम जैसे ही गुलशन कुमार की हत्या के अनुसन्धान में में आया तो वह ब्रिटेन भाग गया। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में लिखा है कि मुंबई पुलिस को गुलशन कुमार के हत्या के प्लान की जानकारी थी। उनके पास 22 अप्रैल 1997 को एक फोन आया। फोन करने वाले शख्स ने बताया कि गुलशन कुमार की हत्या का प्लान बनाया गया है। ये पूछने पर कि इसके पीछे कौन है, उसने बताया- अबू सलेम। उसने यह भी बताया था कि शिव मंदिर जाते वक्त उनकी हत्या की जाएगी। उनके पिता की करोलबाग दिल्ली में जूस की दुकान थी। कैसेट किंग के नाम से मशहूर टी सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की कहानी जीरो से हीरो की थी। उन्होंने 80 के दशक में टी सीरीज की स्थापना की और 90 के दशक तक वो कैसेट किंग बन गए। टी सीरीज सैकड़ों करोड़ों की कंपनी बन चुकी थी। गुलशन कुमार की हत्या में दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम का नाम भी लिया जाता है। इनसे नदीम के साथ गहरे संबंध थे। दाऊद इब्राहिम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ की फिरौती मांगी थी। गुलशन कुमार ने ये रकम देने से मना कर दिया था। तब उनकी हत्या करवाई गई।

दाऊद इब्राहिम तो 1992 में मुंबई धमाकों का मुख्य गुनाहगार भी है। पाकिस्तान में बसने से पहले दाऊद इब्राहिम दुबई में अपना काला कारोबार चला रहा था। हो यह रहा है कि भारत में अपराध करने के बाद कथित सफेदपोश से लेकर शातिर अपराधी देश से बाहर निकल लेते हैं। इस तरह के भगोड़ों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर नाराजगी जताते हुए कुछ साल पहले केंद्र सरकार को कहा था- कहा,“आजकल कोई भी भारत से भाग जाता है।”सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि ऐसे लोगों को कार्यवाही के लिए विदेश से जल्द भारत लाया जाना चाहिए। जस्टिस जी एस केहर और जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की कि लोग आसानी से देश छोड़कर भाग जाते हैं। केंद्र को न्याय के लिए उन लोगों को वापस लाना चाहिए।

मेहुल चोकसी के साथ-साथ दाऊद इब्राहिम, जाकिर नाइक, विजय माल्या, ललित मोदी जैसे अपराधियों को देश वापस लाने की कार्यवाही को गति देनी होगी। इन भगोड़ों को पकड़ना जरूरी इसलिए भी है ताकि देश के अन्दर यह सख्त संदेश जाए कि कानून चाहे तो किसी को भी कहीं से भी पकड़ सकता है। भारत ने लगभग 40 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की है और आठ देशों के साथ प्रत्यर्पण समझौता किया है। भारत ने परस्पर कानून सहयोग समझौता भी 39 देशों के साथ किया है। ऐसे समझौते में शामिल देश वांछित अपराधी पर मुकदमा चलाने के लिए एक-दूसरे के साथ कानूनी सहयोग करते हैं, जिसमें शरण देने वाले देश में मौजूद उस व्यक्ति की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान भी होता है।

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अब जरा ललित मोदी की बात कर लें। वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का अध्यक्ष था। उस पर भी घोटालों के आरोप लगे तो वह लंदन भाग गया।

ललित मोदी उद्योगपति कृष्ण कुमार मोदी का बेटा है। कृष्ण कुमार चार हजार करोड़ रुपयों की कीमत वाले मोदी समूह के अध्यक्ष थे। ललित मोदी के दादा राज बहादुर गुजरमल मोदी ने मोदीनगर की स्थापना की थी। ललित मोदी अपने पिता की कुछ साल पहले हुए मौत के समय भी दिल्ली नहीं आया था। सरकार को इन सब भगोड़ो को वापस देश में लाना है। दाऊद इब्राहिम अब पाकिस्तान के कराची शहर में है। उसकी बेटी की शादी पाकिस्तान के मशहूर क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से हुई है। यह बात तो सारी दुनिया जानती है। देखा जाए तो पाकिस्तान को चाहिए कि वह दाऊद इब्राहिम को सीधे-सीधे भारत को सौंप दे। अगर पाकिस्तान इस तरह का कोई कदम उठाता है, तो इससे भारत-पाकिस्तान के बीच फिर से विश्वास का माहौल बनेगा।

मेहुल चोकसी को भारत वापस लाने के क्रम में बाकी भगोड़ों को भी याद रखना जरूर होगा। उन्हें भी तो देश की जेलों में चक्की पिसवानी है।

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लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)

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