चंडीगढ़,10 अगस्त ( अटल हिन्द ):
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प्रदेश में परिवर्तन रैलियां कर कांग्रेस में अपना अलग राजनीतिक वजूद बनाने को सुरजेवाला निकल चुके है।हुड्डा और दीपेंद्र पहले से पदयात्रा निकाल रहे है। ओर सैलजा भी कांग्रेस संदेश यात्रा निकाल रही है
अब हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एसआरबी (सैलजा-रणदीप-बीरेंद्र) गुट से किनारा कर लिया है।पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ तथा कुमारी सैलजा की ‘कांग्रेस संदेश यात्रा’ से स्वयं को अलग करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने पूरे राज्य में परिवर्तन रैलियां करने का निर्णय लिया है। यह रैलियां विधानसभा स्तर पर होंगी।इन रैलियों के माध्यम से सुरजेवाला जहां अपना अलग राजनीतिक अस्तित्व प्रदर्शित करने की तैयारी में हैं, वहीं हुड्डा या सैलजा का नेतृत्व स्वीकार करने की बजाय स्वयं को मुख्यमंत्री पद की लाइन में पूरी मजबूती से खड़ा रखना चाहते हैं।
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मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की दिशा में सुरजेवाला:
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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राजस्थान से राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला कैथल से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। उन्होंने नरवाना में इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को हराकर चुनाव जीत रखा है, जबकि जींद में उपचुनाव भी लड़ा है।कर्नाटक के प्रभारी रहते हुए सुरजेवाला वहां कांग्रेस की सरकार बनवाने में कामयाब रहे हैं, जिसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा में भेजकर पुरस्कृत किया है। पिछले कई दिनों से उनकी गिनती एसआरके (सैलजा-रणदीप-किरण) के गुट में होती थी।तीनों नेताओं को कई बार एक मंच पर भी देखा गया, लेकिन किरण चौधरी के भाजपा में चले जाने के बाद एसआरके गुट टूट गया, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के इस गुट में जुड़ जाने के बाद इसका नया नाम एसआरबी (सैलजा-रणदीप-बीरेंद्र) गुट पड़ गया।
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रणदीप सुरजेवाला ने खींची अपनी अलग लाइन
प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के तहत पूरे प्रदेश में पहले से पदयात्रा निकाल रहे हैं। इन पदयात्राओं में दीपेंद्र हुड्डा को व्यापक जनसमर्थन हासिल हो रहा है।
हरियाणा मांगे हिसाब अभियान की लांचिंग पर प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और तीनों कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, रामकिशन गुर्जर और सुरेश गुप्ता मतलौडा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी मौजूद रहे थे।
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तब सैलजा व सुरजेवाला की गैरमौजूदगी व बीरेंद्र सिंह की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी थी। हुड्डा के हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के बाद कुमारी शैलजा ने पूरे प्रदेश में उन शहरी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस संदेश यात्रा आरंभ करने की घोषणा की, जहां कांग्रेस कमजोर है।इस यात्रा में बीरेंद्र सिंह और सुरजेवाला के भी शामिल होने का दावा किया गया था, लेकिन बीरेंद्र सिंह तो सैलजा के साथ दिखाई दिए, मगर सुरजेवाला ने सैलजा की इस संदेश यात्रा से अब तक दूरी बनाए रखी।
11 अगस्त से शुरू होगी सुरजेवाला की रैली
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कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सुरजेवाला किसी का नेतृत्व स्वीकार करने की बजाय पार्टी हाईकमान व जनता में स्वयं को स्थापित लीडर के रूप में पेश करना चाह रहे हैं, ताकि उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मजबूती से बनी रहे।
यदि वे हुड्डा या सैलजा का नेतृत्व स्वीकार कर लेते तो इससे उनकी सीएम की दावेदारी पर आंच आ सकती थी। दूसरा विकल्प यह है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनने पर सुरजेवाला मुख्यमंत्री नहीं बन पाते तो पिछली बार की तरह हुड्डा की सरकार में साझीदार होने की उनकी दावेदारी बरकरार रहेगी।पहली रैली 11 अगस्त को पानीपत में, दूसरी रैली 17 अगस्त को नीलोखेड़ी में तथा 18 अगस्त को जींद में होगी। इन तीन रैलियों के माध्यम से सुरजेवाला पानीपत, करनाल और जींद जिलों को कवर करेंगे, जिसके बाद नई रैलियों का शेड्यूल घोषित किया जाएगा।
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