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आपने वैक्सीन ली या नहीं ,वैक्सीन सर्टिफिकेट भी अनिवार्य नहीं -मोदी सरकार

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 ’ केंद्र ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मर्जी के बिना उसका टीकाकरण नहीं किया जा सकता.

 

आपने वैक्सीन ली या नहीं ,वैक्सीन सर्टिफिकेट भी अनिवार्य नहीं -मोदी सरकार 

किसी का जबरन टीकाकरण नहीं, वैक्‍सीन सर्टिफिकेट भी कहीं नहीं अनिवार्य- सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार

नई दिल्‍ली. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ शुरू हुए टीकाकरण अभियान (Corona Vaccination) को 16 जनवरी को एक साल पूरा हो गया है. इस दौरान वैक्‍सीन की 157 करोड़ से अधिक डोज लगाई गई हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कोविड-19 टीकाकरण दिशानिर्देशों में किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसका जबरन टीकाकरण कराने की बात नहीं की गई है.दिव्यांगजनों को टीकाकरण प्रमाण पत्र दिखाने से छूट देने के मामले पर केंद्र ने न्यायालय से कहा कि उसने ऐसी कोई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी नहीं की है, जो किसी मकसद के लिए टीकाकरण प्रमाणपत्र साथ रखने को अनिवार्य बनाती हो. केंद्र ने गैर सरकारी संगठन एवारा फाउंडेशन की एक याचिका के जवाब में दायर अपने हलफनामे में यह बात कही. याचिका में घर-घर जाकर प्राथमिकता के आधार पर दिव्यांगजनों का टीकाकरण किए जाने का अनुरोध किया गया है.हलफनामे में कहा गया है, ‘भारत सरकार तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देश संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना जबरन टीकाकरण की बात नहीं कहते.’ केंद्र ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मर्जी के बिना उसका टीकाकरण नहीं किया जा सकता.यह रेखांकित करते हुए कि कोविड-19 के लिए टीकाकरण चल रही महामारी की स्थिति को देखते हुए बड़े सबके हित में है, सरकार ने कहा, ‘विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह सलाह, विज्ञापन और बताया  जाता है कि सभी नागरिकों को टीका लगवाना चाहिए और सिस्टम व प्रक्रियाओं को इसके लिए आसान बनाया गया है. हालांकि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.’

पिछले साल 16 जनवरी को देश में दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना टीकाकरण अभियान चलाया गया था. अभियान की शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों को टीका देने से हुई थी जिसके बाद अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को टीके की खुराक दी गई. सरकार ने एक मार्च से टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की थी जिसके तहत 60 साल से अधिक उम्र और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को टीका दिया गया.

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