AtalHind
टॉप न्यूज़व्यापार

8 लाख रुपये सालाना आय ईडब्ल्यूएस है तो ढाई लाख की आय पर टैक्स क्यों

Annual income of Rs 8 lakh is EWS, then why tax on income of Rs 2.5 lakh
Annual income of Rs 8 lakh is EWS, then why tax on income of Rs 2.5 lakh
8 लाख रुपये सालाना आय ईडब्ल्यूएस है तो ढाई लाख की आय पर टैक्स क्यों
नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ में एक याचिका में सवाल किया गया है कि यह कैसे संभव है कि आयकर के लिए 2.5 लाख रुपये की वार्षिक आय आधार है जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 8 लाख रुपये से कम की वार्षिक आय को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में शामिल करने के फैसले को बरकरार रखा है.
Advertisement
लाइव लॉ के मुताबिक, इस याचिका को लेकर जस्टिस आर. महादेवन और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय, वित्त कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को नोटिस भेजा है.
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को 3:2 के बहुमत के फैसले से बरकरार रखा और कहा कि यह कोटा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है.Annual income of Rs 8 lakh is EWS, then why tax on income of Rs 2.5 lakh
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस संविधान संशोधन को बरकरार रखा था, जबकि जस्टिस एस. रवींद्र भट और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने अल्पमत ने इससे असहमति जताई थी.
Advertisement
जस्टिस भट का कहना था कि संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त पिछड़े वर्गों को इसके दायरे से पूरी तरह से बाहर रखना और एससी-एसटी समुदायों को बाहर रखना कुछ और नहीं, बल्कि भेदभाव है जो समता के सिद्धांत को कमजोर और नष्ट करता है.
गौरतलब है कि ईडब्ल्यूएस कोटे में ‘आर्थिक रूप से कमजोर’ वर्ग में शामिल करने के लिए आय को एक निर्धारक कारक माना गया है. हालांकि, जैसा कि याचिका में कहा गया है, कोटे में आने वाला एक बड़ा वर्ग उस स्लैब में है जिसे आयकर का भुगतान करना होता है.
यह याचिका एक किसान और द्रमुक के सदस्य कुन्नूर सीनिवासन द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें उन्होंने वित्त अधिनियम, 2022 की पहली अनुसूची, भाग I, पैराग्राफ ए को रद्द करने की मांग की है. अधिनियम का यह हिस्सा आयकर की दर तय करता है, जो कहता है कि जिस किसी की भी सालाना आय ढाई लाख रुपये से अधिक नहीं है, उसे कर देने की जरूरत नहीं है.Annual income of Rs 8 lakh is EWS, then why tax on income of Rs 2.5 lakh
Advertisement
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह हिस्सा अब संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21 और 265 के खिलाफ है. मद्रास हाईकोर्ट मामले को चार सप्ताह बाद सुनेगा.
द हिंदू ने बताया कि 82 वर्षीय सीनिवासन तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक की एसेट प्रोटेक्शन काउंसिल के सदस्य है और उनका कहना है कि कि सरकार द्वारा ढाई लाख लाख रुपये की सालाना आय पाने वाले व्यक्ति से टैक्स वसूलना मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.
सीनिवासन ने अपनी याचिका में कहा है कि क्योंकि सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण श्रेणी में आने के लिए सकल वार्षिक आय के 8 लाख रुपये से कम तय की है, इसलिए इनकम टैक्स के लिए आय स्लैब भी बढ़ाया जाना चाहिए.
Advertisement
सीनिवासन की याचिका में कहा गया है, ‘वही अन्य सभी वर्गों पर लागू किया जाना चाहिए.’ उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार को सालाना 7,99,999 रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति से टैक्स नहीं वसूलना चाहिए. और ऐसे लोगों को मिलाकर ईडब्ल्यूएस कैटेगरी होने के बावजूद टैक्स लेना ‘तर्कसंगत’ नहीं है.
Annual income

 

लाइव लॉ के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा, ‘जब सरकार ने एक तय आय मानदंड निर्धारित किया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आरक्षण के तहत लाभ लेने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग परिवार की आय 7,99,999 रुपये की सीमा तक होनी चाहिए, तो प्रतिवादियों को 7,99,999 रुपये की सीमा तक आय वाले व्यक्ति से टैक्स लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने में कोई तर्कसंगतता और समानता नहीं है.’Annual income of Rs 8 lakh is EWS, then why tax on income of Rs 2.5 lakh
Advertisement
सीनिवासन की याचिका में वह बात भी दोहराई गई है जो ईडब्ल्यूएस आरक्षण के आलोचकों ने कही है- यह कि जब प्रति वर्ष 7,99,999 रुपये से कम आय वाले लोगों का एक वर्ग आरक्षण प्राप्त करने के लिए पात्र है, जबकि अन्य लोग आय मानदंड के आधार पर आरक्षण प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हैं. याचिका के मुताबिक, ‘यह मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.’
मालूम हो कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने पहले 10% ईडब्ल्यूएस कोटा प्रदान करने वाले 103वें संवैधानिक संशोधन को यह कहते हुए ‘ख़ारिज’ कर दिया था कि इससे गरीबों के बीच ‘जाति-भेदभाव’ पैदा होता है.
Advertisement
Advertisement

Related posts

हरयाणा में 3 मई से 10 मई तक सम्पूर्ण लॉकडाउन

admin

शहीदों के बच्चों को लगातार 8 साल तक 100% शिक्षण शुल्क छूट प्रदान की जाएगी

atalhind

भारत 142वें स्थान से फिसलकर 150वें स्थान पर पहुंचा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में

atalhind

Leave a Comment

URL