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BJP पार्टी प्रवक्ता की भूमिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !

BJP पार्टी प्रवक्ता की भूमिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !
अनिल जैन | 17 Dec 2023
भारत ,राजनीति
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भाजपा के आईटी सेल और आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया हैंडल से कांग्रेस और विपक्ष पर ज्यादा हमला हो रहा है। उधर समझा जा रहा है कि सोशल मीडिया के दबाव में राहुल की विदेश यात्रा स्थगित हुई है।
BJP पार्टी प्रवक्ता की भूमिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की रणनीति में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है। अब भाजपा के आईटी सेल और आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया हैंडल से कांग्रेस और विपक्ष पर ज्यादा हमला हो रहा है। अब तक प्रधानमंत्री मोदी के एक्स ट्विटर हैंडल से उनके आधिकारिक कार्यक्रमों की सूचना, उनके भाषणों के क्लिप्स और बधाई-शुभकामना-श्रद्धांजलि आदि के पोस्ट होते थे। लेकिन अब उससे हर छोटे-बडे मुद्दे पर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों पर हमले किए जा रहे हैं और वह भी संबित पात्रा, सुधांशु द्विवेदी और गौरव भाटिया जैसे अपने पार्टी प्रवक्ताओं के अंदाज में।
इसकी शुरुआत पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद हुई। उन्होंने ढेर सारे इमोजी के साथ कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि वह अपने अहंकार, अज्ञानता के साथ खुश हैं। उन्होंने लोगों को आगाह किया कि वे कांग्रेस और विपक्ष के विभाजनकारी एजेंडे से सावधान रहे क्योंकि 70 साल की आदत इतनी आसानी से नहीं जाती। प्रधानमंत्री मोदी ने शराब कारोबारी और कांग्रेस सांसद धीरज साहू के यहां से 350 करोड़ रुपए की नकदी बरामद होने पर भी दो ट्वीट किए। पहली पोस्ट में उन्होंने कहा कि नोटों से भरी अलमारियां देखिए और ईमानदारी पर कांग्रेस नेताओं का भाषण सुनिए। उन्होंने यह भी कहा कि लूट की पाई-पाई वसूली जाएगी। इसके तीन-चार दिन के बाद एक अन्य ट्वीट में उन्होंने नेटफ्लिक्स के चर्चित स्पेनिश शो ‘मनी हाइस्ट’ का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में लोगों को ‘मनी हाइस्ट’ देखने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां 70 साल से कांग्रेस की लूट चल रही है।
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सोशल मीडिया के दबाव में राहुल की यात्रा रद्द
कांग्रेस नेता राहुल गांधी नौ दिसंबर को एक हफ्ते की विदेश यात्रा पर जाने वाले थे, लेकिन नहीं गए। वे वियतनाम, मलेशिया आदि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर जाने वाले थे। वहां उन्हें सेमिनार में हिस्सा लेना और लोगों से मिलना था। माना जा रहा है कि राहुल गांधी का कार्यक्रम यह सोच कर बना था कि पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी और कम से कम तीन राज्यों में सरकार बनाएगी। ऐसे में वे एक विजेता के तौर पर विदेश दौरे पर जाएंगे। लेकिन कांग्रेस की यह योजना चौपट हो गई। कांग्रेस चार राज्यों में विधानसभा का चुनाव हार गई। कांग्रेस नेताओं ने दबी जुबान में माना कि नतीजों की वजह से राहुल की यात्रा रद्द हुई और दूसरे संसद का शीतकालीन सत्र भी चल रहा है इसलिए राहुल का दिल्ली में रहना जरूरी है। लेकिन हकीकत यह है कि सोशल मीडिया के दबाव में राहुल की यात्रा स्थगित हुई।
असल में चुनाव नतीजे आते ही सोशल मीडिया में प्रचार होने लगा और मीडिया समूहों ने भी लिखना शुरू कर दिया कि राहुल विदेश चले गए। यह चर्चा तब थमी जब तेलंगाना के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ उनकी तस्वीर आई। कांग्रेस को लगा कि अब भी संसद सत्र के बीच अगर वे विदेश जाते हैं तो सोशल मीडिया में यह बड़ा मुद्दा बनेगा। भले राहुल राजनीतिक काम से या ब्रांडिंग के लिए विदेश जा रहे हो लेकिन प्रचार होगा कि चुनावी हार के बाद राहुल विदेश गए। इससे फिर भाजपा को राहुल के अगंभीर नेता होने का नैरेटिव बनाने का मौका मिलेगा, जिसे कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले अफोर्ड नहीं कर सकती है।
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भाजपा को भारी पड़ सकता है महुआ का मामला
भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता समाप्त करा दी। पहले उसके एक सांसद ने महुआ के पार्टनर रहे एक व्यक्ति की ओर से मुहैया कराए गए दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाया कि महुआ ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे हैं। फिर उसी भाजपा सांसद ने स्पीकर से लेकर लोकपाल तक महुआ की शिकायत की। फिर भाजपा सांसद की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी में भाजपा के सांसदों ने छह-चार के बहुमत से महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने का प्रस्ताव मंजूर कराया। उसके बाद इस रिपोर्ट को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित कराया गया। इस तरह से महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता समाप्त हो गई।
