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हत्यारी पुलिस क्या करे आम जनता ,नाबालिग को इतना पीटा की मर गया

 ग्रामीणों ने गोविंद के शव पर से कपड़े हटाकर पुलिस की कथित पिटाई के सबूत दिखाए और लोग इसके वीडियो बनाने लगे

 

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हत्यारी पुलिस क्या करे आम जनता ,नाबालिग को इतना पीटा की मर गया 

लखीमपुर खीरी()मेरा भाई उनके पैर पड़ता रहा कि उसने मोबाइल नहीं चुराया. वो गिड़गिड़ाता रहा पर उन्होंने (पुलिसवालों ने) कुत्तों की तरह मारा मेरे भाई को. उसने घर आकर रोते हुए मुझे बताया था. पुलिस ने जहां मारा था शर्म के मारे वो कुछ दिखा भी नहीं सकता था. जब उसकी तबियत बिगड़ी तभी पुलिस ने मेरी मां को बुलाकर उसे सौंप दिया. घर आकर रोते हुए गोविंद* ने मुझे बताया कि दीदी मुझे जानवरों की तरह मारा.’ये उस बहन के शब्द हैं जिसका इकलौता भाई गोविंद उसे रविवार को हमेशा के लिए छोड़कर चला गया. पूजा ये बताते-बताते फफककर रो पड़ती हैं. नारी शक्ति का ढिंढोरा पीटने वाले प्रदेश में इस बेटी का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.मामला उत्तर प्रदेश का है, जहां के मुख्यमंत्री कानून के राज की दुहाई देते नहीं थकते हैं, पर इसी क़ानूनी राज में लखीमपुर खीरी पुलिस पर थारू जनजाति के एक नाबालिग की कथित तौर पर बेरहमी से पिटाई का आरोप लगा है. नाबालिग गोविंद ने बाद में एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया.

परिवार वालों ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ तहरीर भी दी पर अभी तक कोई एफआईआर नहीं हुई. हालांकि एक चौकी इंचार्ज और दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

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क्या है मामलामामला रविवार का है. भारत-नेपाल सीमा के पास के खीरी जिले के संपूर्णानगर कोतवाली के खजुरिया चौकी इलाके के कमलापुरी गांव के रहने वाले लच्छीराम और सीता देवी की इकलौते 16 साल बेटे गोविंद पर उसी के सगे चाचा ने मोबाइल चोरी का आरोप लगाते हुए 17 जनवरी को चौकी खजुरिया में शिकायत दर्ज करवाई.

पुलिस ने 19 जनवरी को पूछताछ के लिए गोविंद को बुलाया. मां सीता देवी भी ग्राम प्रधान गुरबाज सिंह और कुछ और लोगों को लेकर चौकी गईं. सीता देवी का कहना है कि पुलिस ने उन्हें और प्रधान को पूछताछ का आश्वासन देकर दो-चार घंटों में गोविंद को छोड़ने को कहा. पर जब वो दोबारा चौकी पहुंचे तो गोविंद दर्द से तड़प रहा था.

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गोविंद के शिकायतकर्ता चाचा ने भी जब ये हाल देखा तो उन्होंने घर में बात निपटा लेने की बात कहते हुए समझौता कर लिया और घर चले आए. इसके बाद गोविंद ने घर आकर जो बताया उससे घरवाले हैरान रह गए. गोविंद ने बेरहमी से मारपीट और थर्ड डिग्री के टॉर्चर की बात बताई, जिसके चलते वो ठीक बैठ तक नहीं पा रहा था. परिजन पास की दुकान से दवा लाए, पर गोविंद को आराम नहीं मिला.

गोविंद की मां सीता देवी ने बताया, ‘बेटे को पुलिस ने बेरहमी से मारा. इतना मारा कि वो चारपाई पर भी बैठ नहीं पा रहा था. हालत बिगड़ी तो उसे हम लोग पलिया के प्राइवेट अस्पताल ले गए. भर्ती करने के बाद दिनभर कराहता रहा और रात दो बजे दम तोड़ दिया मेरे लाल ने.’

यह कहते-कहते वो सिसकने लगती हैं, ‘पुलिस वालों ने मेरे लाल को छीन लिया. जल्लाद हैं ये. कोई ऐसे मारता है कहीं कोई किसी को.’23 जनवरी को जब गोविंद की मौत की खबर गांव में पहुंची तो लोग आक्रोशित हो गए. गोविंद का शव घर पहुंचा तो लोग उसे लेकर सड़क पर बैठ गए. पुलिस के खिलाफ तब आक्रोश हुए बढ़ गया, जब ग्रामीणों ने गोविंद के शव पर से कपड़े हटाकर पुलिस की कथित पिटाई के सबूत दिखाए और लोग इसके वीडियो बनाने लगे.

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आक्रोशित परिजनों और भीड़ ने खजुरिया चौकी इंचार्ज और तीन सिपाहियों पर गोविंद की हत्या का आरोप लगाया और सड़क जाम कर प्रदर्शन भी किया.

एक तरफ ग्रामीणों और परिजनों में गम और गुस्सा था वहीं पुलिस कागजों में मामले को सुलटाने में लगी थी. संपूर्णानगर  कोतवाली में पुलिस ने मृतक की मां सीता देवी की बीस जनवरी को दी गई एक तहरीर पर मृतक के चाचा रामबहादुर और कमलापुरी गांव के ही एक युवक राजवीर पर आईपीसी की धारा 304 में मुकदमा दर्ज कर लिया है.

