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पत्रकार हो इसी तरह नंगे होकर मार खाते रहोगे ,इकट्ठे होना सीखो मीडिया घराने पत्रकारों से चलते है मालिकों से नहीं ,भारत की प्रेस कौंसिल नाकाम ?

पत्रकार हो इसी तरह नंगे होकर मार खाते रहोगे ,इकट्ठे होना सीखो मीडिया घराने पत्रकारों से चलते है मालिकों से नहीं ,भारत की प्रेस कौंसिल नाकाम ?

पत्रकार ही नंगे क्यों,थानेदार,एसपी,बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला भी तो शामिल उन्हें नंगा क्यों नहीं किया !

पत्रकार और अन्य की अर्द्धनग्न तस्वीर के पीछे की कहानी क्या है

(बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला)

BY दीपक गोस्वामी

भोपाल: मध्य प्रदेश के सीधी ज़िला निवासी रंगकर्मी (थियेटर आर्टिस्ट) नीरज कुंदेर को कोतवाली थाना पुलिस उनके घर से बिना कोई कारण बताए दो अप्रैल की दोपहर थाने ले आई.

वहां नीरज को बताया गया कि उनके ख़िलाफ़ फर्जी फेसबुक आईडी के जरिये स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला से संबंधित आपत्तिजनक पोस्ट किए जाने के चलते एफआईआर दर्ज हुई है.

बकौल नीरज, तभी विधायक समर्थकों की भीड़ थाने में घुस आई और उनके साथ गाली-गलौच व अभद्रता करने लगी. भीड़ उन्हें थाने के बाहर ले जाकर पीटने को आतुर थी. इसलिए इस हंगामे के बीच पुलिस ने जब नीरज को लॉकअप में डाला तो उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया. बाद में उन्हें तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करके जेल भेज दिया गया.

Be a journalist, you will keep hitting naked like this, learn to assemble, media houses run with journalists, not owners, India’s press council failed?


नीरज की गिरफ्तारी का जब उनके परिजनों और जानकारों को पता लगा तो वे थाना प्रभारी (टीआई) से मिलने कोतवाली पहुंचे. उनके भाई शिवनारायण कुंदेर बताते हैं, ‘हमें पता नहीं था कि किस जुर्म में उन्हें जेल में डाला है, न कोई नोटिस मिला और न वारंट. इसलिए मदद के लिए हमने पड़ोस में रहने वाले पत्रकार कनिष्क तिवारी को घटना से अवगत कराया और मदद मांगी.’

कनिष्क उनके साथ गिरफ्तारी का कारण पूछने थाने पहुंचे.

शिवनारायण के मुताबिक, जब पुलिस ने सहयोगात्मक रवैया नहीं दिखाया और गिरफ्तारी के संबंध में दर्ज एफआईआर या वैधानिक कार्रवाई से संबंधित कोई भी दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया, तो वे और उनके साथी थाने के सामने धरने पर बैठकर शासन-प्रशासन व स्थानीय विधायक के ख़िलाफ़ नारेबाजी करने लगे.

इस दौरान कनिष्क, जो कि समाचार चैनल ‘न्यूज नेशन’ से फ्रीलांस (स्वतंत्र) स्ट्रिंगर  के तौर पर जुड़े हैं एवं स्थानीय भाषा बघेली में ‘एमपी संदेश न्यूज 24’ नामक एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, ने अपने कैमरामैन आदित्य सिंह को इस प्रदर्शन का कवरेज करने बुला लिया.

फिर जो हुआ, उसका साक्षी सारा देश उस तस्वीर के माध्यम से बना, जिसमें कनिष्क और आदित्य समेत 9 लोगों को अर्द्धनग्न अवस्था में, केवल अंडरवियर पहने हुए, थाने के अंदर हाथ बांधे खड़ा देखा जा सकता है.

मामले पर कनिष्क और अन्य पीड़ितों ने ‘मीडिया से विस्तार से बातचीत की.

कनिष्क ने 38 सेकंड की एक वीडियो क्लिप साझा की, जिसमें देख सकते हैं कि प्रदर्शनकारी भाजपा एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं, जिसके बाद पुलिसकर्मी उनके साथ हाथापाई करते और उन्हें खदेड़कर ले जाते देखे जा सकते हैं. अंत में एक पुलिसकर्मी कैमरामैन की ओर बढ़ते हुए भी दिखता है.