महुआ पहली बार की लोकसभा सांसद थीं और अपने फायरब्रांड भाषणों की वजह उन्हें खूब लोकप्रियता मिली थी। फासीवाद पर दिए अपने भाषण और अडानी के खिलाफ स्टैंड को लेकर वे चर्चा में रहीं। पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों के बाद भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उन्हें समर्थन मिला। उनकी पार्टी ने उन्हें सदस्यता समाप्त होने से पहले ही संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। अब पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। वे खुद कह रही है कि वे पहले से ज्यादा अंतर से जीतेंगी। सदस्यता खत्म होने को उन्होंने महिला को प्रताड़ित करने का मुद्दा बनाया है। भाजपा भी महिला मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के अभियान में लगी है लेकिन ममता और महुआ मोइत्रा का मामला बंगाल में भाजपा को भारी पड़ सकता है।
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केरल में कांग्रेस और लेफ्ट की तनातनी
वैसे तो कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के बीच बड़ा सद्भाव है। दोनों बड़ी कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता- सीताराम येचुरी और डी. राजा से राहुल गांधी के बहुत अच्छे संबंध हैं। दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन की हिमायती हैं। लेकिन यह दोस्ती केरल से बाहर है। केरल में दोनों पार्टियों के बीच घमासान चल रहा है। पिछले दिनों सीपीएम के नेता और मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन पर जूता फेंका गया तो सीपीएम ने कहा कि यह कांग्रेस के नेताओं का काम है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दोनों पार्टियों में तकरार बढ़ती जा रही है।
सवाल है कि यह झगड़ा कहां पहुंचेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि दोनों पार्टियां आपस में इसलिए लड़ती दिख रही है ताकि भाजपा के लिए अवसर नहीं बन पाए? बहरहाल, सीपीएम और कांग्रेस में कोई भी केरल में तालमेल नहीं करना चाहता, क्योंकि अगर दोनों पार्टियां साथ मिल कर लड़ेगी तो विपक्ष का पूरा स्पेस भाजपा को मिल जाएगा। इसलिए दोनों को अलग-अलग ही लड़ना है। लेकिन उसमें भी सीपीएम के नेता चाहते है कि राहुल गांधी वायनाड सीट से नहीं लड़े। गौरतलब है कि पिछली बार राहुल वायनाड सीट से लड़े थे और इसका नतीजा यह हुआ था कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ राज्य की 20 में से 19 सीटों पर जीता। हालांकि विधानसभा चुनाव में फिर से सीपीएम ने सरकार बना ली थी। केरल में सीपीएम की कमान पूर्व महासचिव प्रकाश करात और उनके करीबियों के हाथ में है, इसलिए येचुरी ज्यादा कुछ कर नहीं सकते हैं। दोनों पार्टियां किस तरह से यह मसला सुलझाती है, यह देखने वाली बात होगी।
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शर्मिला को राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। तेलंगाना में उन्होंने वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बना कर बड़ी मेहनत की थी। लेकिन ऐन चुनाव से पहले उन्होंने चुनाव लड़ने की बजाय कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया था, जिसका कांग्रेस को फायदा मिला। शर्मिला चुनाव से पहले सोनिया गांधी से मिली थीं और तब चर्चा थी कि वे अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर देंगी, लेकिन उस समय उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब ऐसा होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय होने के बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया जाएगा और साथ ही तेलंगाना से राज्यसभा में भेजा जाएगा, ताकि वे इस बढ़े हुए कद से आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती दिला सके। सवाल है कि क्या शर्मिला और उनकी मां किसी तरह से जगन मोहन को तैयार कर सकती हैं कि वे फिर से कांग्रेस के साथ आएं? जगन मोहन ने 10 साल में मेहनत करके अपनी पार्टी को स्थापित किया है और अगर वे अगले साल लगातार दूसरी बार चुनाव जीत जाते हैं तो फिर वे क्यों कांग्रेस के साथ जाएंगे? दूसरे, कांग्रेस ने उन्हें जिस तरह मुकदमों में फंसा कर जेल मे रखा उसे देखते हुए संभव नहीं लगता है कि वे कटुता भूल जाएंगे। तीसरे अगर केंद्र में भाजपा की सरकार रहती है तो वे जोखिम नहीं लेंगे, क्योंकि सीबीआई, ईडी के सारे मामले अब भी चल रहे हैं, जिनमें उनके लिए खतरा बढ़ जाएगा।
कई दिग्गज अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे
