आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी में ‘काली कमाई’ का खुलासा !लागत 46 करोड़… निवेश 494 करोड़…
Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान पर अब ईडी का भी शिकंजा कसने जा रहा है. आयकर विभाग की जांच में जौहर यूनिवर्सिटी में करीब 450 करोड़ की काली कमाई को खपाने की जानकारी मिली है.
लखनऊ. सीतापुर जेल में बंद सपा नेता आज़म खान की मुश्किलों का अंत होते नहीं दिख रहा है. आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी निर्माण में इनकम टैक्स को काली कमाई खपाने की जानकारी मिली है. इनकम टैक्स विभाग को जांच में यूनिवर्सिटी निर्माण में लगे करीब साढ़े 450 करोड़ रुपए के हिसाब किताब में गड़बड़ी मिली. माना जा रहा है कि यूनिवर्सिटी निर्माण में 450 करोड़ रुपए की काली कमाई लगी. इतना ही नहीं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच के दौरान यूनिवर्सिटी निर्माण में दान देने वाली कई कंपनियों और लोगों ने चंदा देने की बात नकारी. चंदा देने वाली कई कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं मिला. अब इनकम टैक्स ने अपनी रिपोर्ट ईडी को भेजी है. जिसके बाद आजम खान पर अब ईडी का भी शिकंजा कसेगा.
गौरतलब है कि ईडी यूनिवर्सिटी निर्माण की पहले से ही चल कर रही है. अब ईडी इनकम टैक्स की रिपोर्ट को अपनी जांच में शामिल कर सकती है. दरअसल, आजम खान को यूनिवर्सिटी निर्माण के लिए सिर्फ दो इमारतें बनाने की मंजूरी मिली थी. बावजूद इसके जौहर यूनिवर्सिटी परिसर में 59 इमारतें बना डाली. दो मंजिल की यूनिवर्सिटी की लागत 46 करोड रुपए बताई गई थी, लेकिन इनकम टैक्स की जांच में ये पता चला कि ये लागत करीब 494 करोड़ रुपए है. जांच में यह भी पता चला कि यूनिवर्सिटी के निर्माण में सरकारी विभाग के बजट का भी इस्तेमाल किया गया. इसमें 88 करोड़ रुपए जल निगम और लोक निर्माण विभाग के भी लगाए गए.
बीते दिनों इनकम टैक्स ने जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी.
छापेमारी में जुटाए गए तथ्यों के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार हुई है. अब इस रिपोर्ट के आधार पर ईडी PMLA (प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर सकती है. क्योंकि जांच रिपोर्ट में गैरकानूनी तरह से पैसे का लेनदेन हुआ है. इतना ही नहीं विदेशी मुद्रा के लेनदेन की भी जानकारी मिली है.
रामपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ में हुई थी छापेमारी
रामपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ आदि जिलों में हुई यह छापेमारी तीन दिन तक चली थी। जबकि, 20 अक्टूबर को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की टीम ने जौहर यूनिवर्सिटी में डेरा डाल लिया और इमारतों की वास्तविक कीमत का आंकलन किया। जिसके बाद आयकर विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट ईडी को भेज दी है।
450 करोड़ रूपये का निवेश छिपाया गया
सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि आजम खां ने जौहर यूनिवर्सिटी में बनी दो इमारतों के निर्माण की ही मंजूरी ली थी, जबकि यूनिवर्सिटी में 59 इमारतों का निर्माण किया गया है। वहीं, आजम खां अपनी यूनिवर्सिटी की कीमत 46 करोड़ रूपये बताते हैं, जबकि इन इमारतों की वास्तविक कीमत 494 करोड़ रूपये है। इस तरह 450 करोड़ रूपये का निवेश छिपाया गया, जो गलत तरीके से अर्जित किया गया है। इसमें भी यूनिवर्सिटी में अधिग्रहीत की गई जमीन और अन्य चल संपत्तियां शामिल नहीं हैं।
इसके अलावा 88 करोड़ रूपये जल निगम, लोक निर्माण विभाग जैसी सरकारी विभागों के लगे हुए हैं, जिनसे अलग-अलग योजना के तहत कार्य कराए गए हैं। जैसे ड्रेनेज सिस्टम, सड़कों और इमारतों का निर्माण शामिल है।
मंत्री रहते हुए ताकत का गलत इस्तेमाल
वहीं, आयकर विभाग ने जब आजम खां से पूछताछ की, तो उन्होंने जौहर ट्रस्ट को चंदा देने वालों ने नाम बता दिए, लेकिन आयकर विभाग ने जब उन दानदाताओं से पूछा तो उन्होंने जौहर ट्रस्ट को किसी भी प्रकार का चंदा देने से इंकार कर दिया। सूत्र बताते हैं कि आयकर विभाग ने यह भी माना है कि आजम खां ने सपा सरकार में मंत्री रहते हुए अपनी ताकत को दुरूपयोग किया और अपने निजी स्वार्थ को गलत तरीके से पूरा किया है।
जौहर यूनिवर्सिटी में लगता था ठेकेदारों का 30 से 40 प्रतिशत पैसा
सपा नेता आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी में ठेकेदारों का 30 से 40 प्रतिशत पैसा लगता था। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग की जांच में यह भी खुलासा हुआ है। इसमें से कुछ ठेकेदारों ने इस बात को स्वीकार भी किया है। सूत्रों के अनुसार यह खेल इस तरीके से होता था कि आजम खां अपने ही करीबी ठेकेदारों को सड़कों और अन्य कार्यों के लिए ठेके दिलाए जाते थे, लेकिन ठेकेदार बिना काम करे ही उस धन को निकाल लेते थे और उस धन में 30 से 40 प्रतिशत पैसा जौहर ट्रस्ट को दे दिया जाता था।
जौहर ट्रस्ट को करोड़ों रूपये का चंदा
सपा नेता आजम खां के जौहर ट्रस्ट को अस्तित्वविहीन कंपनियों ने ही करोड़ों रूपये का चंदा दे दिया था। सूत्रों के अनुसार इसमें लखनऊ की पिरामिड कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायरस, मुरादाबाद की सालार ओवरसीज लिमिटेड और फेज परवीन, दिल्ली की एआर एजुकेशन ट्रस्ट, रामीगेट इन्फ्रा डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, बहराइच की मोहम्मद हसीब, नोएडा की सिटी एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी और अर्थ कम्यूनिकेशन इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड, रॉयल एम्पोरिया फ्रा टेक कंपनी शामिल हैं। इन कंपनियों ने जौहर ट्रस्ट को करोड़ों रूपये का चंदा दिया है।
ईडी फेमा और पीएमएलए के तहत दर्ज कर सकती है केस
आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ईडी पीएमएलए (प्रीवेन्सन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) व फेमा के तहत केस दर्ज कर सकती है। क्योंकि, जिस गैरकानूनी तरीके से पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है, वह इसके दायरे में आता है। इसके अलावा विदेशी मुद्रा के लेनदेन की भी जानकारी सामने आई है। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं।
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