
जीरकपुर नगर परिषद के प्रधान ढिल्लों को अलॉट कमरा प्रशासन ने वापस लेकर हटाई नेम प्लेट
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डी. सी. आशिका जैन की लगाई नेम प्लेट, दफ्तरी स्टाफ और सरकारी गाड़ी आदि सुविधा को प्रशासन ने किया सस्पेंड
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रोहित गुप्ता
जीरकपुर 24,जुलाई
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जीरकपुर नगर परिषद की छोटी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। जीरकपुर शहर की स्थानीय सरकार में अब शह और मात का खेल खेला जा रहा है जिसके चलते शहर में जनहित कार्य अवरुद्ध हो गए और शहर की सरकार चलाने के लिए जनता द्वारा चुने गए पार्षद प्रतिनिधि अपनी अपनी राजनीति चमकाने में लगे है।
जिसके परिणाम स्वरूप अब जीरकपुर नगर परिषद उपायुक्त के हवाले कर दी गई यानी चुने हुए पार्षद आपसी गुटबाजी के चलते जनहित कार्य नहीं कर पाएंगे।
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जीरकपुर नगर परिषद के प्रधान उदयवीर सिंह ढिल्लों(Udaiveer Singh Dhillon) खिलाफ सर्वसम्मति से पारित हुए अविश्वास प्रस्ताव का मामला एक ओर जहां पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है, तो दूसरी ओर स्थानीय नगर परिषद ने अदालत में चलने वाली सुनवाई परिषद कार्यालय में प्रधान उदयवीर सिंह ढिल्लों की अलॉट हुए कमरे को वापस लेते हुए इसके बाहर लगी नेम प्लेट हटा दी। जबकि इसकी जगह जिला मोहाली की डी.सी. आशिका जैन (DC Ashika Jain)की नेम प्लेट लगा दी और इसके साथ ही प्रधान ढिल्लों को मिलने वाली दफ्तर स्टाफ और सरकारी गाड़ी आदि सुविधा को प्रशासन द्वारा फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है। ये जानकारी सोमवार जीरकपुर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अशोक पथरिया द्वारा प्रधान ढिल्लों की की जगह डी.सी. आशिका जैन की नेम प्लेट लगाने के बाद मीडिया से साझा की और बताया कि यह आदेश तब तक जारी रहेंगे, जब तक हाईकोर्ट की ओर से मामले को लेकर अंतिम फैसला नहीं आ जाता।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा मामला :
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नगर परिषद प्रधान उदयवीर सिंह ढिल्लों द्वारा 5 जुलाई को बुलाई हाऊस बैठक को पोस्टपोन करना और 15 जुलाई को बैठक करने के मामले को लेकर प्रधान ढिल्लों ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिनकी याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने जीरकपुर प्रशासन सहित पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया और 22 जुलाई को सुनवाई रखी गई। 22 जुलाई को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान प्रधान ढिल्लों द्वारा एक याचिका और दायर कर दी, जिसमें बताया उनकी ओर से 5 जुलाई को उनकी ओर से बुलाई बैठक को डायरेक्टर द्वारा यह कहकर रद्द कर दिया कि बैठक का कोरम पूरा नहीं था। जबकि हाउस की अगली बैठक बुलाने का अधिकार केवल और केवल प्रधान के पास होता है और प्रधान मी सहमति बिना स्थानीय प्रशासन द्वारा 15 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले पार्षदों की मांग पर बैठक रख दी, जो गैरकानूनी है और इसमें पारित हुआ प्रस्ताव पूरी तरह से अधिकारियों के ऊपर सियासी दबाव है। दूसरी ओर, 22 जुलाई को हुई सुनवाई के बाद अदालत द्वारा अब अगली तारीख 1 अगस्त तय की है और हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए प्रशासन द्वारा सोमवार को कार्रवाई को अंजाम देते हुए प्रधान ढिल्लों को दफ्तर में अलॉट हुआ कमरा, सरकारी गाडी सुविधा को सस्पेंड कर दिया गया है।
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बाक्स :
बीती 28 जून को 21 पार्षदों ने दिया था अविश्वास प्रस्ताव :
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जीरकपुर नगर परिषद के 2021 में हुए निकाय चुनाव हुए, जिसके 31 सदस्यों वाली नगर परिषद में कांग्रेस के 23 पार्षदों ने चुनाव जीतकर बड़ी जीत हासिल की। जबकि इस चुनाव में शिअद के 8 सदस्य ही जीत हासिल कर पाए, जिनको विपक्ष में बैठने का मौका मिला। दूसरी ओर, 22 पार्षदों ने वार्ड-12 से चुनाव जीतकर पहली बार पार्षद बने उदयवीर सिंह ढिल्लों को सर्वसम्मति प्रदान करते हुए प्रधान की कुर्सी पर बैठाया, जिनको पहली बार प्रधान बने ढिल्लों ने भरोसा दिलाया कि जीरकपुर शहर के विकास के लिए दिन रात एक कर देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और प्रधान ढिल्लों की बीते 3 वर्षों की कारगुजारी से परेशान होकर 13 पार्षदों ने कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए 11 सदस्य आम आदमी पार्टी और 2 सदस्य भाजपा में शामिल हो गए।
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इस बीच बीती 28 जून को शिअद के 8 सदस्यों को साथ लेकर प्रधान ढिल्लों की कारगुजारी खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अधिकारियों को सौंप दिया, जिसको प्रधान ढिल्लों द्वारा मंजूर करते हुए 5 जुलाई को हाउस की बैठक बुलाई गई। दूसरी ओर, अधिकारियों द्वारा इस बैठक को इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि पुलिस विभाग से सुरक्षा प्रबंधों की पुष्टि नहीं की गई और अधिकारियों द्वारा 5 जुलाई की बैठक को पोस्टपोन करके 15 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्यों द्वारा बैठक बुलाई गई। इसमें 21 पार्षद व विधायक कुलजीत सिंह रंधावा की वोट के बाद अविश्वास प्रस्ताव को 2 तिहाई की संख्या यानी 22 सदस्यों ने मंजूरी प्रदान कर दी।
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