राजनीति में कोई सगा नहीं होता ,अनिल विज जैसी शख्शियत की अफसरों से तकरार यूँ ही तो नहीं होती
चंडीगढ़(ATAL HIND ) हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल विज(ANIL VIJ) क्या अपना रसूख खोते जा रहे है ,क्यों आजकल अनिल विज को गुस्सा आता है ,क्यों अनिल विज पहले वाले अनिल विज दिखाई नहीं देते,क्यों बढ़ रही है उनके अंदर कड़वाहट ,दशकों से हरियाणा बीजेपी के कद्दावर नेता रहे अनिल विज आजकल खफा-खफा क्यों रहते है ,हरियाणा की जनता जिस बीजेपी को अनिल विज के नाम से जानती थी ,जिस अनिल विज को हरियाणा बीजेपी का सबसे अच्छा और दंबग नेता माना जाता था ,जिस अनिल विज के नाम से हरियाणा की अफसरशाही में खौफ था। आज उसी अनिल विज को बहुत कुछ सहना पड़ रहा है क्यों।इसके पीछे कारण कोई भी हो अनिल विज को अगर अपना नाम पहले की तरह बनाये रखना है तो अपनों से ही बच कर रहना होगा। अन्यथा उन्हें राजनीतिक नुकशान के साथ साथ अपने पुराने ज़माने के साथियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। जैसा की हरियाणा की मनोहर सरकार 2 की कार्यप्रणाली को देखे तो अनिल विज को अगर अपना राजनीतिक अस्तित्व बनाये रखना है तो महात्मा गाँधी की तीनो बातों को अपनाना होगा वरना हरियाणा की राजनीति में उनका हश्र भजन लाल जैसा हो सकता है 2014 के चुनाव ने अनिल विज जैसी शख्शियत को यह बीजेपी आलाकमान ने यह जता भी दिया था की राजनीति में कोई सगा नहीं होता।चर्चा तो यहाँ तक है की अनिल विज अपनों का गुस्सा अफसरों पर उतारते है जबकि अनिल विज के अपने ही अफसरों को अनिल विज की खिलाफत कारवा रहे है आखिर कहावत भी तो है की उड़ने वाले पंछी के पर कुतरने पड़ते है।अनिल विज जानते है की सरकार अफसर चलाते है नेता नहीं ,अफसरों का काम सरकार की नौकरी बजाना है और सरकार कौन है ये अनिल विज बहुत अच्छे से समझते है। खैर मामला हरियाणा सरकार के दो भारी भरकम महकमे संभाल रहे गृह एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा से जुड़ा है जो अब हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निशाने पर आ गए हैं। अरोड़ा की कार्यप्रणाली को लेकर अब मंत्री ने खुद ही सवाल खड़े करते हुए इस संबंध में हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया गया है, जिस पर अरोड़ा से सीएस ने जवाब भी मांग लिया है। बताया जा रहा है कि अरोड़ा पूरे मामले में मंत्री की नाराजगी की बात को भांपते हुए मान मनौव्वल में जुट गए हैं। लेकिन पूरा मामला हाईकमान के सामने पहुंच चुका है, इसलिए जल्द ही अरोड़ा के महकमों में फेरबदल होने की चर्चाएं भी प्रबल हो गई हैं।दूसरी ओर केवल हेल्थ ही नहीं बल्कि गृह विभाग में भी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों, अफसरों की अपीलें एसीएस होम के यहां पर लंबित पड़ी हुई हैं। मंत्री ने कईं बार इनके जल्द ही निस्तारण का निर्देश भी जारी किया था लेकिन यह भी नहीं किया गया। इन कारणों के अलावा अन्य भी कई अहम कारण मंत्री विज के खफा होने के बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सीएस को पत्र जाने के साथ ही पूरा का पूरा मामला भाजपा हाईकमान को भी अवगत कराया जा चुका है। उधर, दो दिनों से दिल्ली में व्यस्त मंत्री अनिल विज ने पूछने पर बताया कि कि इस संबंध में वे कोई भी चर्चा नहीं करना चाहते, साथ ही यह भी कहा कि लोगों को समय पर न्याय देना होगा साथ ही फाइलों का निस्तारण भी वक्त पर होना चाहिए, क्योंकि इसके अभाव में लोग व उनके परिवार परेशानी झेलते हैं।सूत्रों का कहना है कि कोविड संबंधी कई अहम मामलों में एसीएस होम व हेल्थ खुद ही फैसले लेने में जुटे हुए हैं। कोविड को लेकर राज्य स्तरीय टास्क फोर्स के गठन के साथ साथ अन्य कईं अहम बैठकों आदि को लेकर भी मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया, जिसके कारण मंत्री विज ने खुद पहले तो अरोड़ा से सीधे ही स्पष्टीकरण मांग लिया, बाद में लीपापोती व हीलाहवाली देखते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव विजय वर्धन को पत्र भी लिख दिया है। जिसके बाद से एसीएस मंत्री की मान मनौव्वल में जुटे हुए हैं। अपनी बेबाकी और बोल्ड फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले विज का ये नोट काफी तल्ख है। सूत्रों का कहना है कि विज ने टॉस्क फोर्स गठित करने के फैसले को ‘बहुत अच्छा’ बताते हुए कहा, ‘आपने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए टॉस्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया और मुझसे चर्चा करना भी उचित नहीं समझा। मुझे ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग को मंत्री की जरूरत ही नहीं है। मैं पिछले कुछ दिनों से महसूस कर रहा हूं कि आप मेरे पत्रों का जवाब देना भी उचित नहीं समझते’।
Advertisement