AtalHind
टॉप न्यूज़राजनीतिराष्ट्रीयविचार /लेख /साक्षात्कार

क्या नरेंद्र मोदी को हीरो मानने वाले लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है?

“12” सप्ताह ने “72” महीनों की मोदी की मेहनत पर “फेर” दिया पानी
मोदी के कामयाब “सफर” पर कोरोना बन गया “ग्रहण”
बड़े-बड़े बोर्ड फैसले लेकर देश की राजनीति की दशा-दिशा बदलने का साहस रखने वाले मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ क्या अब गिर रहा है?
-जो लोग पिछले सात साल से इस सरकार के कामकाज से संतुष्ट थे, क्या अचानक अब उनकी संख्या में भारी कमी आई है?
-क्या नरेंद्र मोदी को हीरो मानने वाले लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है?
– क्या मोदी की सबसे प्रधान कामयाब प्रधानमंत्री की छवि को आघात लगा है?
ये सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि हाल ही में दो ऐसे सर्वे हुए हैं जिसमें दावा किया गया है कि मोदी की अप्रूवल रेटिंग पहले के मुकाबले घटी है. एक सर्वे अमेरिका की अंतराष्ट्रीय डेटा इंटेलिजेंस कंपनी ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ ने किया है, जबकि दूसरा सर्वे भारतीय एजेंसी ‘सी-वोटर’ ने किया है जो चुनावी सर्वे के लिए मशहूर है. अमेरिकी कंपनी के सर्वे के मुताबिक मोदी की लोकप्रियता में कमी तो आई है लेकिन अभी भी उनकी अप्रूवल रेटिंग 63 फीसदी के आसपास है. यह उनके समर्थकों व बीजेपी के लिए शुभ संकेत है क्योंकि यदि यह 50 प्रतिशत से नीचे होती, तो इसे खतरे का संकेत माना जाता. जबकि सी-वोटर के सर्वे पर यकीन करें, तो वह मोदी व उनकी पार्टी के लिए थोड़ी परेशानी बढ़ाने वाला है. इस सर्वे के मुताबिक पीएम के कामकाज से बेहद संतुष्ट होने वाले लोगों की संख्या में तेजी से कमी आई है. पिछले साल ऐसे लोग 65 प्रतिशत थे, जो अब घटकर 37 फीसदी रह गए हैं. जाहिर है कि इस एक साल के कोरोना काल में सरकार के कामकाज से नाराज़ होने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है, जिसे अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता. इस एजेंसी ने तो यह भी दावा किया है कि 2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि उनके कामकाज से असंतुष्ट लोग बहुमत में हैं.
इसमें भी कोई दो राय नहीं कि मोदी की लोकप्रियता में ये जो बदलाव आया है, उसका मुख्य कारण कोरोना महामारी है. लोगों को लगता है कि इस चुनौती से निपटने में सरकार का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा क्योंकि न तो वह दूसरी लहर का अंदाजा लगा पाई और न ही वह इस संकट का सामना करने के लिए पूरी मजबूती से तैयार ही दिखी. अगर इन सर्वे के नतीजों को पूरी तरह से अनदेखा भी कर दिया जाए, तो भी इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता कि दूसरी लहर का अंदाज़ा न लगा पाना एक बड़ी प्रशासनिक भूल व गलती थी. अगर मोदी से मोहभंग होने वालों की संख्या बढ़ी है, तो उसकी एक वजह यह भी है कि समय से पहले ही यानी इस साल की शुरुआत में ही कोरोना पर जिस तरह से जीत के दावे किये गए, उस पर लोगों ने भरोसा किया लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट. दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से कमोबेश हर राज्य में मेडिकल सिस्टम चरमरा गया, उसका गुस्सा भी लोगों ने अपने राज्य की बजाए केंद्र सरकार पर ही निकाला.
वैसे मोदी की छवि एक कुशल राजनेता व योग्य प्रशासक की रही है, लिहाज़ा इसे बरकरार रखने और लोकप्रियता की उसी बुलंदी पर बने रहने के लिए फिलहाल कोरोना के टीकाकरण की चुनौती से निपटना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए. इस अभियान में तेजी लाकर जितनी जल्दी पूरी आबादी का टीकाकरण होगा,लोग भी उतनी ही जल्द इस सरकार की कमियों व जवाबदेही को भूल जाएंगे.पुरानी कहावत है कि वक़्त हर ज़ख्म को भर देता है और अभी तो उनके पास पूरे तीन साल बचे हैं.
बात यह है कि मोदी सरकार के शानदार  72 सप्ताह के शासनकाल पर कोरोना की दूसरी लहर के 12 सप्ताह भारी पड़ गए हैं।
मार्च-अप्रैल और मई के 3 महीनों में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता एकदम घटकर आधी रह गई है।
फरवरी में मोदी को सबसे बेहतर प्रधानमंत्री मानने वाले और उनके काम को शानदार बताने वाले 68 परसेंट लोगों की संख्या एक दम आधी होकर 32% रह गई है।
ऑक्सीजन गैस के लिए मारे मारे फिरने वाले लाखों लोग…. वेंटिलेटर के लिए हाथ जोड़कर इधर-उधर भागते लाखों लोग… अस्पतालों में बेड की मारामारी के बीच 50…. 100… 200 किलोमीटर तक बदहवास भागने वाले लाखों लोग…. परिजनों की जान बचाने के लिए 2500 की दवाई 25000 में खरीदने वाले हजारों लोग इन तीन महीनों के जख्मों को पूरी उम्र नहीं भूल पाएंगे।
देश के सैकड़ों शहरों में अस्पतालों के बाहर बेड के इंतजार में खड़ी दर्जनों एंबुलेंस, श्मशान घाटों के बाहर अंतिम संस्कार के इंतजार में कतारों में रखी अरथियां, गंगा में बहने वाले हजारों लाशें मोदी की मजबूत और कामयाब छवि को सिसकियों और लानत से लपेट गई हैं।
राज्य सरकारों की लचर व्यवस्था का ठीकरा भी प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के सिर पर फूटा है।
यही कारण है कि कल तक हीरो कहे जाने वाले मोदी काफी लोगों की नजर में अब एकदम जीरो हो गए हैं।
आक्रोश और नाराजगी के इस दौर से बाहर निकलना प्रधानमंत्री मोदी के लिए बड़ी चुनौती है अब देखना है कि वह इस नाराजगी को उम्मीद और भरोसे में बदलने के लिए अगले 3 साल में क्या क्या कदम उठाते हैं।


7 साल की बिंदास उपलब्धि 😜🤪लिबास बदलने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी पूरी दुनिया में नंबर वन नेता

Advertisement
Advertisement

Related posts

‘बाय बाय मोदी’ होर्डिंग पर लिखना , मकसद प्रधानमंत्री मोदी को ‘बदनाम’ करना-पुलिस

atalhind

मोदी सरकार की किसानों के साथ दोगली वार्ता और वादाख़िलाफ़ी क्यों  ?

editor

सरकारी संपत्ति को पहुंचाया नुकसान, तो प्रदर्शन करने वालों से होगी वसूली- हरियाणा सरकार

editor

Leave a Comment

URL