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Haryana News-हरियाणा के दुष्यंत चौटाला और निर्दलीय विधायकों  को बीजेपी  की  मलाई खाने के बाद हरियाणा की   जनता की याद आई

चण्डीगढ़ (Chandigarh)टॉप न्यूज़राजनीतिहरियाणा
हरियाणा में बीजेपी सरकार गिराने की कवायद शुरू पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गवर्नर को चिट्ठी लिखी, कर डाली ये मांग,सरकार बचाने को है कई रास्ते अभी भाजपा के पास
चंडीगढ़ ,09 मई(अटल हिन्द ब्यूरो ):
10 साल सत्ता की मलाई खाने और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान रहने के बाद हरियाणा बीजेपी की सहयोगी पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला जिसे हरियाणा की जनता ने पहले ही नकार रखा था अब जिसके दम पर दुष्यंत चौटाला उछल कूद कर रहे थे उसने भी दुष्यंत को खुड्डे लाइन लगा दिया ,जिसके चलते दुष्यंत अब खुद को बीजेपी विरोधी दर्शाने में लगे है ताकि हरियाणा  का दिल जीत सके जिसमें दुष्यंत ने बीजेपी  सहयोगी रहते ना जाने कितने जख्म दिए है।
 वहीं दूसरी तरफ निर्दलीय (चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पूंडरी  से रणधीर गोलन) जो जिन्हे हरियाणा की जनता ने अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनकर विधानसभा इसलिए भेजा था की वो जनता की समस्या विधानसभा में उठाएंगे और हल करवाने का प्रयास करेंगे लेकिन इस निर्दलीय विधायकों ने जनहित की आवाज उठाने के बजाय बीजेपी और उसके नेताओं का गुणगान कर अपना फायदा देखा और सत्ता का मजा लिया।
यही नहीं अब जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में कुछ माह  बचे है और हरियाणा की सबसे नाकाम सरकार या यू टर्न लेने वाली सरकार का ख़िताब हासिल करने वाली मनोहर लाल खटटर सरकार जा चुकी है जिसका समर्थन ये निर्दलीय विधायक करते रहे है और अब जब हरियाणा में आगामी विधानसभा के लिए कुछ महीने बाकी है ये विधायक जनता के सामने डरामा करने आ गए की हमने बीजेपी सरकार से समर्थन वापिस ले लिया क्योंकि बीजेपी सरकार हरियाणा की जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उत्तरी।
शायद ये निर्दलीय विधायक और दुष्यंत चौटाला यह भूल गए की आप भी उसी बीजेपी सरकार का हिस्सा थे जिसने हरियाणा में जाट आंदोलन ,कोरोना काल में हरियाणा ही नहीं आप्रवासियों तक  उत्पीड़न करवाना ,सैनी समाज को बदनाम करने की कोशिश ,किसान आंदोलन में निहथे किसानों पर लाठी चार्ज और गोलियां बरसाने में बीजेपी की मनोहर सरकार का साथ दिया था।

 

