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तो देश कैसे बचे ओमिक्रॉन से

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कई राज्यों ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रात का कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।

तो देश कैसे बचे ओमिक्रॉन से

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                                                                                 आर.के. सिन्हा

जब लग रहा था कि हम कोरोना को मात दे चुके हैं या उसका कहर कमजोर पड़ गया है, बस तब ही भारत समेत दुनियाभर में कोरोना के एक और वैरियंट ओमिक्रॉन ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वैरियंट देश के 19 राज्यों अब तक को अपनी चपेट में ले चुका है। यह भयावह स्थिति है। स्थिति और गंभीर इसलिए लग रही है क्योंकि अब छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक में लोगों ने मास्क और सोशल डिस्टेंनसिंग के नियमों को मानने से लगभग इंकार कर दिया है। बाजारों, पार्कों, रेस्तराओं, शादी- ब्याह के आयोजनों में सब कुछ कोरोना काल से पहले की तरह से हो रहा है।

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क्या फिर से लॉकडाउन की नौबत आएगी? इसका पता जल्दी ही चल जाएगा।फिलहाल कई राज्यों ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रात का कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। दिल्ली में लगभग 79 लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया है। राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, पूर्वोत्तर राज्यों वगैरह में भी ओमिक्रॉन पहुंच गया है। तो ओमिक्रॉन से किस तरह से मुकाबला किया जा सकेगा? अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया  मानते हैं कि मौजूदा टीके इस बीमारी के खिलाफ प्रभावी हैं। उम्मीद की किरण यह भी कि यह एक मामूली बीमारी लगती है और जहां तक टीके की बात है तो हमें इसे लगवा कर सुरक्षित हो ही जाना चाहिए। बेशक, अगले कुछ हफ्ते काफी अहम होंगे। तब तक काफी हद तक स्थिति साफ हो चुकी होगी कि ओमिक्रॉन किस हद तक घातक है। एक सुकून भरी खबर यह भी है कि दक्षिणी अफ्रीका में ओमिक्रॉन का सबसे पहले पता लगाने वाली डॉ.एंजेलिक कोएत्जी ने कहा है कि यह वायरस  घातक नहीं होगा। लेकिन, टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को तो शत-प्रतिशत खतरा है। मौजूदा टीकों से संक्रमण को कम करने में काफी मदद मिलेगी, क्योंकि यदि आपका टीकाकरण हो चुका है या आप पहले भी संक्रमित हो चुके हैं, तो आप केवल एक तिहाई संक्रमण फैलाएंगे, जबकि टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग संभवत: शत प्रतिशत संक्रमण फैलाएंगे।

फिलहाल सबको समझना होगा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है। तो अब उन लोगों को बिना देर किए टीके लगवा लेने चाहिए जो अब भी किसी कारण से इन्हें नहीं लगवा पाए हैं या किसी भ्रान्तिवश नहीं लगवा रहे हैं। मुझे कुछ दिन पहले राजधानी दिल्ली के नगर निगम स्वास्थ्य केन्द्र के एक कोरोना वारियर ने बताया कि ओमिक्रॉन के फैलने की खबरें आने के बाद से उनके दरियागंज सेंटर में टीका लगवाने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ने लगी है। हालांकि जब तक इसका असर सामने नहीं आया था तो लोग एक तरह से मानने लगे थे कि अब उन्हें कोरोना का कोई खतरा नहीं है। यह मानसिकता सच में बहुत घातक है। समझ नहीं आ रहा कि टीका ना लगवाने वाले साबित क्या करन चाहते हैं। इनके सामने देश ने विगत अप्रैल और मई के महानों में कोरोना के कारण आई प्रलय को देखा था। लाखों लोग कोरोना के शिकार हो गए थे। इसके बावजूद इन्हें समझ नहीं आ रहा कि  अपनी जान बचाने का सिर्फ एक रास्ता टीका ही रह गया है। देश के दूर-दराज इलाकों में स्थित गांवों को तो छोड़िए, शहरों और महानगरों में भी हजारों-लाखों लोग टीका नहीं लगवा रहे हैं। ओमिक्रॉन के कारण जो स्थिति बनी है उसे देखते हुए अब भी जो शख्स टीका लगवाने को लेकर गंभीर नहीं है, उसका कोई इलाज नही है। उसका भगवान ही मालिक है। टीके मुफ्त में लग रहे हैं और फिर भी कुछ लोग नासमझ बने हुए हैं। यह एक नीचता पूर्ण राष्ट्रद्रोह की कारवाई है I अब सभी उम्र के लोगों को खुद टीका लगवाना चाहिए और कोरोना गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। टीके के बाद भी फेस मास्क पहनना  भी जरूरी है। गाइड लाइन का उल्लंघन करने वाले पर सख्त कारवाई करनी चाहिये I

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देखिए सरकार तो अपनी तरफ से जो कर सकती है, वह तो कर ही रही है। सरकार ने अब लोगों को बूस्टर डोज लगाने का फैसला किया है। यह लोगों को अब तक लगाई गई वैक्सीन की दोनों डोजों के अलावा होगी। सरकार ने 60 साल से ऊपर के लोगों या गंभीर बीमारों के लिए बूस्टर डोज लगाने का फैसला किया है।ऐसे लोग अपने डॉक्टरों की सलाह पर 10 जनवरी से ये डोज लगवा सकेंगे।कोरोना काल में हमारे  हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स ने लोगों की जान बचाने में बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई है।सरकार ने उनके लिए भी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने का फैसला किया है।बच्चों के लिए भी कोरोना वैक्सीनेशन शुरू की जा रही है।  सरकार की तरफ से की जा रही इन सब कोशिशों का स्वागत होना चाहिए। लेकिन केन्द्र और राज्यों को अभी से तैयारी कर लेनी चाहिए कि अगर स्थिति गंभीर हो तो आक्सीजन सिलेंडर और रोगियों के लिए अस्पतालों में बैड की व्यवस्था में कोई कमी ना हो। सारा देश देख चुका है जब हमारी सारी स्वास्थ्य सेवाएं काहिल और कमजोर साबित हुईं थीं। तब रोगी और उनके परिवारवाले जेब में पैसा लेकर घूम रहे थे और उन्हें कहीं से कोई सहायता नहीं मिल रही थी। मुझे कहने दीजिए कि कोरोना संकट के समय कई निजी अस्पतालों ने बहुत बेशर्मी से लोगों को लूटा। उनका जमीर मर चुका है। सरकार को इन धूर्तों और मानवता के दुश्मनों को किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहिए। इन्हें उचित दंड दिया जाना चाहिए। क्या इन निजी अस्पतालों का एकमात्र लक्ष्य पैसा ही कमाना है? मुझे पता चला कि देश के कुछ महानगरों के नामवर अस्पतालों में 12 से 15 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कोरोना रोगियों से पैसा लिया । क्या ये अस्पताल अब फाइव स्टार होटल हो गए हैं? क्या इनकी मनमानी पर कोई रोक लगाएगा? इन्हें कसा जाना चाहिए। तो कुल मिलाकर बात ये है कि आने वाले समय में देश के कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेजी से बढ़ जाएगी। रैलियां भी होंगी। सरकारों और आम नागरिको को बहुत समझदारी से अपने कदम बढ़ाने होंगे। तब ही हम ओमिक्रॉन से  बच जाएंगे।

 (लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)

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