जीएसटी के बिल बनाने पर मदान कटर्स पर ईटीओ ने लगाया 76 हजार 136 रुपये का जुर्माना
किसान मेलों को लेकर आरटीआई के तहत पकड़ा था फर्जीवाड़ा
कृषि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी की जाएगी कार्यवाही की मांग : जयपाल रसुलपुर
कैथल, 25 सितंबर (कृष्ण प्रजापति): जहां किसान सरकार की गलत नीतियों को लेकर पहले ही सड़कों पर उतरा हुआ है वहीं कृषि विभाग भी किसान जागरूक कार्यक्रम पर जमकर फर्जीवाड़ा कर रहा हैं, ऐसा ही खुलासा एक आरटीआई के तहत सामने आया है जिसमे कृषि विभाग के अधिकारियों ने बिना जीएसटी रजिस्टर्ड फर्म को किसानों को खाना खिलाने का टेंडर दिया गया था। आररटीआई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने बताया कि उसने जिला कृषि विभाग से 2015 से 2020 तक किसान जागरूकता मेलों के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी जिसमे बताया गया कि 2018-19 में किसान जागरूकता मेलों में 14 लाख से अधिक का खर्च आया जिनमे से एक मेला कैथल स्थित हनुमान वाटिका में आयोजित किया गया था जिसमे किसानों को खाना खिलाने का टेंडर मदान कैटर्स को दिया गया था जिसमे किसानों को 3 लाख से अधिक रुपयों का खाना खिलाया गया और बिना जीएसटी के बिल बनाए गए थे।
बॉक्स- ईटीओ कैथल को ईमेल के तहत की थी शिकायत, जाँच में पाया दोषी तो लगाया 76 हजार 136 रु का जुर्माना
सूचना मांगने वाले युवक जयपाल रसूलपुर ने बताया कि उसने बिना जीएसटी के बिलों की शिकायत ईमेल के द्वारा ईटीओ कैथल को की थी जिसकी जांच के दौरान मदान केटर्स वो बिल बुक ही नही दिखा पाया जिस बिल बुक में से वो बिल काटे गए थे। जाँच के दौरान यह बात भी सामने आई कि उक्त फर्म ने जीएसटी नम्बर भी नही लिया हुआ था इसलिए ईटीओ कैथल ने जीएसटी नियमों के अधीन बिना जीएसटी के बिल बनाने में दोषी पाया और उसके ऊपर 76 हजार 136 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जानकारी के मुताबिक फर्म ने वह पैसे सरकारी खजाने में जमा करवा दिए हैं।
बॉक्स- कृषि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी की करवाई जाएगी कार्यवाही की मांग :
जयपाल का कहना है कि कृषि विभाग के जिन अधिकारीयों ने बिना जीएसटी रजिस्टर फर्म को यह टेंडर दिया है, उनके खिलाफ भी कार्यवाही करवाई जाएगी क्योंकि जब किसी सरकारी कार्य का टेंडर दिया जाता है तो सबसे पहले फर्म से उसका जीएसटी नम्बर पूछा जाता है और वित्तीय नियमों के अनुसार ऐसा होना भी चाहिए लेकिन इस केस में ऐसा नही किया गया इसलिए कृषि विभाग के जिस अधिकारी ने यह टेंडर इस फर्म को दिया है, वह मिलीभगत से दिया है और बिना जीएसटी के बिल पास किये गए हैं इसलिए उनके खिलाफ भी उच्च अधिकारियों को शिकायत की जाएगी ताकि भविष्य में सभी सरकारी कार्यालय के कर्मचारी ऐसा न कर सकें।