IPC, CrPC ‘सरकार’ की जगह ‘भारत’ शब्द, सरकार के खिलाफ बोलने पर नहीं होगी जेल..
IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट को बदलने वाले विधेयक राज्य सभा से भी पारित, PM मोदी बोले- एक नए युग की हुई शुरुआत
नई दिल्ली (अटल हिन्द ब्यूरो )
भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रकिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को बदलने के लिए लाए गए तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्य सभा की भी मंजूरी मिल गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों के कानून बनने के बाद देश की आपराधिक न्यायिक प्रणाली में टेक्नोलॉजी का व्यापक योगदान होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी विधेयकों के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है।
‘औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं विधेयक’
New Criminal Law Bill 2023 Highlights: पीएम मोदी ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर किए अपने पोस्ट में कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का पारित होना हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं।
new criminal law bill: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन आपराधिक विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने को बृहस्पतिवार को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और कहा कि इससे देश को अपने नए आपराधिक न्याय कानून मिले. संसद के दोनों सदनों ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया. शाह ने कहा कि ये कानून नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखते हुए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्यसभा में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पर चर्चा का जवाब दिया और सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार 150 साल पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले कानूनों में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत के लोगों से संबंधित बदलाव किए गए हैं. शाह ने कहा कि भारतीय आत्मा से बनाए गए ये तीन कानून जब संसद से पारित हो जाएंगे तो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत होगी, जो पूरी तरह से भारतीय होगी. पहली बार भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों के माध्यम से हमारी आपराधिक न्याय व्यवस्था भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाई गई व्यवस्था से संचालित होगी.
10 प्वाइंट में जानें नए कानून के बारे में
1-इन कानूनों के लागू होने के बाद एफआईआर से लेकर कोर्ट के फैसले तक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश बन जाएगा.
2-इन कानूनों में 2027 तक जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और देशभर के सभी मामलों के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने का भी प्रावधान किया गया है.
3-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम. इन तीनों कानूनों को 1957 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था, जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था. इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा कहीं नहीं थी.
4-कानूनों के नाम नहीं बदले हैं, उसके उद्देश्य के अंदर अमूल चूल परिवर्तन भी किया गया है. जिन तीनों बिलों का उद्देश्य दंड देने का नहीं है, न्याय देने का है.
5-गृहमंत्री ने बताया कि भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता के खिलाफ को कार्रवाई करेगा उसे देशद्रोही माना जाएगा. ‘सरकार’ की जगह ‘भारत’ शब्द का प्रयोग किया जाएगा.
6-शाह ने कहा कि हमने राजद्रोह के अंग्रेजी कांसेप्ट को समाप्त कर दिया है. अब शासन के खिलाफ कोई भी बोल सकता, क्योंकि सभी को वाणी स्वतंत्रता का अधिकार है लेकिन देश के खिलाफ आप नहीं बोल सकते हो, देश के खिलाफ बोलोगे, देश के संसाधनों का नुकसान करोगे तो कठोर से कठोर सजा मिलेगी. अमित शाह ने कहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है. सरकार के खिलाफ कोई कुछ भी बोल सकता है, लेकिन देश के झंडे, सुरक्षा और संपत्ति से कोई खिलवाड़ करेगा तो जेल जाएगा.
7-अमित शाह ने कहा कि अब बम, डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थों, ज़हरीली गैस और परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए बनाने, बेचने और उपयोग करने वालों को आतंकी कहा जाएगा.
8-स्वराज का मतलब स्वशासन नहीं, बल्कि स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वशासन की स्थापना करना है, 2014 से नरेंद्र मोदी ने देश की महान आत्मा को जगाया है, जिससे आज भारत का उत्थान हो रहा है. स्वराज मतलब है: जो धर्म को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व भाषा को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व संस्कृति को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व शासन को आगे बढ़ाए वह स्वराज है.
9-इन कानूनों के पूरी तरह से लागू होने के बाद तारीख पर तारीख देने का चलन खत्म हो जाएगा और देश में एक ऐसी न्यायिक व्यवस्था स्थापित हो जाएगी जो तीन साल के भीतर न्याय देगी. इन विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद हमारी आपराधिक न्याय व्यवस्था 19वीं सदी को छोड़कर 2 सदी का सफर तय कर सीधे 21वीं सदी में प्रवेश कर जाएगी.
10-अमित शाह ने कहा कि हमने संगठित अपराध के लिए एक नई व्याख्या जोड़ी है. छोटे अपराधों और पहली बार किए गए अपराधों के लिए जेल के बजाय सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है. टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पुलिस, वकील और कोर्ट के लिए समय सीमा तय कर न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है.