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स्वायत्त संस्था की आपत्ति के बाद भी केंद्र ने रामदेव को शिक्षा बोर्ड की मंज़ूरी दी: रिपोर्ट

स्वायत्त संस्था की आपत्ति के बाद भी केंद्र ने रामदेव को शिक्षा बोर्ड की मंज़ूरी दी: रिपोर्ट
नई दिल्ली: रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा वैदिक शिक्षा पर एक राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड, भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी) की स्थापना के लिए केंद्र ने एक स्वायत्त संस्थान की आपत्तियों को खारिज कर दिया और उसकी परिषद की बैठक के रिकॉर्ड में एक महत्वपूर्ण एजेंडा आइटम को बदल दिया.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जांच किए गए आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चला है कि इस पूरी प्रक्रिया को दो महीने में पूरा कर लिया गया था ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले मंजूरी मिल जाए.
इस प्रक्रिया को रोकने का यह असफल प्रयास शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले एक स्वायत्त संगठन उज्जैन स्थित महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी) की ओर से किया गया था, जो वेद विद्या को प्रोत्साहित करने और संरक्षित करने पर काम कर रहा है.
जनवरी 2019 में आयोजित गवर्निंग काउंसिल की एक बैठक में बीएसबी को लगाने के लिए, अपना बीएसबी गठित करना चाह रहे एमएसआरवीवीपी से एक निजी प्रायोजक निकाय नियुक्त करने के लिए कहा गया था.
बैठक की अध्यक्षता तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की थी, जो अपने कार्यालय के आधार पर एमएसआरवीवीपी के प्रमुख भी थे.
बीएसबी को देश का पहला राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड माना गया था जो पाठ्यक्रम तैयार करने, स्कूलों को संबद्ध करने, परीक्षा आयोजित करने और प्रमाण पत्र जारी करके भारतीय पारंपरिक ज्ञान का मानकीकरण करेगा और आधुनिक शिक्षा के साथ इसे मिश्रित करेगा.
एमएसआरवीवीपी के सचिव वी. जद्दीपाल, जो वहां प्रमुख शैक्षणिक और कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियमों और उपनियमों के अनुपालन के लिए जिम्मेदार हैं, ने बार-बार कानूनी चिंताएं जताई.
उन्होंने शिक्षा मंत्रालय (तब मानव संसाधन विकास मंत्रालय) को तीन बार पत्र लिखकर पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को केंद्र से स्पष्ट आदेश के बिना बीएसबी की स्थापना के लिए अंतिम अनुमोदन पत्र जारी करने की अनिच्छा व्यक्त की.
हालांकि, जद्दीपाल की आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया और मंत्रालय ने एसएमआरवीवीपी के एक अन्य अधिकारी तत्कालीन उपाध्यक्ष रवींद्र अंबादास मुले को 9 मार्च, 2019 को, चुनाव आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के अनुमोदन पत्र पर मोहर लगाने के लिए कहा.
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर जद्दीपाल ने कहा कि वे इस मामले पर बोलना नहीं चाहते हैं.
वहीं, मुले ने कहा कि वह अनुमोदन पत्र जारी करने के लिए अधिकृत थे क्योंकि जद्दीपाल उस दिन पहुंच से बाहर थे. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें जद्दीपाल की आपत्तियों के बारे में पता है, मुले ने इनकार कर दिया.
अब सूचना और प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने अखबार द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया और सुझाव दिया कि सवाल शिक्षा मंत्रालय से पूछे जाएं. उधर पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने भी अखबार के अनुरोध पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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