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Rewari News -रेवाड़ी विधानसभा में भाजपा ही बनेगी भाजपा की दुश्मन!

रेवाड़ी विधानसभा में भाजपा ही बनेगी भाजपा की दुश्मन!
कांग्रेस को थाली में परोस कर सीट देने की चल रही तैयारी
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आरती राव विधानसभा का चुनाव रेवाड़ी या बादशाहपुर से लड़ेगी
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भाजपा टिकट के दावेदार जितने राव समर्थक उतने ही विरोधी भी दावेदार
रेवाड़ी /अटल हिन्द ब्यूरो
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लोकसभा चुनाव के बाद अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है। इस बार का रेवाड़ी विधानसभा चुनाव बहुत ही रोचक होने वाला है। 2019 के रेवाड़ी विधानसभा की तरह इस बार भी कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार चिरंजीव राव बाजी मार सकेंगे ।।इस तरह के समीकरण अभी से दिखाई देने लगे हैं। इस गणित को एक बार फिर से समझिए किस प्रकार  कांग्रेस उम्मीदवार फिर से सीट निकाल ले जाएगा।
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भाजपा का परिवार बहुत बड़ा परिवार हो चुका है, उसमें बहुत से नेता चुनाव लड़ने के लिए ताक में बैठे हुए हैं। जिनमें कुछ वास्तविक भाजपा कार्यकर्ता हैं तो कुछ राव के खास सिपाही हैं। हम बात करते हैं सबसे पहले उन संभावित उम्मीदवारों की जो अपने आप को भाजपा परिवार बताते हैं। सबसे पहले हरियाणा ट्यूरिज्म चेयरमैन डॉ अरविंद यादव ने अपनी गाड़ी को भाजपा के रंग में रंग कर  रेवाड़ी विधानसभा चुनाव लड़ने का साफ संदेश दे दिया है।
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दूसरे संभावित उम्मीदवार परिवार पहचान पत्र कॉर्डिनेटर डॉ सतीश खोला हैं, जिन्होंने हाल ही में अपने चुनावी रथ को विधानसभा में प्रचार प्रसार के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया । तीसरे नंम्बर पर बात करते हैं रणधीर सिंह कापड़ीवास के भतीजे मुकेश कापड़ीवास की। जो रोजाना किसी न किसी गली, मोहल्ले व कस्बे में बैठकें कर नीचे ही नीचे जनता से मुलाकात कर उन से प्यार की पींग बढ़ा रहे हैं। चौथे उम्मीदवार पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव हो सकते हैं , जो अभी तक शांत बैठे हैं व सभी पर अपनी नजरें बनाएं हुए हैं।
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बता दें सतीश यादव पहले इनेलों में रहे व अब हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। ये सर्व विदित है इन चारों संभावित उम्मीदवारों ने राव इंद्रजीत के लोकसभा चुनावों में होने वाली जनसभाओं में प्रचार प्रसार से दूरी बनाए रखी। जब पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर राव के लिए प्रचार प्रसार करने रेवाड़ी आए तो इनमें से कुछ संभावित उम्मीदवार पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के साथ उनके मंच पर नजर आए हालांकि उस समय राव मौजूद नहीं थे। इन चारों को पूर्व सीएम व वर्तमान केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मनोहरलाल खट्टर का आशीर्वाद प्राप्त है।
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अब बात करते हैं राव इंद्रजीत समर्थकों की, जो रेवाड़ी विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। सबसे पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को विधानसभा का चुनाव लड़ाएंगे। हालांकि उन्होंने यह क्लियर नहीं किया कि कौन सी विधानसभा से चुनाव लड़ाएंगे। अगर आरती राव रेवाड़ी से चुनाव लड़ती है तो ऊपर के समीकरण पर नजर जरूर डालना बहुत जरूरी होगा। यहां मूसेपुर की तरह ही विवाद हो सकता है।