कनिष्क बताते हैं, ‘मेरे यूट्यूब चैनल से करीब 1,70,000 लोग (सब्सक्राइबर) जुड़े हैं. इसलिए मुझे यहां लगभग सभी लोग जानते हैं. नीरज की गिरफ्तारी के बाद उनके परिजनों, सहकर्मियों और मित्रों ने मुझे घटनाक्रम की जानकारी दी तो मैंने पत्रकार होने के नाते टीआई से पूछा कि नीरज को जेल भेजे जाने का कारण स्पष्ट कीजिए और यह कैसे साबित हुआ कि नीरज ही फर्जी फेसबुक आईडी चला रहे थे?’

वे आगे बताते हैं, ‘इसी बीच विधायक के भतीजे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नगर मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र शुक्ला का फोन थाना प्रभारी के पास आया और तुरंत बाद पुलिस हमारे साथ मारपीट करने लगी. घसीटकर हमें थाने के अंदर ले गई.’

कनिष्क के कैमरामैन आदित्य सिंह ने दावा किया कि हम लोगों ने टीआई के फोन की स्क्रीन देखी थी, जिससे पुष्टि हुई कि उनके पास विधायक के भतीजे धर्मेंद्र शुक्ला का फोन आया था.

कनिष्क के मुताबिक, थाने के अंदर पहुंचते ही उनके साथ मारपीट शुरू हो गई. स्वयं थाना प्रभारी ने कनिष्क को पीटा. फिर सभी के कपड़े उतरवाए और थाने के अंदर जुलूस निकाला.

कनिष्क बताते हैं, ‘मुझे धमकाते हुए कहा कि अभी यह हाल किया है, अगर विधायक और पुलिस के खिलाफ ख़बर चलाओगे तो आगे पूरे शहर में इसी तरह नंगा घुमाएंगे.’

इस दौरान, पुलिस ने कुल दस लोगों को हिरासत में लिया. जिनमें कनिष्क तिवारी और आदित्य सिंह के अलावा, सुनील चौधरी, रजनीश जायसवाल, शिवनारायण कुंदेर, फिरोज ख़ान, रोशनी, आशीष सोनी, उज्जवल प्रकाश और नरेंद्र सिंह शामिल हैं.

During this, a total of ten people were detained by the police. In which apart from Kanishk Tiwari and Aditya Singh, Sunil Chaudhary, Rajneesh Jaiswal, Shivnarayan Kunder, Feroz Khan, Roshni, Ashish Soni, Ujjwal Prakash and Narendra Singh are included.

सभी को रात करीब 11 बजे हिरासत में लिया और अगले दिन यानी तीन अप्रैल को शाम छह बजे छोड़ा गया. सभी का कहना है कि 18 घंटों की हिरासत के दौरान उन्हें सिर्फ अंडरवियर पहनाकर रखा गया.

हालांकि, वायरल तस्वीर में नौ लोग दिखते हैं. पीड़ितों ने बताया कि हिरासत में लिए गए नरेंद्र की दोनों किडनी खराब हैं. उन्हें भी बहुत पीटा गया, लेकिन जब किडनी खराब होने का पता लगा तो घबराकर उन्हें हमसे अलग बैठा दिया गया.

सुनील चौधरी बताते हैं, ‘18 घंटों के दौरान हर घंटे कोई पुलिसकर्मी आकर हमें पीटते हुए कहता कि अब कभी विधायक के ख़िलाफ़ मत बोलना, भाजपा या शिवराज सिंह मुर्दाबाद के नारे मत लगाना, वरना अबकी बार नंगा करके शहर में जुलूस निकालेंगे.’

पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस की मारपीट से नीरज के भाई शिवनारायण का बाएं कान का पर्दा फट गया. शिवनारायण बताते हैं, ‘मुझे दर्जनों थप्पड़ मारे. सीधी के अस्पताल ने मुझे ऑपरेशन के लिए रीवा रेफर किया है.’

 

Sunil Choudhary says, “Every hour during the 18 hours, a policeman would come and beat us and say never to speak against the MLA, don’t raise slogans of BJP or Shivraj Singh Murdabad, otherwise we will take out a procession in the city naked again.
The victims allege that the left ear veil of Neeraj’s brother Shivnarayan was torn due to the beating of the police. Shivnarayan says, ‘Slap me dozens. Sidhi hospital has referred me to Rewa for operation.

