अब देश में कोई चुनाव नहीं कराएंगे… मुख्य चुनाव आयुक्त की बात सुन सन्न रह गए थे PM
भारत में एक मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसा भी हुआ, जिसने प्रधानमंत्री तक की नहीं सुनी. उसकी वजह से राज्यपाल को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी. जिद पर अड़े तो सरकार को दो टूक कह दिया कि अब देश में कोई चुनाव नहीं होगा. वो थे टीएन शेषन (TN Seshan). 15 दिसंबर 1932 को केरल के पलक्कड़ में जन्में टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेलै नारायण अय्यर शेषन था. वह साल 1990 में भारत के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त बने और करीब 6 साल तक इस पद पर रहे. अपनी साफ-सुथरी छवि और कड़क मिजाज के लिए मशहूर शेषन को प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने मुख्य चुनाव आयुक्त की कुर्सी ऑफर की थी,
चंद्रशेखर जब प्रधानमंत्री (Prime Minister Chandrashekhar) बने तो उन्होंने टीएन शेषन से पूछा कि क्या वो कैबिनेट सचिव बनना चाहते हैं? शेषन पहले भी इस पद पर रह चुके थे. उन्होंने अपने रिटायरमेंट का हवाला देते हुए मना कर दिया. कहा कि वह जल्द रिटायर होने वाले हैं इसलिए दोबारा कैबिनेट सचिव की कुर्सी स्वीकार करना संभव नहीं है. बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद चंद्रशेखर ने सुब्रमण्यम स्वामी के जरिए शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त बनने का प्रस्ताव भेजा. शेषन ने पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और फिर पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन की सलाह ली.
==शंकराचार्य की सलाह क्यों ली?
टीएन शेषन कांची के शंकराचार्य को बहुत मानते थे. उन्होंने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रस्ताव पर शंकराचार्य की सलाह लेने का फैसला लिया. शंकराचार्य ने उनसे कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त सम्मानजनक पद है और स्वीकार करना चाहिए. इसके बाद 10 दिसंबर 1990 को शेषन देश के मुख्य चुनाव आयुक्त बन गए.
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जिस वक्त टीएन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बने, उसके ठीक बाद विजय भास्कर रेड्डी कानून मंत्री हुए. उन्होंने चुनाव आयोग पर दबाव बनाना शुरू किया कि वो संसद में पूछे गए सवालों का जवाब दे. इस पर शेषन ने दो टूक जवाब दिया कि चुनाव आयोग कोई सरकार का विभाग नहीं है और जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं.
PM को सुना दी खरीखोटी
मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) के पास पहुंचा. राव ने कानून मंत्री रेड्डी और टीएन शेषन (TN Seshan) दोनों को बुलवाया. शेषन ने प्रधानमंत्री के सामने कह दिया कि चुनाव आयोग कोई कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं. उनकी बात सुनकर PM राव सन्न रह गए. शेषन (TN Seshan) यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा- ‘प्रधानमंत्री महोदय, अगर आपका यही रवैया रहा तो मैं भविष्य में आपके साथ काम नहीं कर पाऊंगा…’
क्यों कहा- अब देश में कोई चुनाव नहीं कराएंगे
टीएन शेषन (TN Seshan) चुनाव आयोग (Election Commission Of India) की स्वायत्तता और अधिकार के लिए लड़ ही रहे थे. इसी बीच 1993 आते-आते तल्खी और बढ़ गई. इसी दौरान उन्होंने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया जिससे हड़कंप मच गया. शेषन ने 17 पन्नों का एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा कि केंद्र सरकार जब तक चुनाव आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं देती, तब तक देश में कोई चुनाव नहीं कराया जाएगा.
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टीएन शेषन (TN Seshan) जब मुख्य चुनाव आयुक्त बने तो मशहूर हो गया कि नेता या तो भगवान से डरते हैं या शेषन से. 1992 में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तब शेषन ने अपराधियों से कह दिया कि या तो वो खुद को पुलिस के हवाले कर दें या अग्रिम जमानत ले लें. चुनाव में जरा सा हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा.
पहचान पत्र की शुरुआत
शेषन (TN Seshan) ही वह शख़्स थे जिन्होंने पहचान पत्र के इस्तेमाल की व्यवस्था शुरू की. हालांकि उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा. नेताओं ने कहना शुरू किया कि ये बहुत महंगी व्यवस्था है. लेकिन शेषन अपनी बात पर अड़े रहे. कह दिया कि अगर मतदाता पहचान पत्र नहीं बन पाए तो 1995 के बाद चुनाव आयोग कोई चुनाव कराएगा.
राष्ट्रपति का चुनाव लड़े पर हार गए
रैमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित टीएन शेषन 1997 में राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़े लेकिन केआर नारायणन से हार का सामना करना पड़ा. फिर कांग्रेस के टिकट पर लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ लोकसभा चुनाव के मैदान में भी उतरे, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. ‘ए हर्ट फुल ऑफ बर्डन’ जैसी किताबें लिखने वाले शेषन का साल 2019 में 86 साल की उम्र में निधन हो गया था.
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