टिकट की घोषणा के साथ ही भगदड़ से इनकार नहीं
कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही एक अनार सौ बीमार जैसे बने हैं हालात
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भाजपा और कांग्रेस दोनों की टिकट से चुनाव लड़ विधायक बनाना सपना
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चुनाव लड़ने के दावेदारों ने अन्य अपने अन्य विकल्प भी खुले रखे
फतह सिंह उजाला
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गुरुग्राम । विधानसभा चुनाव में मतदान का दिन प्रतिदिन काम होता जा रहा है । दूसरी तरफ मुख्य पॉलीटिकल पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के द्वारा अपने अपने अधिकृत उम्मीदवारों के नाम की घोषणा का समय लंबा हो रहा है । एक-एक घटता दिन और लंबा होता जा रहा समय । यह दोनों ही चुनाव लड़ने के दावेदार और उनके समर्थकों में पल-पल बेचैनी बढ़ाते जा रहे हैं।
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मुख्य पॉलीटिकल पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अपनी अपनी सरकार बनाने के लिए उम्मीदवारों के चयन से लेकर उनके नाम की घोषणा से पहले फूक फूक कदम रख रही है। वही टिकट के दावेदार नेताओं के समर्थक इन सब बातों से इत्तेफाक नहीं रखकर यही चाहते हैं कि हमारे ही नेता को चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिलना चाहिए। समर्थकों से अधिक यह इच्छा और सपना चुनाव लड़ने के दावेदारों का भी है। जिस प्रकार के हालात एक सीट पर अनेक टिकट के दावेदार को देखते हुए बने हुए हैं , इस बात से इनकार बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता टिकट की घोषणा या टिकट फाइनल होने के साथ ही मैं इधर आया और मैं उधर दौड़ा जैसी भाग दौड़ देखने के लिए भी मिल सकती है। ऐसा पहले भी होता आया है , कुछ राजनीतिक पार्टियों मुख्य पॉलिटिकल पार्टियों के द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा के बाद ही अपने उम्मीदवार घोषित करती आ रही है।
खास बात यह है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आया और विभिन्न पार्टियों के टिकट के लिए जो जो भी नेता अपनी दावेदारी सबसे मजबूत मानते चले आ रहे हैं । ऐसे नेताओं के द्वारा युद्ध स्तर पर अपना चुनाव प्रचार आरंभ किया हुआ है । चुनाव प्रचार के साथ ही विभिन्न प्रकार के होर्डिंग पंपलेट फ्लेक्स पोस्टर जैसी प्रचार सामग्री पर पानी की तरह पैसा भी बहाने के साथ प्रचार वाहन दिनभर गांव गांव में दौड़ लगा रहे हैं । राजनीति में गहरी रुचि रखने वालों के मुताबिक टिकट दावेदारों के द्वारा टिकट मिलने से पहले ही इस प्रकार से अपना प्रचार अभियान करना उनकी दूरदर्शी सोच को भी जाहिर करता है । राजनीतिक पार्टियों के पक्ष में राजनीतिक माहौल को देखते हुए एक पाले से दूसरे पाले में जाना और दूसरे पहले से पहले पाले में आना एक सामान्य बात है । इसके पीछे बेहद पवित्र मकसद होता है, टिकट प्राप्त कर चुनाव लड़ना। अंतिम फैसला विभिन्न पार्टियों की चुनाव समिति स्क्रीनिंग कमेटी और उसके बाद हाई कमान के द्वारा लिया जाता है।
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राजनीतिक गलियांरो में इस प्रकार की भी चर्चा सुनने को मिल रही है कि जिस जिस पार्टी के दावेदारों के द्वारा टिकट की दावेदारी की जा रही है। राजनीतिक माहौल में अपनी पार्टियों के अलावा दूसरी पार्टियों से भी बातचीत के विकल्प खुले रखे गए। इसका मुख्य कारण यही है कि जो और दूसरी पॉलिटिकल पार्टियों हैं , उनके जो कुछ राजनीतिक हालात पिछले कुछ महीनो से दिखाई दे रहे हैं । ऐसी पार्टियों अपने अकेले दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम दिखाई नहीं दे रही । वहीं नामी और किसी हद तक प्रभावी चेहरे और नेताओं का भी अभाव महसूस किया जा रहा है । अब यह तो आने वाला समय और चुनाव के लिए टिकट देकर घोषित किए गए उम्मीदवारों के नाम के बाद ही खुलासा होगा जिसे भविष्य के गर्भ में ही कहा जाना बेहतर है।
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