भीख मांगने का नया तरीका, भिखारी तेज धूप में गोद में बच्चे उठाकर मांग रहे भीख
-मासूम बच्चों पर हो रहा अत्याचार
-गोद लिए हुए बच्चे पूरे दिन कैसे रहते हैं शांत • ठेकेदार भिखारियों को गाड़ी में भरकर सुबह चौराहों पर छोड़ देते हैं
अटल हिन्द /रोहित गुप्ता
जीरकपुर 1,जुलाई
पंजाब में हर रोज भिखारीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. देश के दूसरे राज्यों से इनका आना चिंता का विषय बन गया है. पंजाब के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र डेराबस्सी के अंगुलियों पर गिने जाने वाले शहर जीरकपुर की शान को भिखारियों के झुंडों ने खराब कर दिया है। इस बड़ी और गंभीर समस्या पर ध्यान न देकर यहां की नौकरशाही केवल कागज़ी कारवाई तक ही सीमित होकर रह गई है।
शहर के हर लाइट प्वाइंट पर टैफिक पुलिस बूथ के सामने भिखारियों द्वारा वाहन चालकों को परेशान किया जाता है। छोटे बच्चे कार की खिड़कियां साफ करने के नाम पर पैसे मांगते हैं और ड्राइवर के मना करने पर गाड़ी को नुकसान भी पहुंचाते हैं। कई बार हरी बत्ती होने पर भी ये नहीं हटते, जिससे दुर्घटना का डर बना रहता है। फिलहाल स्थिति यह है कि शहर के बाजारों, पार्किंग स्थलों, ट्रैफिक लाइटों, पार्कों, धार्मिक स्थलों और यहां तक कि लोगों के घरों तक पहुंचने वाले भिखारियों की संख्या कई दर्जन तक पहुंच गई है और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
मैक डी रेस्तरां चौक, सिंघपुरा, पटियाला लाइट्स, एयरोसिटी लाइट्स और कालका चौक पर ज्यादातर महिलाओं और बच्चों सहित युवा और बुजुर्ग भिखारियों ने अड्डे बनाये हुऐ हैं। 5-6 महीने के बच्चे गोद में या कपड़े से पीछे बांधकर पेट पर लटका लेती है l तपती धूप में बच्चों की हालत देखकर राहगीर भावुक हो जाते हैं और कुछ न कुछ देते हैं। ये महिलाएं सुबह से लेकर रात तक उक्त स्थानों पर देखी जा सकती हैं।
लोगों का सवाल है कि गोद में कपड़े में लिपटे बच्चों की उम्र हमेशा एक से छह महीने तक लगती है, लेकिन समय देने के बाद भी वे बड़े क्यों नहीं होते। उनका कहना है कि गोद लिए गए बच्चे समय के बाद बदल दिए जाते हैं। ये कथित माताएं बच्चों के बड़े होते ही अपने छोटे बच्चों को पूरे दिन के लिए दूसरी गरीब महिलाओं से किराए पर ले लेती हैं। बड़े होने पर इन बच्चों को गिरोह द्वारा जेब तराशी, चोरी और डकैती जैसे अपराध करने के लिए मजबूर किया जाता है।
इसलिए पुलिस के लिए इन असामाजिक गतिविधियों के स्रोत तक पहुंचना बहुत जरूरी है. सूत्रों का कहना है कि भीख मांगना एक व्यवसाय बनता जा रहा है। इन भिखारियों के ठेकेदार इन्हें सुबह ऑटो या वाहनों से शहर के चौराहों पर छोड़ देते हैं। और जब रात हो जाती है तो वे उन्हें फिर से इकट्ठा करके वापस ले जाते हैं। इस खबर का मकसद भिखारियों के बारे में जागरुकता फैलाना है, न कि किसी की जरूरत का मजाक उड़ाना. इस संबंध में समाज सेवी संस्था ‘बाज फाउंडेशन’ के प्रतिनिधि अशोक सैनी, संदीप सिंह, इंद्रजीत सिंह व लाडी सैनी ने कहा कि बेशक भीख मांगना कानून के प्रावधानों के मुताबिक अपराध है l
बॉक्स
श्रम एवं पुलिस विभाग संयुक्त टीम बनाई जायेगी – एस.डी. एम.
मामले को लेकर एस डी एम डेराबस्सी हिमांशु गुप्ता ने कहा कि बच्चों पर किसी भी तरह का अत्याचार नहीं होने दिया जाएगा. उन्हें जागरूक करने के लिए जल्द ही श्रम विभाग और जीरकपुर पुलिस की संयुक्त टीम गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी भी जांच की जायेगी कि इन्हें शहर में कौन छोड़ता है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जायेगा.
Add A Comment