ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के सामने नई चुनौतीl जनवरी 25 में होंगे आम चुनाव
ब्रिटेन की समाचार न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ब्रिटिश इतिहास के 127 साल में 42 वर्षीय ऋषि सुनक सबसे युवा प्रधानमंत्री बने हैं और उन्हें बोरिस जॉनसन तथा लीज ट्रस के इस्तीफे के बाद विरासत में प्रधानमंत्री का पद प्राप्त हुआ है। कोविड-19 के समय ऋषि सुनक ने वित्त मंत्री रहते हुए ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को वहां के उद्योगपतियों तथा पर्यटन, होटल एजेंसी के साथ मिलकर काफी हद तक संभाल कर रखा था।New challenge in front of British Prime Minister Rishi Sunak. General elections will be held on January 25.
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अब ब्रिटेन की खराब अर्थव्यवस्था का भारी-भरकम बोझ ऋषि सुनक के कंधे पर आ गया है। खराब अर्थव्यवस्था ऋषि सुनक के लिए आगामी आने वाले जनवरी 2025 को आम चुनाव में बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है। ऋषि सुनक को आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ट्रबल शूटर की हैसियत से प्रधानमंत्री बनाया गया था।
ब्रिटेन की एक सर्वे न्यूज़ एजेंसी सावंता द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार अपनी कंजरवेटिव पार्टी को वर्तमान में मजबूत बनाने के लिए काफी कवायद करनी पड़ सकती है क्योंकि सर्वे ने बताया है कि सुनक अपनी ब्रिटेन की संसदीय सीट को आम चुनाव में गंवा सकते हैं क्योंकि कुछ महीने पहले की घटनाक्रम में पहले लिस ट्रस से पिछड़ने और फिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद ऋषि सुनक के सामने नई नई मुसीबतें सामने आई है।New challenge in front of British Prime Minister Rishi Sunak. General elections will be held on January 25.
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ब्रिटेन में आम चुनाव 2025 में आयोजित हैं और कंजरवेटिव पार्टी की छवि खराब नजर आ रही है। सर्वे एजेंसी सावंता के अनुसार यह सर्वे में ऋषि सुनक अपनी ब्रिटेन की संसदीय सीट को आम चुनाव में खो सकते हैं क्योंकि विपक्ष की लेबर पार्टी को प्रधानमंत्री के सत्तारूढ़ कंजरवेटरी से बहुत ज्यादा अंक प्राप्त हुए हैं।
सावंत के प्रवक्ता के अनुसार लेबर पार्टी 314 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हो सकती है। यार्क शायर ऋषि सुनक का निर्वाचन क्षेत्र है अपनी निर्वाचन सीट तथा लिंकनशायर के उत्तर में अन्य सभी सीटों सहित रूढ़िवादी लगभग 300 सीटें गंवा सकते हैं। ब्रिटेन की न्यूज़ एजेंसी सावंता के 3 दिसंबर से 5 दिसंबर तक किए गए सर्वे के अनुसार 6300 नागरिकों बातचीत के आधार पर एक विस्तृत डाटा तैयार किया गया है।
सर्वे में लेबर पार्टी कंजरवेटिव पार्टी पर बढ़त दिखाई गई है जिसके परिणाम स्वरूप ऋषि सुनक को आने वाले समय में सत्ताधारी दल की बढ़त को बढ़ाएं रखने में और कंजरवेटिव पार्टी की किस्मत को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ सकती है। उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ कंजरवेटिव यानी टोरी पार्टी की लोकप्रियता धीरे धीरे कम होते जा रही है।New challenge in front of British Prime Minister Rishi Sunak. General elections will be held on January 25.
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ऋषि सुनक को खराब अर्थव्यवस्था विरासत में मिलना भी एक बड़ा कारण हो सकता है। हालांकि ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी यानी टोरी पार्टी वर्ष 2010 ब्रिटेन की सत्ता में काबिज है और 4 बार आम चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है। 4 बार जीतने के बाद भी अब कंजरवेटिव पार्टी की पकड़ ब्रिटिश नागरिकों पर कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है।
ऋषि सुनक युवा है और अच्छे अर्थशास्त्री भी, अब देखना यह है कि ऋषि सुनक चुनाव की चुनौती को किस तरह अपनी पार्टी के हक में दिशा दे पाते हैं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत निचले स्तर पर पहुंच गई है बेरोजगारी तथा महंगाई तथा पेट्रोल, डीजल, बिजली के दाम तब तक की चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं। ब्रिटिश गवर्नमेंट की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए बैलेंस आफ ट्रेड और उत्पादन को 2 साल में तेजी से विकसित करना होगा।
कोविड-19 के काल में ब्रिटेन को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था पर अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने वहां के उद्योगपतियों, पर्यटन तथा होटल उद्योग को विकसित कर कोविड-19 काल में वित्तीय स्थिति को काफी सहारा दिया था। अब ऋषि सुनक के सामने अनेक चुनौतियां आ गई है ऋषि सुनक को न सिर्फ लेबर पार्टी से चुनौती मिल रही है बल्कि उन्हें अपनी पार्टी के सांसदों का 100% समर्थन भी प्राप्त नहीं हो रहा है।
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ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बने रहने के साथ-साथ उन्हें अपनी पार्टी की लोकप्रियता को बढ़ाने में अपनी पार्टी के सांसदों का विश्वास मत भी हासिल करना होगा तब जाकर आगामी 2025 जनवरी को सत्तारूढ़ पार्टी यानी कंजरवेटिव पार्टी चुनाव में जीत हासिल कर सकेगी।
ब्रिटिश न्यूज़ एजेंसी और सर्वे एजेंसी सावंत के अनुसार कंजरवेटिव पार्टी धीरे-धीरे लोकप्रियता में कमजोर होती जा रही है और लेबर पार्टी ने अभी से चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है, फ़ल स्वरूप ऋषि सुनक के सामने आर्थिक व्यवस्था बेरोजगारी महंगाई और चुनाव की बड़ी चुनौती सामने आ गई है ऐसे में ऋषि सुनक ब्रिटेन के शक्तिशाली जुझारू और संघर्षशील प्रधानमंत्री रहकर अपनी पार्टी का सही नेतृत्व कर जीत दिला पाते हैं या नहीं यह भविष्य तय करेगा। इसके अलावा रूस यूक्रेन युद्ध मैं यूक्रेन का साथ देना भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। इसमें ब्रिटेन को यूक्रेन को आर्थिक मदद के साथ सामरिक मदद भी करनी होगी। क्योंकि ब्रिटिश जनता यूक्रेन के साथ हमदर्दी अब तक रखते आई है।
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