चिंटेल्स पेराडिसो टावर जे फ्लैट खाली करने के सबंध में धारा 163 लागू
आईआईटी की स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट में टावर को बताया गया है असुरक्षित
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जिलाधीश के आदेशों के 15 दिनों के भीतर खाली करना होगा टावर
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आदेशों की निगरानी को डीटीपी (ई) नोडल अधिकारी और ड्यूटी मजिस्ट्रेट
आदेशों की पालना के लिए पुलिस बल की सहायता भी ली जा सकती है
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फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम, 07 अगस्त। जिलाधीश एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष निशांत कुमार यादव ने चिंटेल्स पेराडिसो ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के टॉवर जे की स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट में टॉवर को असुरक्षित घोषित करने के उपरांत वहां रह रहे नागरिकों को तुरंत प्रभाव से अपने फ्लैट खाली करने के सबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू करने के आदेश पारित किए हैं।
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जिलाधीश निशांत कुमार यादव द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि आईआईटी दिल्ली ने चिंटेल्स पेराडिसो ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के टावर जे की स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट (दिनांक 5 जनवरी 2024) के तहत टावर जे को रहने के हिसाब से असुरक्षित घोषित किया है। रिपार्ट के आधार पर जिलाधीश ने
टावर जे में रह रहे निवासियों के जीवन और संपत्ति के आसन्न खतरे को देखते हुए मानव जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरे को रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 34 के साथ, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163
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के आधार पर संबंधित निवासियों को तत्काल निकासी के आदेश दिए हैं। आदेशों में यह भी कहा गया है कि टावर जे में रहने वाले निवासियों को आदेश जारी होने के 15 दिनों के भीतर अपने संबंधित परिसर को खाली करने और उसी के खाली कब्जे को मैसर्स चिंटल्स इंडिया प्राइवेट को सौंपना होगा। आदेशों की निगरानी के लिए डीटीपी (ई) गुरुग्राम को नोडल अधिकारी और ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया है। आदेशों में यह भी कहा गया है कि आदेशों की पालना के लिए पुलिस बल की सहायता भी ली जा सकती है।
आदेशों में कहा गया है कि डेवलपर (अर्थात मेसर्स चिंटल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा निवासियों/फ्लैट मालिकों को मुआवजे के भुगतान के मामले को इस मामले में गठित एसआईटी द्वारा अलग से निपटाया जा रहा है। मेसर्स चिंटल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को टावर-जे के सभी आवंटियों के सभी दावों को समयबद्ध तरीके से निपटाने का निर्देश दिया गया है। जारी आदेशों की अवहेलना में यदि कोई दोषी पाया जाता है कि तो भारतीय न्याय संहिता की 2023 धारा 223 व आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 और लागू अन्य कानूनी प्रावधानों के अनुसार तहत कार्यवाही की जाएगी ।
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