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खीरी के एसपी संजीव सुमन ने खीरी पुलिस के ट्विटर हैंडल और मीडिया सेल पर पत्रकारों को भेजे बयान में कहा, ‘संपूर्णानगर  कोतवाली इलाके में 17 साल के बच्चे की मृत्य हुई है. परिजनों ने पुलिस पर इल्जाम लगाया है कि पुलिस ने बच्चे को मारा है इसलिए बच्चे की मृत्यु हुई है.एसपी ने बयान में कहा है, ‘मृतक के सगे चाचा ने 17 जनवरी को मोबाइल चोरी का आरोप लगाया था. शिकायत पर बच्चा अपने परिजनों के साथ आया था, जब उसके साथ उसकी मां और ग्राम प्रधान समेत कुछ और लोग भी थे. सबके सामने पूछताछ हुई. 19 तारीख को समझौता हुआ है. पुलिस के सामने तीन बजे गोविंद चौकी क्षेत्र से सकुशल परिजनों के साथ चला गया.’उन्होंने आगे कहा, ’20 तारीख की घटना बताकर रविवार सुबह उसकी माता और पांच छह अन्य ने चाचा और अन्य पर आरोप लगाया कि इन लोगों ने मारा-पीटा. पर वादी सर्वोपरि है. अब दोनों तहरीरों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है. आगे विवेचना की जा रही. पुलिस वाले दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

नेपाल से 40 साल पहले भारत आए थे गोविंद के बाबागोविंद की मौत से लोगों में गुस्सा है. मजदूरी पेशा ये थारू परिवार बेहद गरीबी में गुजर-बसर कर रहा है. गोविंद का परिवार कई साल पहले नेपाल से आकर कमलापुर गांव में रहने लगा था. गोविंद के बाबा 40 साल पहले नेपाल से आकर सिख किसानों के यहां मजदूरी करते थे, फिर वे यहीं बस गए.

अब गोविंद के पिता लच्छीराम भारत के वोटर हैं, वे रोते हुए कहते हैं, ‘पता होता तो नेपाल में ही रहते. कम से कम बेटा तो न खोते. पुलिस इतनी जालिम होती है आज पता चला. मेरे बेटे की जान ले ली इन लोगों ने.’

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गोविंद की मां सीता देवी रोते हुए कहती हैं, ‘पुलिस ने ही मेरे बेटे को बुरी तरह पीटा.’ गांव के एक युवक का नाम लेते हुए वे कहती हैं कि पहले बेटे पर मोबाइल चोरी का झूठा आरोप लगाया फिर पुलिस को पैसे देकर बेटे को बुरी तरह पिटवाया जिससे उसकी हालत बिगड़ी.

शुरू हुए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपखीरी जिले में चौथे चरण में मतदान होना है. विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.

कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से इस मामले को लेकर ट्वीट किया है, ‘लखीमपुर में पुलिस ने थारू समुदाय के 17 वर्षीय युवक की हिरासत में पीटकर हत्या कर दी. हिरासत में हत्याओं के लिए कुख्यात यूपी पुलिस बार-बार ऐसी क्रूरता को अंजाम देती है क्योंकि सीएम अजय सिंह बिष्ट का पुलिस पर कोई नियंत्रण नहीं है. असली जंगलराज, जहां रक्षक ही भक्षक है.’वहीं समाजवादी पार्टी ने भी योगी सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘भाजपा सरकार में कस्टोडियल डेथ में नंबर वन यूपी में एक और पुलिस किलिंग! ‘मेरे भाई को इतना मारा की उसकी जान चली गई’, लखीमपुर खीरी में पुलिस की पिटाई से 17 वर्षीय युवक की मृत्यु अत्यंत दुखद! रोते-बिलखते परिजनों की फरियाद सुन उन्हें न्याय दें सीएम. जनता वोट से देगी जवाब.

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इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक प्रतिनिधिमंडल गोविंद के घर पहुंचा, वहीं भाजपा के स्थानीय विधायक रोमी साहनी ने भी परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना दी है.

क्या घटना का चुनाव पर कोई असर होगाहालांकि सवाल है कि क्या यह मौत चुनावी माहौल में कोई असर पैदा कर पाएगी. लखीमपुर खीरी के युवराजदत्त पीजी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जेएन सिंह कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता ये मुद्दे चुनावों पर कोई असर करेंगे. पुलिस के लिए दलित आसान शिकार होता है. गरीब के लिए पुलिस-कानून कुछ नहीं हैं. ये चुनावी मुद्दा बन पाएगा ये बहुत मुश्किल लगता. हां, इसे लेकर थोड़ा शोर हो सकता है बस.’इसी कॉलेज के ही प्रवक्ता डॉ. एनएल वर्मा कहते हैं, ‘पुलिस का अपना एक कैरेक्टर होता है, वो हमेशा कमजोर को ही उठाती है, चाहे वो दलित हो या कोई सवर्ण. अगर उसके साथ कोई खड़ा होने वाला नहीं तो पुलिस कानून-वानून कुछ नहीं मानती. घटना दुखद है पर गरीब की मौत कभी चुनावों को प्रभावित नहीं कर पाती. मुद्दा हमेशा बड़ा आदमी बनता है. गरीब-कमजोर केवल वोट देता है.’(परिवर्तित नाम)

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