हरियाणा में मौजूदा बीजेपी सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. जिसके बाद से अब सरकार के पास बहुमत नहीं है। सरकार अल्पमत में आ गई है। जहां ऐसे में अब पूरा विपक्ष सरकार को गिराने की कवायद में जुट गया है। जननायक जनता पार्टी के प्रमुख और हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय को चिट्ठी लिखकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर दी है।
दुष्यंत चौटाला ने गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय को चिट्ठी को लिखते हुए कहा है कि, वर्तमान में 90 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 88 है। जिनमें से बीजेपी के पास 40 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 30, जेजेपी के 10, निर्दलीय 6, हलोपा और इनेलो के पास 1-1 विधायक है। इस बीच मौजूदा सरकार का समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
जिसके बाद वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि दो महीने पहले बनी बीजेपी सरकार अब अल्पमत में है। इसलिए विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट कराया जाए। दुष्यंत ने कहा कि, सरकार विधानसभा फ्लोर टेस्ट पास करके दिखाए। अगर मौजूदा सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाती है तो राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।Dushyant Chautala and independent MLA
दुष्यंत चौटाला का यह भी कहना है कि, हम मौजूदा सरकार का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन हरियाणा में किसी भी दूसरे राजनीतिक दल द्वारा सरकार बनाने में समर्थन के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। मसलन, बीजेपी की सरकार अगर फ्लोर टेस्ट में फेल होती है तो दुष्यंत चौटाला कांग्रेस और अन्य के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इससे पहले दुष्यंत ने कांग्रेस के साथ जाने से मना किया था। बीते बुधवार को दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी सरकार को गिराने के लिए केवल बाहरी समर्थन देने का ऐलान किया था।
दुष्यंत ने कहा था कि अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो उनके विधायक सरकार को गिराने में बाहर से पूरी तरह से समर्थन करेंगे। यहां यह ज्ञात रहे कि, जननायक जनता पार्टी दो महीने पहले तक बीजेपी सरकार की सहयोगी रही है। 12 मार्च को बीजेपी ने जेजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था और इसके बाद मनोहर लाल के सीएम पद से इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया था।
बीजेपी का दावा- हमारी सरकार अल्पमत में नहीं
हालांकि, बीजेपी का दावा है कि, उसकी सरकार अल्पमत में नहीं है। बीजेपी ने कहा कि विपक्ष के नेता कितना भी प्रयास कर लें। सरकार गिराई नहीं जा सकती। सरकार को समर्थन की कोई कमी नहीं है। विपक्ष अपनी चिंता करे और अपने विधायकों को संभालकर रखे।
यानि बीजेपी का कहना है कि, अगर फ्लोर टेस्ट भी होता है तो विपक्ष को झटका मिलने के साथ विपक्षी विधायकों का समर्थन सरकार को मिलेगा। इस समय बीजेपी के पास उसके 40 विधायकों के अलावा तीन अन्य निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यानी वर्तमान में सरकार के पास बहुमत से 2 विधायक कम हैं। सरकार को बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए।
बाक्स:
*निर्दलियों की समर्थन वापसी से बीजेपी सरकार का संकट बरकरार:
*हरियाणा में सत्ता बचाने के 3, गिराने के 2 रास्ते; विपक्ष को मानसून सेशन का इंतजार:
दो वजहों से गिर सकती है बीजेपी की सरकार:
पहला: विपक्ष में 45 विधायक हैं। इनमें 30 कांग्रेस, 10 जजपा, 4 निर्दलीय, 1 इनेलो विधायक हैं। अगर पूरा विपक्ष एकजुट हो तो सरकार गिर सकती है।
दूसरा: फिलहाल सरकार के समर्थन में 2 निर्दलीय, 1 हलोपा विधायक हैं। ये भी समर्थन वापस लें तो भाजपा के पास सिर्फ 40 विधायक बचेंगे। फिर सरकार नहीं बच पाएगी।
बीजेपी के पास सरकार बचाने के 3 रास्ते:
पहला: जजपा के 10 में से 6 विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इनमें से 2 ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन की घोषणा तक की हुई है। 2 का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। ऐसे में 4 विधायकों को मनाने का मौका सीधे भाजपा के पास है। अगर ऐसा होता है तो सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन हो जाएगा। फिर सरकार बची रहेगी।
दूसरा:एक दिन पहले सरकार से समर्थन वापस लेकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को मनाकर भाजपा फिर से अपने पाले में ला सकती है। इसमें किसी विधायक पर संवैधानिक संकट भी नहीं आएगा और सरकार ऐसे ही चलती रहेगी।
तीसरा: जजपा के नाराज 6 विधायक अगर विपक्ष के विश्वास मत या अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विधानसभा से गैरहाजिर रहते हैं तो सदन में 82 सदस्य रह जाएंगे। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 42 हो जाएगा और 43 विधायकों से ही सरकार बच जाएगी।
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