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यदि राव अपनी बेटी को किसी अन्य विधानसभा से चुनाव लड़ाते हैं तो वहां के मौजूदा विधायक को बलि चढ़ाने जैसा होगा। आरती राव के लिए हाल ही में राकेश दौलताबाद के बाद खाली हुई सीट पर आलाकमान विचार कर सकता है। वहां राव का पूरा प्रभाव भी है वो आरती राव के लिए सेफ सीट हो सकती है। खैर आरती राव के चुनाव को लेकर अगली किसी कड़ी में बात करेंगे।
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अब बात करते हैं रेवाड़ी विधानसभा से 2019 में भाजपा से चुनाव लड़ चुके सुनील मूसेपुर की जो राव के सिपाही हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भीतरघात कर न केवल सुनील मूसेपुर को हरवाया । बलिक कांग्रेस उम्मीदवार चिरंजीव राव की जीत का रास्ता साफ कर दिया था। अब नंम्बर आता है निर्दलीय उम्मीदवार प्रशांत सन्नी यादव का, जो आते तो बुढ़पुर से हैं मगर उन्होंने अपने दम पर 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा व सुनील मूसेपुर की हार का कारण बने, मगर अब वो राव के खेमे में शरणागत हो गए व फिर से 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ने का मूड बना रहे हैं।
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चौथे उम्मीदवार जिला पार्षद अजय पाटोदा हो सकते हैं । ये भी राव के कट्टर समर्थक हैं व राव के आशीर्वाद से प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा जमाए हुए हैं। पांचवे उम्मीदवार इंसाफ मंच के आजीवन सदस्य अनिल रायपुरिया भी हो सकते हैं। वे रहते तो बावल में हैं मगर रेवाड़ी में होर्डिंग के माध्यम से ज्यादा नजर आते हैं। जो रेवाड़ी विधानसभा से उम्मीदवार होने का साफ संकेत देते नजर आ रहे हैं।
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बारी बारी से सभी संभावित उम्मीदवारों के बारे में बताया। अब बात करते हैं केंद्र में मोदी कैबिनेट मंत्री मनोहरलाल खट्टर व मोदी सरकार में राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की। अब आप सभी संभावित उम्मीदवारों को देखेंगे कि ऊपर के 4 संभावित उम्मीदवार मनोहरलाल खट्टर समर्थक हैं व नीचे के 5 राव समर्थक हैं।
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केंद्र सरकार में मनोहरलाल का कद राव से बड़ा है। यदि टिकट बंटवारे की बात आती है तो आलाकमान के लिए निर्णय लेना बड़ा मुश्किल होगा। किस को नाराज करें व किस को खुश रखें। इधर एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि खट्टर समर्थकों की राव के प्रति निगेटिव रिपोर्ट भी हाईकमान के पास है। ये भी सर्वविदित है मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनीं पर मनोहरलाल खट्टर का पूरा आशीर्वाद है।
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लेकिन दक्षिण हरियाणा में राव का पूरा प्रभाव है। अब देखना यह है कि राव की चलेगी या फिर आलाकमान अपनी चलाएगा। यदि राव समर्थकों को टिकट नहीं दिया तो भाजपा में बगावत निश्चित है और यदि खट्टर समर्थकों को टिकट नहीं मिला तो भी बगावत निश्चित है। यानी खरबूजा छुरी पर गिरे या फिर छुरी खरबूजे पर नुकसान तो खरबूजे का होना है।
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यहां भाजपा खरबूजे की स्थित में हैं। यदि भाजपाई व राव के समर्थक अलग अलग चुनाव लड़ते हैं तो भी निश्चित रूप से भाजपा को नुकसान व कांग्रेस उम्मीदवार को लाभ मिलेगा। विधानसभा चुनाव में मात्र 4-5 महीने का ही समय बचा है ऐसे में राव व भाजपा नहीं संभली तो निश्चित रूप से रेवाड़ी की सीट कांग्रेस उम्मीदवार को घर बैठे थाली में परोस कर देने के समान होगी।
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