3000 करोड़ की मूर्ति जरूरी थी या हस्पताल? राम मंदिर चाहिए या हस्पताल?
Delhi(Atal Hind)इंग्लैंड में दस वर्षों से हूँ, बीबी बच्चे यहीं हैं और हमारा परिवार यहाँ की स्थिति से सबसे अधिक और सीधा प्रभावित होता है. सुबह सुबह आँख खोलता हूँ, तो सबसे पहले भारत का कोरोना अपडेट देखता हूँ, बाद में यूके का. आज Mahendra H-c जी की पोस्ट पढ़ी, बिल्कुल यही बात उन्होंने जर्मनी के बारे में कही.
यह भावना कहाँ से आई? और आज की इस क्राइसिस में क्या काम आएगा? हस्पताल कितने काम आएंगे? इटली, स्पेन, फ्रांस में इतनी अच्छी हेल्थ सिस्टम है जिसने दम तोड़ दिया है. अमेरिका मेडिकल टेक्नोलॉजी का पायनियर है. वहाँ दुनिया में सबसे ज्यादा केसेस हैं. इंग्लैंड में रोज सौ से ज्यादा मौतें हो रही हैं. अगर यह बीमारी फैल गई तो किसी भी देश का हेल्थ सिस्टम उससे लड़ नहीं पायेगा. कोई भी देश अपने 5-10% नागरिकों को एक साथ स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे सकता.
तो क्या काम आएगा? काम आएगी यही राष्ट्रीय भावना. काम आएगा एकात्मता का भाव. हम एक साथ, एक जहाज में सवार हैं…अगर डूबे तो सभी डूबेंगे. जहाज में केबिन हों, फर्स्ट क्लास हो, लक्ज़री सूट हो…या फिर डेक पर यात्रा करते लोग. ये सभी विभेद तभी तक हैं जबतक जहाज तैर रहा है. डूबते हुए जहाज का कोई अलग अलग क्लास नहीं होता. जब तक हम यह नहीं समझेंगे, हमारा जहाज इस तूफान से नहीं निकलेगा. इसपर चढ़े आये करोड़ों पाइरेट्स इसे डुबाने के प्रयास में लगे हैं. उनसे हमें हमारी एकात्मता की भावना ही बचाएगी. जिनमें यह भावना है वे अनुशासन में हैं. जिनमे नहीं है वे यह बीमारी फैला रहे हैं. बिना राष्ट्रीयता के, बिना सामूहिक संगठन के हस्पताल और मेडिकल टेक्नोलॉजी कितनों को बचाएगी? आने वाले कठिन दिनों में हमारा संबल क्या होगा?
राममंदिर बनना चाहिए या हस्पताल? एक हस्पताल में आप 500-1000 लोगों का इलाज कर लेंगे. पर एक मंदिर करोड़ों हिंदुओं को, इस विराट समाज को जोड़ेगा. लोगों को एक दूसरे के कठिन समय में साथ खड़े रहने के लिए, एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करेगा. यह प्रेरणा ही इन कठिन दिनों में काम आएगी. धैर्य ही वह शस्त्र है जो इस आपदा में लोगों को शक्ति देगा.
एक मूर्ति अगर पूरे देश को राष्ट्रीयता की भावना देगी तो वह तीन हजार करोड़ में सस्ता सौदा है. एक मंदिर अगर विराट हिन्दू समाज को जोड़ता है तो वह हजारों हस्पतालों से ज्यादा कीमती है. उससे सृजित शक्ति से हम हजारों हस्पताल बना लेंगे. उस भावना के बिना दुनिया का बेहतरीन हस्पताल देखते देखते खंडहर हो जाएगा. उस राष्ट्रीय और सांस्कृतिक भावना के साथ चीन, कोरिया और जापान ने इस आपदा का सामना किया. बिना उस भावना के स्पेन और इटली ध्वस्त हो गए.