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पब्लिक है और पब्लिक सब कुछ समझती भी है

is public and public understands everything
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जिला परिषद की चौधर

… जनाब यह पब्लिक है और पब्लिक सब कुछ समझती भी है

बड़े और प्रभावशाली नेताओं के नाम का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल

चुनाव जीतना जरुरी, इसलिए बड़े नेताओं का नाम लेना मजबूरी

कुछ नेताओं के लिए चुनाव बन गया प्रतिष्ठा और नाक का सवाल

अटल हिन्द/फतह सिंह उजाला


गुरुग्राम । 
समय के साथ चुनाव प्रचार का तौर तरीका सहित तकनीक में भी क्रांतिकारी बदलाव आए हैं । लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं कि, यह पब्लिक है और सब कुछ जानती और समझती भी है । जिला परिषद की चौधर के लिए चुनावी जंग में अपनी और अपने परिजनों के लिए मौजूदा चुनाव को प्रतिष्ठा सहित नाक का सवाल भी बनाया हुआ दिखाई दे रहा है ।is public and public understands everything

जिला परिषद के लिए सबसे हॉट सीट वार्ड नंबर 9 में चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच माहौल को गर्म करता चला आ रहा है । दूसरी ओर अभी तक यहां से चुनाव लड़ने वाले सभी नौ उम्मीदवारों में से किसी के लिए भी यह दावा करना इतना आसान नहीं , वह चुनावी दौड़ में पहले नंबर पर है या फिर कौन से नंबर हो सकता है ।

इसके अलावा जितने भी उम्मीदवार और उनके समर्थक गांव में ग्रामीणों के बीच वोट का समर्थन प्राप्त करने के लिए पहुंच रहे हैं , ग्रामीण अधिकांश चेहरों से परिचित हैं । लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिनकी पहचान पार्टी चुनाव चिन्ह या फिर पार्टी के कद्दावर नेताओं के द्वारा लोगों के सामने आ रही है ।

गांवों में मौजूदा समय में सबसे बड़ा मुद्दा बाजरा की फसल को लेकर उसके बकाया भुगतान को लेकर देहात के लोगों के बीच में बना हुआ है । लेकिन चुनावी मौसम में चुनाव चुनाव के मैदान में उम्मीदवार उनकी शिक्षा और योग्यता सहित राजनीतिक पृष्ठभूमि कभी अपना ही एक अलग महत्व सहित प्रभाव का आकलन किया जा रहा है ।

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राजनीति के रुचिकार जानकारों में इस बात को लेकर हैरानी है कि कुछ राजनीतिक परिवार और सदस्य अपनी ही राजनीतिक पार्टी सहित कद्दावर नेताओं का नाम लेने से आखिर क्यों बचते हुए ग्रामीणों को अन्य दूसरी पार्टियों के बड़े और प्रभावशाली नेताओं का नाम लेकर बरगलाने का खेल खेल रहे हैं ? सोशल मीडिया पर इसी प्रकार का प्रचार जिला परिषद की चौधर प्राप्त करने के उम्मीदवारों के परिजनों सहित दावेदारों के द्वारा किया जा रहा है । जिस प्रकार से बड़े और प्रभावशाली मजबूत पकड़ वाले नेताओं के नाम का इस्तेमाल अपने कथित राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया जा रहा है, इसे देखते हुए ऐसा महसूस होता है कि चुनाव लड़ने वाले दावेदार उम्मीदवार सहित उनके अपने ही राजनीतिक परिजनों की शायद कोई पहचान या लोगों के बीच पकड़ और विश्वास बाकी ही नहीं रह गया ।

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राजनीतिक माहौल में चर्चा सहित अफवाहों का दौर भी सामने आने लगा है । सबसे महत्वपूर्ण वार्ड नंबर 9 के ही एक उम्मीदवार के लिए अफवाह की हवा फैला दी गई , जिसमें यह कहा गया उम्मीदवार ने दूसरे उम्मीदवार को अपना समर्थन दे दिया ? इसके बाद से यही उम्मीदवार अब अपने समर्थक ग्रामीणों के गांव में अपने विषय में फैलाई गई अफवाह की सफाई देने के लिए समर्थकों के बीच पहुंचने को मजबूर हो गया । उम्मीदवार के अपने ही गांव के ग्रामीणों ने भी साफ-साफ कह दिया है कि चुनाव जब गांव-राम की सलाह से लड़ने का फैसला किया गया तो अब पीछे हटने या फिर किसी और को समर्थन देने की बात कहां से कहां तक कैसे चली गई ? अंततः इस उम्मीदवार के द्वारा सत्ता पक्ष के ही नेता विशेष का नाम लेकर अपने विषय में फैलाई गई अफवाह को गलत बताते हुए चुनावी जंग में मुकाबले की बात कही गई है ।

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इसी कड़ी में सत्तापक्ष के नेताओं के द्वारा भी ऐसे उम्मीदवारों से अधिक उनके राजनीतिक परिजनों के विषय में खुलासे करते हुए ग्रामीणों के बीच बताया जा रहा है कि जिस प्रकार से सत्ता पक्ष और सत्ता सिंह नेताओं के नाम का अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वह पूरी तरह से गलत है और यदि राजनीतिक प्रतिद्वंदी बनकर ही चुनाव लड़ना है तो फिर अपनी पार्टी और अपनी पार्टी के बड़े नेताओं का नाम लेने से डर क्यों लग रहा है ? अभी मतदान में कई दिन बाकी है और जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आएगा, चुनाव प्रचार सहित दावेदार उम्मीदवारों के लोगों के बीच पहुंचने का सिलसिला भी और अधिक तेज होता चला जाएगा । इतना ही नहीं उम्मीदवारों के समर्थकों के द्वारा भी अपने अपने जान पहचान और  संपर्क के लोगों को चुनाव चिन्ह बता कर मतदान सहित समर्थन की अपील की जा रही है ।

मौजूदा समय में केवल भारतीय जनता पार्टी के द्वारा ही पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़े जा रहे हैं । वही बड़े राजनीतिक तथा क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में शामिल कांग्रेस, जन नायक जनता पार्टी , आम आदमी पार्टी , इंडियन नेशनल लोकदल , बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य दलों और इनके बड़े नेताओं के द्वारा कुछ भी नहीं कहा गया है।

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जिस प्रकार का माहौल दिखाई दे रहा है , ऐसे में लगता है आने वाले 2 दिन के अंदर जिला परिषद की चौधराहट वाले सबसे हॉट वार्ड नंबर 9 में ही सबसे अधिक राजनीतिक चहल-पहल देखने के लिए मिल सकती है । लेकिन इतना तय है राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले और राजनीतिक पार्टियों से संबंध रखने वाले परिवारों से चुनावी जंग में उतरे उम्मीदवारों के लिए पूरी गंभीरता और शिद्दत के साथ चुनाव प्रचार करते हुए जनसमर्थन, जुटाने के लिए कसरत की जा रही है।

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