बच के रहना भारतीयों फैल रही है नई ब्यूबोनिक प्लेग जैसी भयानक बीमारी
नई दिल्ली (एजेंसी )Bubonic Plague Case in US: संयुक्त राज्य अमेरिका में अलास्का पॉक्स (Alaskapox) के बाद अब एक और बीमारी ने दुनियाभर के लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। अमेरिका में बुबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) का पहला मामला दर्ज किया गया है। बुबोनिक प्लेग से संक्रमित मरीज मिलने के बाद अमेरिकी राज्य ऑर्गन के अधिकारियों की कहा गया है कि वह इस बीमारी (Bubonic Plague Case in US) से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।
फिलहाल मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शख्स में यह बीमारी पालू बिल्ली की वजह से हुई होगी।
इतिहास की भयानक बीमारियों में से एक ‘ब्यूबोनिक प्लेग’ एक बार फिर सामने आई है.
अमेरिका में बुबोनिक प्लेग का मामला सामने आने के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिक डरे हुए हैं। दरअसल, इस महामारी से 14वीं शताब्दी में यूरोप में एक तिहाई आबादी की मौत हो गई थी। आंकड़ों की मानें तो 14वीं शताब्दी में बुबोनिक प्लेग से 25 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। यही वजह है बुबोनिक प्लेग को ब्लैक डेथ (Black Death) का नाम दिया गया था।
क्या ब्यूबोनिक प्लेग(Bubonic Plague) वापस आ गया है? इस सप्ताह की शुरुआत में, अमेरिका के ऑर्गन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने 2005 के बाद से राज्य में ब्यूबोनिक प्लेग के पहले मामले की पुष्टि की. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, एक व्यक्ति को संभवतः एक बीमार पालतू बिल्ली से यह बीमारी हुई. बीमारी का तुरंत पता चल गया और व्यक्ति को इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दी गई. बिल्ली का इलाज भी किया गया, लेकिन वह बच नहीं पाई. 1346 और 1353 के बीच, (50 million (five crore) people died in Europe due to bubonic plague, which is known as ‘Black Death)यूरोप में ब्यूबोनिक प्लेग से 50 मिलियन (पांच करोड़) लोग मारे गए, जिसे ‘ब्लैक डेथ’ के नाम से जाना जाता है. तो, क्या ऑर्गन में सामने आया यह मामला चिंता का कारण है?
क्या हैं रोग के लक्षण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन(World Health Organization) के अनुसार बुबोनिक प्लेग, जिसे ‘ब्लैक डेथ’ कहा जाता है, मानव इतिहास में सबसे कुख्यात और विनाशकारी महामारियों में से एक है। बुबोनिक प्लेग एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो ज्यादातर चूहों पर रहने वाले संक्रमित टिक्स के जरिए इंसानों में फैलता है।
WHO के अनुसार ब्यूबोनिक प्लेग येर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमित पिस्सू यानी टिक्स के संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है। चूहों के अलावा यह संक्रमण गिलहरी और पालतू जानवरों के फर्रों में होने वाले बैक्टीरिया से भी इंसानों में फैल सकता है।
प्लेग के लक्षण कई तरह से प्रकट हो सकते हैं. ब्यूबोनिक प्लेग विशेष रूप से उन मामलों को संदर्भित करता है जहां बैक्टीरिया लिम्फ नोड्स में प्रवेश कर जाते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, यह बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और दर्दनाक, सूजन लिम्फ नोड्स का कारण बन सकता है, और आमतौर पर संक्रमित पिस्सू के काटने से होता है.यदि बैक्टीरिया ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश कर जाता है तो सेप्टिकमिक प्लेग होता है.
यह अक्सर इलाज न किए गए ब्यूबोनिक प्लेग के बाद होता है. अतिरिक्त, अधिक गंभीर लक्षणों का कारण बनता है. इनमें पेट में दर्द, झटका, त्वचा में रक्तस्राव और उपांगों का काला पड़ना, ज्यादातर अंगुलियां, पैर की उंगलियां या नाक शामिल हैं. सीडीसी के अनुसार, यह रूप या तो पिस्सू के काटने से या किसी संक्रमित जानवर को छूने से होता है.
न्यूमोनिक प्लेग सबसे खतरनाक है. डब्ल्यूएचओ(WHO) के अनुसार, अगर इलाज न किया जाए तो यह हमेशा घातक होता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, यह तब होता है जब बैक्टीरिया फेफड़ों में प्रवेश करता है, और लक्षणों की सूची में तेजी से विकसित होने वाले निमोनिया को जोड़ देता है. सीडीसी के अनुसार, यह प्लेग का एकमात्र रूप है जो संक्रामक बूंदों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है – जो इसे सबसे अधिक संक्रामक भी बनाता है.
क्या है ब्यूबोनिक प्लेग?
प्लेग येर्सिनिया पेस्टिस, एक जेनेटिक बैक्टीरिया, यानी बैक्टीरिया के कारण होता है जो जानवरों और लोगों के बीच फैल सकता है. (What is bubonic plague?)वाई पेस्टिस आमतौर पर छोटे जानवरों और उनके पिस्सू में पाया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मनुष्य तीन तरीकों से संक्रमित हो सकते हैं – “संक्रमित वेक्टर पिस्सू के काटने से”, “संक्रामक शारीरिक तरल पदार्थ या दूषित सामग्री के साथ असुरक्षित संपर्क” (जैसे संक्रमित चूहे द्वारा काटा गया) और “न्यूमोनिक प्लेग से पीड़ित रोगी की सांस की बूंदों/छोटे कणों का अंतःश्वसन.”
