AtalHind
टॉप न्यूज़हेल्थ

हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिया ने कोरोनिल खरीद में सूचना के अधिकार के तहत सरकार के निर्णय पर खड़े किए गंभीर सवाल!

बाबा रामदेव की कंपनी से कोरोनिल खरीद में सरकार गैर-पारदर्शी : हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिया ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार के निर्णय पर खड़े किए गंभीर सवाल!

हरियाणा सरकार ने जैसे ही ऐलान किया है कि राज्य में कोरोना मरीजों को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की विवादित आयुर्वेदिक दवा ‘कोरोनिल’ की किट दी जाएगी और कोरोनिल का आधा खर्च हरियाणा सरकार के कोविड राहत कोष ने वहन किया जाएगा तो पंजाब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिया ने सरकार के निर्णय के बारे में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी! फरवरी महीने में रामदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की मौजूदगी में कोरोनिल को लॉन्च किया था. रामदेव ने दावा किया था कि यह कोरोना की पहली दवा है. इसके बाद इस पर काफी विवाद हुआ था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सवाल किया था कि एक डॉक्टर और एक स्वास्थ्य मंत्री कैसे देश में एक ‘अवैज्ञानिक’ प्रोडेक्ट को देश में बढ़ावा दे सकते हैं.
बॉक्स
आर.टी.आई आवेदन में इन बिन्दुओं पर सूचना मांगी है:
1. कोरोनिल को कोरोना के इलाज़ में प्रयोग में लाने की इज़ाज़त देने वाले प्रमाण पत्र की कॉपी!
2. हरियाणा सरकार और पतंजलि योग पीठ के बीच खरीद के करार की कॉपी!
3. दवाई खरीद के टेंडर की कॉपी
4. दवाई खरीद पर कुल कितना खर्च आएगा!

“IMA की स्टेटमेंट के अनुसार कोरोनिल कोविड के इलाज़ की प्रमाणित दवाई नहीं है और इसके भरोसे रहने से डेथ रेट बढ़ सकता है! ऐसे में बहुत साड़ी अन्य टोनिकों की तरह कोरोनिल भी सिर्फ एक इम्युनिटी बूस्टर टोनिक हो सकता है ! ऐसे में सरकार टेंडर प्रक्रिया अपनाकर सबसे वाजिब रेट देने वाले विक्रेता से टॉनिक खरीदना चाहिए! टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई या नहीं वो आर.टी.आई. के जवाब से ही पता चलेगा” – प्रदीप रापडिया, एडवोकेट

बता दें कि इससे पहले प्रदीप रापडिया केन्द्रीय सूचना आयोग को लॉ ऑफिसर के तौर पर लम्बे समय अपनी कानूनी सेवाएं दे चुके हैं; ऐसे में कानूनी पहलु पर उनका आवेदन बहुत महत्त्व रखता है ।

अपने आवेदन में प्रदीप रापडिया ने IMA की स्टेटमेंट का हवाला देते हुए कहा है कि एसोसिएशन ने कोरोनिल दवाई के हरियाणा सरकार के फैंसले का विरोध किया है और कहा है कि कोरोनिल के भरोसे रहने से मृत्यु दर बढ़ सकती है, ऐसे में उनके द्वारा मांगी गई सूचना लोगों की जान और सुरक्षा से सम्बंधित है जो कि आवेदन प्राप्त होने के 48 घंटे के अन्दर उपलब्ध करवानी होती है । लेकिन हरियाणा सरकार ने मौन धारण कर लिया जिसको लेकर उन्होंने अपील दायर की है और बताया कि अगर उन्हें अपील के बाद भी सूचना नहीं मिली तो उन्हें हाई कोर्ट में अर्जेंट केटेगरी में याचिका दायर करके हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी।

Advertisement

Related posts

BHARAT में 2022 में 9 लाख से ज़्यादा मौतें हुईं: डब्ल्यूएचओ

editor

Lok Sabha Election Facts-भारत की जनता का पसंद हमेशा कांग्रेस रही बीजेपी ने बदले कई नाम ,निर्दलीयों का रहा दबदबा 

editor

अरुणाय में उल्टी व दस्त का बढ़ा प्रकोप,लगभग 12 वर्षीय लड़की की हो चुकी है मौत,

admin

Leave a Comment

URL