संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल और अमेरिका ने सीएए नियमों को भेदभावपूर्ण बता आलोचना की,
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए नियमों की अधिसूचना का संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कड़ी आलोचना की है.The United Nations, Amnesty International and the US criticized the CAA rules as discriminatory.
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रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने इसे ‘मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण प्रकृति’ बताते हुए रॉयटर्स से कहा, ‘जैसा कि हमने 2019 में कहा था, हम चिंतित हैं कि सीएए मूल रूप से भेदभावपूर्ण है और भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का उल्लंघन है.’
अधिकारी ने कहा कि उनका कार्यालय इस बात का अध्ययन कर रहा है कि कानून का कार्यान्वयन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुरूप है या नहीं.
इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भी चिंता व्यक्त की. विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को अलग से बताया, ‘हम 11 मार्च को सीएए की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं. हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा.’
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प्रवक्ता ने कहा, ‘धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं.’
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम एक कट्टर कानून है जो धर्म के आधार पर भेदभाव को वैध बनाता है और इसे पहले कभी भी लागू नहीं किया जाना चाहिए था. इसका अमल भारतीय सरकार की छवि खराब करता है क्योंकि वे सीएए की आलोचना करने वाली देश भर के लोगों, नागरिक समाज, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की आवाज को सुनने में विफल रहे हैं.’
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