सरकार द्वारा चलाए गए करोना महामारी से बचने के लिए “ई-सचिवालय” पोर्टल का आम जनता को नही हो रहा कोई फायदा
अब भी सरकारी कार्यालयों में लगा रहता है लोगों का जमावड़ा, सिर्फ अखबारों तक सिमिट कर रह गया “ई-सचिवालय” पोर्टल:
कैथल पुलिस विभाग को “ई-सचिवालय” पोर्टल पर अब तक प्राप्त हुए कुल 4 अनुरोध जिनको बिना किसी सुनवाई और आपत्ति के अस्वीकार करने के लगाये आरोप !

kaithal, 06 अक्टूबर (कृष्ण प्रजापति): सुशासन और ई-गवर्नेंस का नारा देने वाली सरकार की ज्यादातर योजनाये फैल होती नजर आ रही है, इसका मुख्य कारण सरकार की अधिकारियों पर पकड़ न होना व अधिकारीयों द्वारा योजनाओं को गम्भीरता से न लेना माना जाता है जिसका खामयाजा आम जनता को झेलना पड़ता है जिससे न केवल सरकार की छवि खराब होती है अपितु भविष्य में चलाई जाने वाली योजनायें मात्र एक मजाक बन कर रह जाती हैं। ऐसे ही करोना महामारी के चलते लोगों को अपनी शिकायत लेकर जिला सचिवालय की भीड़भाड में आने से बचाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गत जुलाई माह को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म “ई-सचिवालय” पोर्टल की शुरुआत की थी जिसमे जिले के डीसी, एसपी तथा अन्य सभी अधिकारीयों मिलने की बजाए अपनी बात रखने के लिए विडियो कोंफ्रेसिंग की योजना चलाई है जिसके जरीये से सिर्फ जिले के अधिकारी से ही नही अपितु मंत्रियों व सरकार के उच्च अधिकारियों से भी विडियो कोंफ्रेसिंग के जरीये अपनी शिकायत व बात रख सकते है इस लिए सरकार ने यह ऑनलाइन प्लेटफार्म शुरू किया है ताकि लोगों को सचिवालयों में आए बिना ही अधिकारी यों द्वारा विडिओ कांफेसिंग के जरिये उनकी बात को सुना जाए और उनकी समस्या का हल किया जाए इस लिए इस योजना का नाम “ई-सचिवालय” पोर्टल रखा गया है l

===सूचना से प्राप्त जानकारी और बातचीत करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता।===
बॉक्स- अब भी सरकारी कार्यालयों में लगा रहता है लोगों का जमावड़ा, सिर्फ अखबारों तक सिमिट कर रह गया “ई-सचिवालय” पोर्टल:
“ई-सचिवालय” पोर्टल को लेकर आर.टी.आई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने जिला पुलिस अधीक्षक कैथल के कार्यालय से आर.टी.आई के तहत 19 जुलाई से लेकर अब आम जनता द्वारा उनके कार्यालय को वीडियो कोंफ्रेसिंग के लिए भेजे गए कुल अनुरोध व उनके निपटान बारे सुचना मांगी थी। जिस जवाब में एसपी कार्यालय द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा जब से “ई-सचिवालय” पोर्टल शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक इस कार्यालय को कुल 4 अनुरोध प्राप्त हुए थे जिनमे से किस भी अनुरोध की विडियो कोंफ्रेसिंग पेंडिंग नही है, जयपाल ने बतया कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा बताए गये 4 विडियो कोंफ्रेसिंग अनुरोधों में से 3 अनुरोध उसने स्वयं किए थे जिनके अनुरोध नम्बर 512,825,1250 है जिन पर पुलिस अधीक्षक द्वारा लगभग 2 महीनो तक कोई विडियो कोंफ्रेसिंग नही की, उसके बाद जब उसने इसकी जानकारी आर.टी.आई से मांगी तो पुलिस विभाग ने आनन-फानन में बिना कोई सुनवाई किए और बिना किसी आपत्ति के उसके तीनों अनुरोध को अस्वीकार कर दिया जिसकी सुचना उसको इमेल व एसएमएस के द्वारा मिली थी, जबकि सरकार द्वारा विडियो कोंफ्रेसिंग के अनुरोधों की सुनवाई का समय 24 घंटों में तय करने के आदेश है जोकि कोई भी विभाग इसको लेकर सचेत नही है इस लिए अब भी सरकारी कार्यालयों में लोगों का अपनी शिकायतों को लेकर जमवाडा लगा रहता है और यह योजना भी सिर्फ अखबारों तक सिमिट कर रह गई।
24 घंटों में सुनवाई के समय का शेड्यूल तय करने का है प्रवधान, 2 महीनो तक नही की कोई कार्यवाही जब आर.टी.आई लगाई तो आनन-फानन में बिना कोई सुनवाई तीनों अनुरोधों को कर दिया अस्वीकार।
जयपाल रसूलपुर ने बताया कि हरियाणा के सीएम द्वारा गत जुलाई महीने में डिजिटल प्लेटफॉर्म “ई-सचिवालय” को शुरू करते समय आम जनता की तरफ से अधिकारीयों को मिलने के लिए किए गये विडियो कोंफ्रेसिंग के अनुरोधों की सुनवाई का समय 24 घंटों में तय करके अनुरोधकर्ता को इमेल व एसएमएस के द्वारा इसकी कन्फर्मेशन की सुचना भेजना अनिवार्य है जोकि उपरोक्त पुलिस विभाग द्वारा लगभग दो महीनों तक मेरे उक्त तीनों अनुरोधों पर कोई कार्यवाही अमल में नही लाई गई जिस से स्पष्ट जाहिर होता है की जिले के उच्च अधिकारी भी इस पोर्टल को गम्भीरता से नही लते इस लिए यह पोर्टल सिर्फ एक घोषणा मात्र बन कर रह गया जिस से आम जनता को कोई लाभ नही हो रहा।