पटौदी विधानसभा सीट समर्थकों में अजीब सी खामोशी और नेताओं में अलग सी बेचैनी
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही नहीं खोले अपने पत्ते
चंडीगढ़ के लिए टिकट के दावेदार नेताओं ने दिल्ली में डाल रखा है डेरा
समर्थकों में अजीब सी खामोशी और नेताओं में अलग सी बेचैनी
भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों में नहीं कोई हलचल
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी विधानसभा क्षेत्र अहीरवाल सहित दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में अपना ही एक अलग विशेष स्थान बनाए हुए है । इसका मुख्य कारण है पटौदी विधानसभा क्षेत्र को रामपुर हाउस समर्थन या फिर राव इंद्रजीत सिंह के लिए सबसे सुरक्षित राजनीतिक गढ़ वोट के समर्थन के लिए आज से माना जाता है । केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह चाहे कांग्रेस पार्टी में रहे हो या फिर इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए जीत कर तथा मोदी मंत्रिमंडल में वजीर बनकर हैट्रिक पूरी कर चुके। पटौदी क्षेत्र में उनके प्रभाव को कुछ अपवाद को छोड़कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।
नामांकन आरंभ होने के 2 दिन बाद और 5 अक्टूबर मतदान से पहले अभी तक मुख्य पॉलीटिकल पार्टी भाजपा और कांग्रेस के द्वारा आरक्षित पटौदी विधानसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवारों को लेकर पत्ते नहीं खोले गए । कांग्रेस पार्टी की टिकट के लिए पटौदी विधानसभा क्षेत्र में हरियाणा बनने के बाद पहली बार 42 टिकट के दावेदारों के द्वारा अपनी दावेदारी की गई । दूसरी तरफ सरकार बनाने की हैट्रिक की दावेदार भारतीय जनता पार्टी की टिकट के लिए भी एक दर्जन से अधिक दावेदार अपने दावेदारी करते आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में टिकटों की घोषणा को देखते हुए विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार और पॉलीटिकल पार्टी तथा नेताओं के समर्थक व कार्यकर्ताओं के द्वारा माना जा रहा था, कि समय रहते उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। जिससे कि चुनाव की तैयारी करने में पूरा समय मिल जाएगा।
राजनीति के जानकार और सूत्रों के मुताबिक पटौदी विधानसभा सीट से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपने किसी न किसी समर्थक को टिकट चाहते हैं। इसमें विशेष रूप से दो महिला उम्मीदवारों के नाम की चर्चा चल रही है। वर्ष 2019 में आजाद उम्मीदवार लड़ चुके और भाजपा के मुकाबले दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार के द्वारा भी इस बार मजबूती से भाजपा टिकट पर अपनी दावेदारी जाहिर की जा रही है। विधानसभा में पैरवी भी कर रहे पटौदी के नेता भी अपनी दावेदारी मजबूती से परोस रहे हैं।
इसके विपरीत लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पक्ष में बनी लहर और लोगों के उत्साह सहित समर्थन को देखते हुए भी मुख्य मुकाबले में टिकट के लिए तीन या चार नाम की गंभीर चर्चा बनी। साम, दाम, दंड, भेद की नीति भी राजनीति का ही अहम हिस्सा रहा है । कथित रूप से इसी नीति पर चलते हुए कांग्रेस पार्टी कि टिकट के लिए पैनल में केवल मात्र एक नाम ही भेजे जाने की चर्चा है। पहले दंपतियों का नाम संयुक्त रूप से आगे चलने की चर्चा थी । सूत्रों का कहना है, कांग्रेस के वरिष्ठ प्रभावशाली नेता के द्वारा अब केवल और केवल एक ही नाम पैनल में सरकाया गया है ।
लोगों के बीच चर्चा बनी हुई है कि कांग्रेस पार्टी की टिकट के 42 आवेदक और दावेदारों में क्या केवल मात्र एक ही नाम और नेता हाई कमान की पसंद बना ? बाकी टिकट के दावेदारों में सेवानिवृत न्यायाधीश से लेकर केंद्र सरकार में सेवाएं दे चुके वरिष्ठ अधिकारी, समाजसेवी, चिंतक , एडवोकेट्स अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ राजनीतिज्ञ शामिल है। पिछले 10 वर्ष में कांग्रेस के नेतृत्व को 40 नेताओं को छोड़कर एक ही दावेदार में सर्वगुण दिखाई दिए ? तो फिर टिकट आवेदन की प्रक्रिया मैं समय ही क्यों बर्बाद किया गया ? जबकि दावा यह किया गया कि टिकट देने से पहले उम्मीदवारों के संदर्भ में सर्वे करवाया जा रहा है ।
इसी कड़ी में और आगे चलते हुए भाजपा और कांग्रेस मुख्य पार्टियों को छोड़कर अन्य पार्टियों जिनका की आपस में चुनावी गठबंधन का तालमेल हो चुका है । इनके द्वारा भी अभी तक आरक्षित पटौदी विधानसभा सीट पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई है । अभी तक के हालात को देखा जाए तो लोगों में यही चर्चा है कि टिकट घोषित करने में देरी किया जाना कहीं ना कहीं दोनों ही भाजपा और कांग्रेस पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में जनहित के निर्णय या जन भावना का सम्मान करने का अभाव महसूस किया जा सकता है।
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