डॉक्टर चिंतित नहीं
तो, क्या आपको एक और ब्लैक डेथ के बारे में चिंतित होना चाहिए? नहीं, डॉक्टरों को यह उम्मीद नहीं है कि यह बीमारी ऑर्गन से फैलेगी या इंसानों में किसी मौत का कारण बनेगी. 1930 के दशक तक ब्यूबोनिक प्लेग महामारी अतीत की बात बन गई. आज, सीडीसी के अनुसार, हर साल दुनिया भर में प्लेग के कुछ हजार मामले सामने आते हैं, जिनमें से ज्यादातर मेडागास्कर, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और पेरू में होते हैं.
इससे होने वाली मृत्यु दर लगभग 11 प्रतिशत है.इसका कारण आधुनिक एंटीबायोटिक्स हैं, जो वाई पेस्टिस द्वारा उत्पन्न खतरे से निपटने में काफी सक्षम हैं. साथ ही बेहतर स्वच्छता और बीमारी की समझ भी पैदा हुई. सीडीसी के अनुसार, प्लेग के सभी रूपों का इलाज सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है, शुरुआती उपचार से बचने की संभावना में काफी बढ़ जाती है. हालांकि वाई पेस्टिस अभी भी लगभग कहीं भी हो सकता है, और व्यक्तियों के लिए घातक हो सकता है. लेकिन ब्लैक डेथ की तरह एक बड़ी महामारी फैलना लगभग असंभव है.
ब्लैक डेथ (black death)का क्या प्रभाव पड़ा?
1918-20 की इन्फ्लुएंजा महामारी तक ब्लैक डेथ (black death virus)इतिहास में फैलने वाली सबसे घातक बीमारी थी. 14वीं शताब्दी के काफी कम जनसंख्या स्तर को ध्यान में रखते हुए, कुछ अनुमानों के अनुसार, ब्लैक डेथ अभी भी अब तक का सबसे घातक प्रकोप है, जिसने यूरोप की आधी आबादी को खत्म कर दिया था. किसी भी चीज से अधिक, इसने जीवित बचे लोगों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा. 2022 में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तनों से जीवित रहने की संभावना लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गई. शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लुइस बैरेइरो ने बीबीसी को बताया, “यह 40 प्रतिशत मनुष्यों में अब तक का सबसे मजबूत चयनात्मक फिटनेस प्रभाव था.”
क्या हुआ था 700 साल पहले
दुर्भाग्य से, यह म्यूटेशन, जो हो चुका है, सीधे तौर पर कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों की घटनाओं से जुड़ा हुआ है – (what happened 700 years ago)जिसका अर्थ है कि 700 साल पहले जो हुआ वह आज आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है. ब्लैक डेथ ने यूरोप और उसके बाहर भी स्थायी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा. इतिहासकार जेम्स बेलिच ने अपनी 2022 की पुस्तक ‘द वर्ल्ड द प्लेग मेड: द ब्लैक डेथ एंड द राइज ऑफ यूरोप’ में तर्क दिया है कि यूरोपीय वैश्विक प्रभुत्व का सीधा संबंध मध्यकालीन महामारी से लगाया जा सकता है. हालांकि यह अत्यधिक सरलीकरण हो सकता है, फिर भी यह ‘महान विचलन’ की कहानी में एक दिलचस्प अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो आज भी दुनिया को आकार दे रहा है.
काली मौत(black death)
काली मौत (ब्लैक डेथ) (जिसे (लातिन: magna mortalitas, 14 वीं शताब्दी में इस महामारी (pandemic) के लिये प्रयुक्त शब्द), लातिन: atra mors, ग्रेट प्लेग, ग्रेट बुबोनिक प्लेग, या ब्लैक प्लेग के रूप में भी जाना जाता है) सन् 1346 से 1353 तक एफ्रो-यूरेशिया में हुई एक ब्यूबोनिक प्लेग महामारी था। यह मानव इतिहास में दर्ज सबसे घातक महामारी है। इस महामारी की वजह से यूरेशिया और उत्तरी अफ्रीका में 75 से 200 मिलियन लोगों की मौत हुई।[1] यूरोप में यह महामारी 1347 से 1351 तक चरम पर थी। बुबोनिक प्लेग जीवाणु येरसिनिया पेस्टिस के कारण होता है।[2]काली मौत दूसरी प्लेग महामारी की शुरुआत थी।[3] प्लेग ने यूरोपीय इतिहास में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रुप से उथल-पुथल पैदा की। वर्तमान में बुबोनिक प्लेग को टीका और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ आसानी से ठीक किया जाता है।(विकिपीडिया)
ब्यूबोनिक प्लेग से बचाव के तरीके- Prevention Tips from Bubonic Plague in Hindi
– इस संक्रमण से बचाव करने के लिए अपने घर के पालतू जानवरों और उनके फरों के संपर्क में आने से बचें।
– घर के आसपास चूहे या गिलहरियां हैं तो उनके लिए खाना बाहर न छोड़ें। बीमार पालतू जानवरों को खांसी या बालों से संबंधित परेशानी होती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
– खुले में घूमने वाले पालतू जानवरों को अपने बिस्तर और सोफे पर न सोने दें।
पालतू जानवरों को छूने के बाद हाथों और कपड़ों को डिइंफेक्टर से साफ करें।
– अगर आप ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं जहां गिलहरी और चूहे जैसे जानवर रहते हैं तो वहां जाने से बचें। ऐसी जगहों से घर लौटने के बाद नहाए और कपड़ों को धोएं ताकि संक्रमण आपके संपर्क में न आ सके।
Advertisement