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ममता बनर्जी, के. चंद्रशेखर राव और मायावती ने अपने-अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी तय कर कर दिए है लेकिन अभी इनमें से कोई भी नेता रिटायर नहीं हो रहे हैं। लेकिन कई नेता हैं, जो सक्रिय राजनीति से रिटायर होने वाले है और संभव है कि अगले साल लोकसभा चुनाव वे नहीं लड़े और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की तरह वे राज्यसभा में चले जाएं। कम से कम चार दिग्गज नेताओं-सोनिया गांधी, एचडी देवगौड़ा, फारूक अब्दुल्ला और शिबू सोरेन के बारे में संकेत हैं कि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। एचडी देवगौड़ा और शिबू सोरेन पिछली बार लोकसभा का चुनाव लड़े थे और हार गए थे। बाद में वे राज्यसभा में चले गए थे। दोनों की सेहत बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए दोनों लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले साल मार्च में राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों में कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य बन सकती हैं। अगर वे राज्यसभा में जाती हैं तो इसका मतलब होगा कि वे रायबरेली से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस वहां से किसे लड़ाती है, क्योंकि अमेठी और रायबरेली सीट हमेशा परिवार के सदस्यों के पास या परिवार के बहुत करीबी किसी व्यक्ति के पास रही है। उधर नेशनल कांफ्रेन्स में यह तय होने की खबर है कि फारूक अब्दुल्ला उम्र और खराब सेहत के चलते श्रीनगर सीट से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे।
चुनाव पहले और पूर्ण राज्य का दर्जा बाद में
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को करीब नौ महीने का समय दिया है। अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सितंबर 2024 तक राज्य में विधानसभा का चुनाव होना चाहिए। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि जल्दी से जल्दी पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल किया जाए। अब सवाल है कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्ज़ा पहले बहाल होगा या विधानसभा का चुनाव पहले होगा? जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं कि राज्य का दर्ज़ा पहले बहाल किया जाए और तब चुनाव हो लेकिन केंद्र सरकार चुनाव के बाद पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल करना चाहती है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य का दर्ज़ा बहाल करने की कोई समय सीमा नहीं दी है, इसलिए लगता सरकार इसे चुनाव तक ले जाएगी। अब सवाल है कि चुनाव कब होगा? सबको पता है कि फरवरी तक चुनाव नहीं हो सकते हैं, क्योंकि ज्यादातर इलाका बर्फ से ढका होता है। संभव है कि लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव हो। राज्य में परिसीमन और मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम हो गया है और सीटें आरक्षित करने का विधेयक भी संसद से पास हो गया है। इसलिए चुनाव में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। यह भी संभव है कि सरकार सितंबर में ही चुनाव कराए, क्योंकि तब सिर्फ एक राज्य का चुनाव होगा और उसमें प्रचार आदि के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
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धीरज साहू को नहीं मिलेगी रियायत
झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य धीरज साहू और उनके रिश्तेदारों से जुड़े शराब कारोबार के कार्यालयों पर आयकर विभाग ने छापे मार कर करीब तीन सौ करोड़ रुपए नकद पकड़े हैं। पहले कहा गया कि उनका शराब का बहुत बड़ा कारोबार है और यह कारोबार कच्चा माना जाता है, जिसमें हर दिन करोड़ों रुपए नकद ही आते हैं। इसलिए धीरज साहू और अन्य कारोबारियों को यह साबित करने मे दिक्कत नहीं आएगी कि यह वैध पैसा है, जो बैंक में जमा होने से पहले पकड़ लिया गया। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि आयकर विभाग से इस आधार पर धीरज साहू को राहत मिल पाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट के बाद उनकी मुश्किल बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि नोटों से भरी अलमारी देखिए और कांग्रेस नेताओं का ईमानदारी पर भाषण सुनिए। उन्होंने कहा कि जनता से लूटी गई पाई-पाई वसूली जाएगी। हालांकि कोई दो साल पहले कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां जीएसटी का छापा पड़ा था, जिसमें दो सौ करोड़ रुपए की नकदी के साथ कोई चार सौ करोड़ रुपए की जब्ती हुई थी। लेकिन उनकी यह बात मान ली गई थी यह उनका पैसा वैध है और वे जीएसटी का जुर्माना भर कर छूट गए थे। लेकिन वैसी राहत धीरज साहू को नहीं मिलेगी। इसका कारण यह है कि जैन के यहां छापे के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट नहीं किया था और उनके यहां छापा समाजवादी पार्टी के करीबी पीयूष जैन के धोखे में पड़ गया था।
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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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