चुनावी जीत का बीज गणित
Advertisement
पटौदी विधानसभा क्षेत्र में 251000 मतदाताओं की संख्या
चंडीगढ़ पहुंचने के लिए एक लाख वोट का टारगेट ही सेफ !
Advertisement
भाजपा और कांग्रेस के अलावा मैदान में पांच आजाद उम्मीदवार भी
2019 के विधानसभा चुनाव में 12 उम्मीदवार रहे थे शामिल
Advertisement
फतह सिंह उजाला
ग्राउंड रिपोर्ट । राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है , जहां चर्चा संभावना और आशंका बदलती ही रहती है। पटौदी विधानसभा सीट के लिए अभी तक के हुए चुनाव पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 2024 का विधानसभा चुनाव कई मामलों में बिल्कुल अलग बना दिखाई दे रहा है। मुख्य मुकाबला पटौदी विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही होना है । इस आमने-सामने के मुकाबले को लेकर बहसबाजी की कोई गुंजाइश भी नहीं है। लेकिन पांच अन्य आजाद उम्मीदवार की मौजूदगी को भी चुनाव परिणाम प्रभावित किया जाने से नजर अंदाज किया जाना राजनीति के साथ अनुचित ही होगा।
Advertisement
ऐसे लोगों के बीच जाने और चर्चाएं सुनने के बाद यह कड़वी और चुनौती पूर्ण बात भी निकाल कर आने लगी है, कि वर्ष 2024 में चंडीगढ़ विधानसभा में पहुंचने के लिए कम से कम एक लाख वोट का टारगेट ही सेफ कहा जा सकता है। जिस प्रकार का जबरदस्त मुकाबला आमने-सामने का बनता चला आ रहा है, उसको देखते हुए पटौदी में इस बार 80 प्रतिशत तक लोगों के द्वारा मतदान किया जाने की संभावना जाहिर की जा रही है। इसका मतलब यही है कि लगभग लगभग 2 लाख लोगों के द्वारा अपने जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में अपनी पसंद के बटन को दबाया जा सकता है ।
Advertisement
पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर ध्यान दिया जाए तो भाजपा को 60000 वोट प्राप्त हुए थे और भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 24000 लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ था। यह बात कहने में कोई झिझक नहीं है कि दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को जो 24000 वोट प्राप्त हुए, वह निश्चित रूप से भाजपा को मिलने वाले वोट का ही एक बड़ा हिस्सा कहा जा सकता है। इस प्रकार मोटा-मोटी अनुमान लगाया जाए तो यह संख्या 85000 बनती है । जननायक जनता पार्टी की वोट संख्या 19000 से अधिक रही । आजाद उम्मीदवार जो कि इस बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं , प्रदीप जाटोली को 2019 में 5000 के करीब वोट प्राप्त हुए। अब बात करते हैं 2019 में कांग्रेस पार्टी को मिले वोट की तो यह संख्या 19000 के करीब चुनाव परिणाम के रिकॉर्ड में दर्ज की गई है।
लोगों के बीच चर्चाओं के अनुसार भाजपा के खिलाफ नाराजगी और कांग्रेस के पक्ष में माहौल के बीच में दोनों ही पार्टियों के लिए अपनी-अपनी परेशानी भी है । भाजपा के खेमे मे भाजपा के जाने पहचाने चेहरे दिखाई नहीं दे रहे। इस प्रकार से कांग्रेस के खेमे में भी ऐसे चेहरों का अभाव है, जिनके द्वारा टिकट की दावेदारी की गई और पिछले कई वर्षों से लोगों के बीच पहुंचकर पार्टी सहित अपने समर्थकों की संख्या भी बढ़ाने का काम किया गया । राजनीतिक सूत्रों का कहना माना जाए तो कांग्रेस का एक अपना पारंपरिक वोट बैंक आरंभ से ही रहा है । लेकिन मोदी लहर के कारण इसमें भाजपा सेंध लगाने में सफल रही । इसी वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी के द्वारा निकाली गई दो यात्राओं के दौरान संविधान बचाने का मुद्दा उठाए जाने से कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कांग्रेस के साथ मजबूती से फेविकोल की तरह जुड़ गया । जानकारी के मुताबिक यही बड़ा फैक्टर भाजपा के लिए भी परेशानी का कारण बना हुआ महसूस किया जा सकता है।
Advertisement
राजनीति के जानकारों के मुताबिक यह देखना भी रोचक रहेगा, 2019 में जननायक जनता पार्टी के अनुभवी उम्मीदवार को 19000 के करीब वोट मिले। यह वोट तब मिले जब जननायक जनता पार्टी के द्वारा भाजपा को जमुना पार भेजने का नारा लगाया गया । दूसरी तरफ मौजूदा समय में आप के उम्मीदवार और तब के आजाद उम्मीदवार प्रदीप को मिले 5000 वोट की संख्या 2024 में घटेगा या बढ़ेगी? यह भी एक जिज्ञासा है । इसका फायदा और नुकसान भाजपा अथवा कांग्रेस को होगा, यह 8 अक्टूबर को पता लगेगा । सबसे बड़ी जिज्ञासा यही है कि हरियाणा विधानसभा में सीट पर कांग्रेस पार्टी को अपना नाम और क्रमांक दर्ज करवाने के लिए 18000 से वोट का टारगेट 1 लाख तक ले जाना ही होगा । दूसरी तरफ 2019 के ही भाजपा के वोट की संख्या को देखें तो भाजपा और भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के वोट की संख्या करीब 85000 है। कांग्रेस और भाजपा के अलावा पटौदी से पांच आजाद उम्मीदवारों को पटौदी के मतदाता के द्वारा कितना कितना वोट दिया जाएगा यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।
Advertisement
Advertisement