पटौदी विधानसभा सीट
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग होते हैं मुद्दे
भाजपा इनेलो और जजपा के द्वारा भी कांग्रेस को तिकोनिया चुनौती
2014 के मुकाबले 2019 में कांग्रेस की वोट संख्या में 4000 का इजाफा
फतह सिंह उजाला
पटौदी । गुरुवार को 2024 विधानसभा चुनाव के वास्ते नामांकन का अंतिम दिन है । बुधवार को दिन ढलने तक कांग्रेस टिकट के दावेदार समर्थक और कार्यकर्ताओं में उम्मीदवार के नाम की घोषणा को लेकर जिज्ञासा सहित बेचैनी बनी रही, ऐसा होना स्वाभाविक भी है । शायद यह पहला मौका है जब देश की सबसे पुरानी पॉलीटिकल पार्टी कांग्रेस के द्वारा राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आधे से अधिक उम्मीदवारों की घोषणा नामांकन समाप्त होने से कुछ घंटे पहले ही की जाएगी या फिर की गई। समाचार लिखा जाने तक कांग्रेस पार्टी के द्वारा अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा का समर्थकों सहित उम्मीदवारों को इंतजार बना रहा।Pataudi Assembly Seat
अहीरवाल अथवा दक्षिणी हरियाणा में अहीर बाहुल्य आरक्षित पटौदी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक गणित आरंभ से ही रोचक रहा है । पटौदी विधानसभा क्षेत्र में आज तक कोई भी उम्मीदवार लगातार दो बार चुनाव जीतकर विधायक नहीं बन सका है । इसके साथ यह भी कटु सत्य है कि यहां से किसी भी पॉलीटिकल पार्टी से लगातार दो बार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को बुरी तरह से पराजय को भी स्वीकार करना पड़ी है । सीधी और खरी बात यही है कि कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता पटौदी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित किया जाए, उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी की 2019 में चौथे नंबर पर रहने के विपरीत 2024 में किस प्रकार से पहले नंबर पर अपने आप को लाया जाए । सीधा-सीधा गणित यह है कि पॉलिटिक्स की पिच पर हार की हैट्रिक को रोकना कांग्रेस के उम्मीदवार खिलाड़ी के लिए एक प्रकार से पॉलिटिकल चैलेंज ही कहां जा रहा है। इससे पहले 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीसरे स्थान पर ठहर गई थी।
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद हरियाणा प्रदेश में हरियाणा मांगे हिसाब कांग्रेस की पदयात्रा में उमड़े जन सैलाब को देखते हुए कांग्रेस के पक्ष में सुनामी की संज्ञा दी गई । लेकिन इसी सुनामी में जब विशेष रूप से पटौदी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार के चयन से लेकर नाम की घोषणा तक देखा जाए तो राजनीतिक जानकारी के जहां सहित आम लोगों में भी एक सवाल अपने आप में सवाल बनकर जवाब तलाश करता हुआ महसूस किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक मुद्दे अलग थे और राज्य विधानसभा चुनाव में मुद्दे अलग ही रहते हैं । राजनीति में दावा भी किया जाता है और आकलन भी लगाए जाते हैं, संभावनाओं का बाजार हमेशा बना रहता है । लेकिन वास्तव में फैसला जनता जनार्दन अथवा मतदाता को ही करना होता है। वर्ष 2014 वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव और चुनाव में पार्टिसिपेट करने वाली पॉलिटिकल पार्टियों सहित उम्मीदवारों पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 2024 में पॉलिटिकल हालत किसी हद तक बहुत बदले हुए दिखाई दे रहे हैं।
मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही ठहराया गया है । यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ पटौदी विधानसभा क्षेत्र में राव इंद्रजीत की पसंद का ही मजबूत समर्थन उम्मीदवार एक बार फिर से भाजपा के द्वारा भेजा गया। समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार की घोषणा नहीं होने को देखते हुए यही कहना बेहतर रहेगा की यहां कांग्रेस केवल और केवल कांग्रेस से ही है। राजनीतिक हालात इस दृष्टिकोण से भी बदल गए हैं कि 2019 में जननायक जनता पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ भाजपा को जमुना पार भेजने का नारा देते हुए चुनाव लड़ा। इससे पीछे 2014 के चुनाव को देखें तो इंडियन नेशनल लोकदल के द्वारा अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में भेजा गया । 2024 के विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल के द्वारा क्षेत्र के ही सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला से उम्मीदवार बनाया गया है। इसी प्रकार से जननायक जनता पार्टी के द्वारा भी अपना उम्मीदवार अलग से भेजा गया है। जननायक जनता पार्टी के द्वारा 2019 के चुनाव में करीब 20000 वोट प्राप्त किए गए । इसी कड़ी में जिला परिषद अध्यक्ष भी जननायक जनता पार्टी समर्थक या फिर कार्यकर्ता ही है।
राजनीति में रुचि रखने वालों का अपना आकलन है कि भाजपा के वोट बैंक में घुसपैठ संभव नहीं रहेगी। क्योंकि भाजपा के खिलाफ ही आजाद उम्मीदवार के द्वारा 2019 में 24000 वोट प्राप्त किए गए और भाजपा को 60000 वोट प्राप्त हुए। इस बार भाजपा या भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले में भाजपा समर्थित किसी भी विंग का उम्मीदवार चुनाव में नहीं है । इसके विपरीत 2014 में 15600 वोट लेकर कांग्रेस 2019 में वोट संख्या 19000 तक ही पहुंच सकी। जो प्रभाव आरक्षित विधानसभा क्षेत्र पटौदी में आज भी राव इंद्रजीत सिंह का बना हुआ है, उसकी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी जो अपना वोट बैंक है, इसका लाभ इन दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को ही मिलना निश्चित माना जा रहा है । अब यह तो भविष्य के गर्भ में है कि कांग्रेस पार्टी 5 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी के मतदाताओं को कितनी बड़ी संख्या में अपने पक्ष में लाने के लिए सफल हो सकेगी । इसका खुलासा 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद ही सामने आएगा।
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