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जल नही बचाएंगे तो भविष्य में आएगी परेशानियां :  प्रदीप दहिया  

वर्तमान परिवेश में भू-जल को बचाना है महत्वपूर्ण, किसान धान फसल की जगह उगाए अन्य फसलें,

जल नही बचाएंगे तो भविष्य में आएगी परेशानियां :  प्रदीप दहिया

Kaithal News, 20 जुलाई (अटल हिन्द/राजकुमार अग्रवाल )

उपायुक्त प्रदीप दहिया ने बताया कि पानी हमारे पृथ्वी ग्रह पर एक अमूल्य धरोहर है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ”जल है तो कल है” तथा ”जल जो न होता तो जग खत्म हो जाता” आदि उक्तियों के माध्यम से हम जल की महत्ता को स्वीकारते हैं। वैसे तो भूमि का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है, जिसमें से 96.5 प्रतिशत पानी की मात्रा समुद्रों के अन्दर समाहित है जोकि नमकीन होने के कारण पीने एवं फसलों और औद्योगिक प्रयोग के लायक नहीं है केवल शेष 3.5 प्रतिशत पानी ही इस खुबसूरत ग्रह पृथ्वी पर गलेशियर व झरनों के रूप में उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि भू-जल, जिसे भूमिगत या भौमजल भी कहा जाता है। वर्तमान में उसका अत्याधिक दोहन चिन्ता का विषय बना हुआ है। पानी के अत्याधिक प्रयोग के कारण भू-जल स्तर के तेजी से गिरने एवं डार्क ज़ोन के ब्लॉक्स में भी तेजी से बढ़ौतरी होना भविष्य में उत्पन्न होने वाले गहरे जल संकट की ओर संकेत है। भू-जल के दोहन की रफ्तार पर यदि लगाम नहीं लगाई गई तो खेती तो दूर पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा। जिला कैथल के तीन खण्ड गुहला, सीवन और राजौन्द को डार्क ज़ोन पहले ही घोषित किया जा चुका है। जिला कैथल में पिछले 10 सालों में भूमिगत जल स्तर 11.70 मीटर तक गिर चुका है और विशेषज्ञों के अनुसार हर साल लगभग एक मीटर भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है। इसका मुख्य कारण व्यवस्थित ढंग से जल का संरक्षण न करना है, जिसमें मुख्य रूप से तेजी से हो रहा शहरीकरण, धान की फसल की सिंचाई में होने वाली असीमित पानी की खपत आदि हैं। ”धान का कटोरा” कहे जाने वाले इस क्षेत्र में सिंचाई मुख्यत: ट्यूबवेलों से की जाती है जिससे एक किलोग्राम चावल के उत्पादन में 2500 से 4000 लीटर पानी खर्च किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2011 में कैथल का भू-जल स्तर 22.20 मीटर था जो जून 2021 में औसतन 35.05 मीटर तक पहुँच गया । जिला के कुछ गाँव में तो भूमिगत जल स्तर भयंकर रूप से नीचे गिर चुका है जिसका विवरण नीचे दिया गया है:-
खण्ड का नाम गाँव का नाम भूमिगत जल स्तर (मीटर में)
सीवन रामथली 61.40
सीवन बाबा लदाना 60.60
सीवन जनेदपुर 58.00
गुहला भूना 58.98
कैथल संगतपुरा 58.60

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार जिला कैथल में लगभग एक लाख 55 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल उगाई जाती है। लगातार गिर रहे भू-जल स्तर के मद्देनजर हरियाणा सरकार द्वारा खरीफ  सीजन के लिए फसल विविधिकरण के अन्तर्गत धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई के लिए ”मेरा पानी मेरी विरासत” स्कीम लागू की तथा साथ ही धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देने के लिए भी स्कीम चलाई, जिसके तहत किसानों को कई प्रकार से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ”मेरा पानी मेरी विरासत” स्कीम को भी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ-साथ बागवानी विभाग में भी लागू किया गया है, जिसके अन्तर्गत किसानों को जागरूक करके धान की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें जिनमें फल, फूल, सब्जियां आदि की बिजाई के लक्ष्य दिए गए हैं।

फाईल फोटो: उपायुक्त प्रदीप दहिया
खण्डवार तुलनात्मक भू-जल स्तर, जिला कैथल (वर्ष 1974, वर्ष 2011, वर्ष 2021)
भू-जल स्तर मीटर में
खण्ड का नाम वर्ष 1974 वर्ष 2011 वर्ष 2021 दशक/ऐतिहासिक बदलाव
वर्ष 2011-21 वर्ष 1974-2021
गुहला 6.88 29.31 42.87 -13.56 -35.99
कैथल 4.62 22.20 35.05 -12.85 -30.43
पूण्डरी 6.71 17.03 30.55 -13.52 -23.84
राजौन्द 6.67 8.98 18.02 -9.04 -11.35
कलायत 3.81 6.49 11.94 -5.45 -8.13
सीवन 7.98 37.01 51.16 -14.15 -43.18
ढाण्ड 4.98 21.42 34.79 -13.37 -29.81

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बॉक्स: 1974 से 2021 तक 26 मीटर से अधिक गिरा भू-जल स्तर – डा. कर्मचन्द
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. कर्मचन्द ने बताया कि 1974 में कैथल का भू-जल स्तर 4.62 मीटर था जो जून 2021 तक बढ़कर 35.05 मीटर तक पहुँच गया, इसका मतलब है कि इस दौर में भू-जल स्तर में 30.43 मीटर का बदलाव आया है। वर्ष 2011 से वर्ष 2021 तक की बात की जाए तो इस दौर में भू-जल स्तर में 12.85 मीटर का बदलाव आया है यानि प्रति वर्ष लगभग एक मीटर भू-जल स्तर नीचे जा रहा है। यदि भू-जल स्तर में गिरावट की यही गति रही तो यह हम सभी के लिए बहुत ही कष्टदायक होगा। इस स्थिति को संभालने के लिए इस क्षेत्र में बहुत सारे सांझे प्रयास करने की आवश्यकता है, जिसके अन्तर्गत पानी का अत्याधिक दोहन करने वाली फसलों को छोड़कर कम पानी में होने वाली फसलों को अपनाना होगा, वर्षा जल संचयन, भू-जल पुनर्भरण तकनीकों को अपनाना, भू-जल की मोनिटरिंग एवं प्रबंधन आदि को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग इस ओर प्रयास कर रहा है। चालू खरीफ  सीजन में ”मेरा पानी मेरी विरासत” स्कीम को क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसके तहत धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई करने पर किसानों को रुपये 7000 प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है। इसके साथ-साथ धान की सीधी बिजाई को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए 5000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है।
फोटो: 1  खेतों में किसानों को समझाते कृषि एवं कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. कर्मचद

बॉक्स : गांव गुहणा के किसानों ने 50 प्रतिशत भूमि पर की धान की सीधी बिजाई
जिला कैथल में गाँव गुहणा में 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पर किसानों द्वारा जल की महता को समझते हुए धान की सीधी बिजाई की गई है और पूरे जिला के अन्दर लगभग 10 हजार एकड़ में धान की सीधी बिजाई के अन्तर्गत एरिया कवर किया गया है, जोकि एक सुखद संदेश है। वर्षा जल संचयन के लिए ”जल शक्ति अभियान” चलाया जा रहा है जिसमें विभाग द्वारा व्यापक रूप से प्रत्येक गाँव में समूह सभाओं का आयोजन करके किसानों के साथ आमजनों को भी जागरूक किया जा रहा है।

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