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आदमपुर चुनाव में भव्य बिश्नोई और संपत सिंह को चौकन्ना रहना होगा सतिंदर् सिंह से ,आम आदमी पार्टी के टिकट पर ताल ठोकेंगे सतिंदर सिंह

आदमपुर चुनाव में भव्य बिश्नोई और संपत सिंह को चौकन्ना रहना होगा सतिंदर् सिंह से ,आम आदमी पार्टी के टिकट पर ताल ठोकेंगे सतिंदर सिंह

====अटल हिन्द ब्यूरो ===

चंडीगढ़। भाजपा के कर्मठ युवा नेता रहे सतिंदर सिंह के आम आदमी पार्टी में शामिल होने से आदमपुर के उपचुनाव को नई “रंगत” मिल गई है।
आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के साथ ही यह भी “तय” हो गया है कि आदमपुर के उपचुनाव में सतिंदर सिंह ही झाड़ू के निशान पर केजरीवाल का झंडे नीचे भरपूर “दमखम” दिखाएंगे।


आदमपुर के उपचुनाव में सतिंदर सिंह के अलावा भाजपा के टिकट पर भव्य बिश्नोई और कांग्रेस के टिकट पर पूर्व मंत्री संपत सिंह का चुनाव लड़ना लगभग फाइनल है। अब तीसरे योद्धा के तौर पर सतिंदर सिंह का आम आदमी पार्टी में शामिल होना आदमपुर के चुनावी महाभारत में “खास” मायने रखता है।
सतिंदर दर सिंह पिछले 10 साल में आदमपुर में सबसे ज्यादा सक्रियता के साथ फील्ड में एक्टिव रहे हैं।


आदमपुर के हर गांव और हर मोहल्ले में सतिंदर सिंह ने सुख और दुख में “भागीदारी” करने का काम किया है। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर आदमपुर से चुनाव लड़ने वाले सतिंदर सिंह 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन पैराशूट से प्रत्याशी बनकर आई सोनाली फोगाट ने उनके सपनों को तार-तार कर दिया।
2016 में कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस में वापसी के कारण सतिंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी और अब कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने के कारण उन्हें एक बार फिर घर बदलने को “मजबूर” होना पड़ा है।
सतिंद्र सिंह आदमपुर हलके में अपना खुद का मजबूत जनाधार रखते हैं। उनको शामिल करके आम आदमी पार्टी ने सबसे मजबूत चेहरे पर दांव लगाने का काम किया है।
बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने पूरे होमवर्क के साथ सतिंदर सिंह को भाजपा से तोड़कर के “मिशन” को अंजाम दिया है। कल आदमपुर में होने वाला केजरीवाल का तिरंगा समारोह भी विशेष तौर पर सतिंदर सिंह के शामिल होने के कारण ही आयोजित किया गया है।
सतिंदर सिंह ही एकमात्र ऐसे नेता है जो पिछले 10 साल से लगातार आदमपुर हलके में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। सतिंदर सिंह का आदमपुर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव फाइनल है।


भाजपा के टिकट पर जहां भव्य बिश्नोई परिवार के रसूख को कायम रखने की जंग लड़ेंगे, वहीं पूर्व मंत्री संपत सिंह भी अपनी अंतिम सियासी पारी खेलते हुए नजर आ सकते हैं।
अगर कांग्रेस ने संपत सिंह की बजाय उनके बेटे को टिकट दिया तो वह सतिंदर सिंह के लिए फायदेमंद फैसला साबित होगा क्योंकि संपत सिंह तो सीनियरिटी के मामले में सतिंदर सिंह से आगे कहीं जा सकते हैं लेकिन अगर कांग्रेस ने गौरव सिंह को टिकट दिया तो सतिंदर सिंह उनपर भारी भी पढ़ सकते हैं।
सतिंदर सिंह के आप पार्टी के निशान पर चुनावी दंगल में उतरना आदमपुर के चुनावी महाभारत को नई रंगत देने का काम करेगा।  सतिदर सिंह को हल्के में लेना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।

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