नई दिल्ली:(अटल हिन्द ब्यूरो)
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भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चुनावी रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए, नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के सहारे अपने तीसरे कार्यकाल की शपथ ले ली है. रविवार (9 जून) को शाम 7:24 बजे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी और केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी, एस जयशंकर, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, जेडीयू नेता ललन सिंह इत्यादि ने भी शपथ लिया.
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कमजोर हुई है भाजपा
‘400 पार’ और ‘मोदी की गारंटी’ का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी क्षेत्रीय दलों के सहारे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं. भाजपा बहुमत का आंकड़ा भी नहीं जुटा पाई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने 303 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी, तब उसने 50% से ज़्यादा वोट शेयर के साथ 224 सीटें जीती थीं. इस बार भाजपा न सिर्फ 240 सीटें पाकर पूर्ण बहुमत से चूक गई, बल्कि उसने 50% से ज़्यादा वोट शेयर के साथ सिर्फ 156 सीटें ही जीती हैं.
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आपराधिक छवि वाले सांसद बढ़े, महिला सांसद घटीं: ADR रिपोर्ट
18वीं लोकसभा में आपराधिक छवि वाले सांसद बढ़े हैं जबकि महिला सांसदों की संख्या घट गई है। ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनावों में जीतने वाले प्रत्याशियों में से 46 प्रतिशत ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। दूसरी ओर, 18वीं लोकसभा में केवल 74 महिलाएं सांसद चुनी गई हैं। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में महिला सांसदों की संख्या 78 थी।”
लोकतंत्र में सुधार के मुद्दों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(Association for Democratic Reforms) (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 543 जीतने वाले प्रत्याशियों में से 46 प्रतिशत (251) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, सभी जीतने वाले प्रत्याशियों में 31 प्रतिशत (170) ऐसे हैं जिनके खिलाफ बलात्कार, हत्या, अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 27 जीतने वाले प्रत्याशी ऐसे हैं जो दोषी भी पाए जा चुके हैं और या तो जेल में हैं या जमानत पर बाहर हैं। चार जीतने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या के मामले, 27 के खिलाफ हत्या की कोशिश के मामले, दो के खिलाफ बलात्कार, 15 के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराध, चार के खिलाफ अपहरण और 43 के खिलाफ नफरती भाषण देने के मामले दर्ज हैं।
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यही नहीं, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि किसी साफ पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी के जीतने की संभावना सिर्फ 4.4 प्रतिशत है, जबकि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे प्रत्याशी की जीतने की संभावना 15.3 प्रतिशत है।
पार्टी व राज्यवार स्थिति
बीजेपी के 240 विजयी प्रत्याशियों में से 39 प्रतिशत (94), कांग्रेस के 99 विजयी प्रत्याशियों में से 49 प्रतिशत (49), सपा के 37 में से 57 प्रतिशत (21), तृणमूल कांग्रेस के 29 में से 45 प्रतिशत (13), डीएमके के 22 में से 59 प्रतिशत (13), टीडीपी के 16 में से 50 प्रतिशत (आठ) और शिवसेना (शिंदे) के सात में से 71 प्रतिशत (पांच) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि आरजेडी के 100 प्रतिशत (चारों) प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
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राज्यवार देखें तो केरल सबसे आगे है, जहां विजयी प्रत्याशियों में से 95 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके बाद तेलंगाना (82 प्रतिशत), ओडिशा (76 प्रतिशत), झारखंड (71 प्रतिशत) और तमिलनाडु (67 प्रतिशत) जैसे राज्यों का स्थान है। इनके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और दिल्ली में 40 प्रतिशत से ज्यादा विजयी प्रत्याशी आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
घट गई महिला सांसदों की संख्या
देश में आपराधिक छवि के सांसद बढ़े हैं लेकिन महिला सांसदों की संख्या घट गई है। 18वीं लोकसभा की 543 सीटों में इस बार सिर्फ 74 महिला सांसद ही हैं। पिछली लोकसभा में यह संख्या 78 थी। इस बार चुनी गईं महिला प्रतिनिधि नई संसद का केवल 13.63 फीसदी हिस्सा हैं। सबसे अधिक 31 महिला सांसद बीजेपी से हैं। वहीं कांग्रेस से 13, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से 11, समाजवादी पार्टी (सपा) से 5 और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) से 3 महिला सांसद चुनी गई हैं। बिहार की पार्टियां जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से 2-2 महिला सांसद चुनी गई हैं।
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महिला सांसदों की घटती संख्या के पीछे सबसे बड़ी चुनौती उनकी कम उम्मीदवारी भी है। 2019 लोकसभा चुनावों में 726 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन तब 78 महिलाएं ही जीतकर संसद पहुंची थीं। वहीं, 2014 में 640 महिला उम्मीदवार थीं और इनमें से 62 महिलाएं सांसद बनीं। 2009 के चुनावों में 556 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, जिनमें से 58 महिलाएं संसद पहुंचीं।
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हर लोकसभा चुनाव के साथ महिला उम्मीदवारों की संख्या तो जरूर बढ़ी है, लेकिन इनमें से चुनकर संसद तक पहुंचने का सफर बेहद कम महिलाएं तय कर पाती हैं। वहीं देश की अधिकतर बड़ी पार्टियों ने महिलाओं को टिकट देने में उतनी उदारता नहीं दिखाई है। सत्ताधारी बीजेपी ने 69 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया। वहीं, देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने भी केवल 41 महिला उम्मीदवारों को ही टिकट दिया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 37 और सपा ने 14 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा। पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने 12 महिलाओं को टिकट दिया था।
विपक्ष की तरफ से कौन हुआ शामिल?
शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शामिल हुए. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार (8 जून) को घोषणा कर दी थी कि उनकी पार्टी इस समारोह में शामिल नहीं होगी.
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2019 में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने मोदी के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था.
शपथ ग्रहण समारोह में सात देशों के नेता हुए शामिल
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में सात देशों के शीर्ष नेता भी शामिल हुए.
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1) बांग्लादेश से प्रधानमंत्री शेख हसीना
2) श्रीलंका से राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे
3) नेपाल से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल
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4) मालदीव से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू
5) सेशेल्स से उपराष्ट्रपति अहमद अफ़ीफ़
6) भूटान से राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक
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7) मॉरीशस से राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन
ध्यान देने वाली बात है कि इन सात देशों से भारत के घनिष्ठ संबंध हैं. लेकिन हाल के वर्षों में इन सभी देशों के चीन के साथ संबंध बढ़े हैं.
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