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वे आगे बताते हैं, ‘पुलिस ने सबसे पहले पत्रकार कनिष्क को पीटा और पुलिस व विधायक के खिलाफ खबरें न करने कहा. फिर मुझसे पूछा कि तू नीरज का भाई है और बेरहमी से पीटने लगे. रोने-चीखने-चिल्लाने पर भी नहीं रुके. रात तीन बजे एक इंस्पेक्टर आकर सीने पर लातें मारने लगे. मैं तब सांस नहीं ले पा रहा था और कान से खून बह रहा था.’

शिवनारायण के मुताबिक, कोतवाली टीआई मनोज सोनी ने सभी को धमकाया कि थाने का घटनाक्रम बाहर उगला तो गांजा, ड्रग्स आदि मामलों में फंसाकर जेल में सड़ा दूंगा.

फिर भी 4 अप्रैल को सभी ने जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) मुकेश श्रीवास्तव को पत्र लिखकर आपबीती बताई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कनिष्क बताते हैं, फोटो तो 4 अप्रैल को ही स्थानीय स्तर पर वायरल हो गया था, लेकिन कार्रवाई तब हुई जब यह प्रादेशिक और राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बना.

एसपी मुकेश श्रीवास्तव मीडिया  से बातचीत में फोटो वायरल होने की घटना को निंदनीय बताते हैं, लेकिन कपड़े उतारने की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहते हैं कि वह सुरक्षा की दृष्टि से उतरवाए गए. ऐसा ही हास्यास्पद तर्क कोतवाली थाना प्रभारी ने दिया था कि कपड़े इसलिए उतरवाए कि कहीं लॉकअप में वे फंदा बनाकर आत्महत्या न कर लें.

कनिष्क बताते हैं, ‘रात तीन बजे हमें कोतवाली टीआई मनोज सोनी के चेंबर में बुलाया गया, वहां दो अन्य थानों के भी टीआई (अमीलिया के अभिषेक सिंह और जमोड़ी के शेषमणि मिश्रा) और कल्लू नामक शराब कारोबारी बैठे थे. कल्लू विधायक का खास है. वह फोटो खींच रहा था. अभिषेक सिंह भी फोटो खींच रहे थे.’

पीड़ितों का आरोप है कि इस दौरान वीडियो कॉलिंग करके उनकी हालत विधायक और उनके बेटे को भी लाइव दिखाई गई. बहरहाल, मनोज सोनी और अभिषेक सिंह को निलंबित किया जा चुका है, जबकि शेषमणि पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

सुनील कहते हैं, ‘जिस एंगल से खिंची कनिष्क की एक फोटो वायरल हुई है, वह शेषमणि के फोन से ली प्रतीत होती है क्योंकि उस एंगल पर वही बैठे थे.’

सुनील कहते हैं कि हम सभी समाज में सम्मानजनक ओहदा रखते हैं, कोई अपराधी नहीं हैं, केवल अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का निर्वहन कर रहे थे, लेकिन हमारे साथ ऐसा व्यवहार हुआ कि मानो हम आतंकवादी हैं. समाज में हमारी प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने का अधिकार पुलिस को किसने दिया?

पीड़ितों में शामिल सुनील, दलित अधिकार और आरटीआई कार्यकर्ता हैं. आशीष सोनी समाजसेवी हैं और जनसेवा के कार्यों में सुनील के साथ सक्रिय रहते हैं. कनिष्क पत्रकार हैं, आदित्य भी पत्रकारिता से जुड़े हैं और कैमरामैन हैं. शिवा, नरेंद्र, रोशनी व रजनीश रंगकर्मी हैं और नीरज के साथ काम करते हैं. उज्ज्वल मैकेनिक की दुकान चलाते हैं. सभी पड़ोस में रहते हैं.

वहीं, फिरोज के बारे में सुनील बताते हैं कि वह नीरज के ड्राइवर हैं. उस दिन वह नीरज के पिता को लेकर थाने आए थे. वह किसी भी प्रदर्शन या नारेबाजी का हिस्सा नहीं थे, कार में बैठा हुए थे. पुलिस उन्हें भी कार से खींचकर थाने में ले आई थी.
हालांकि, एसपी ने कनिष्क को पत्रकार मानने से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘वह पत्रकार नहीं है. स्थानीय स्तर पर यूट्यूब पर खबरें चलाता है.’

वे पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए कहते हैं, ‘अनुराग मिश्रा नामक एक फेसबुक आईडी से विधायक और उनके बेटे के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार हो रहा था. शिकायत मिलने पर फेसबुक से जानकारी निकाली तो वह आईडी नीरज चला रहे थे.’

एसपी ने आगे कहा, ‘नीरज के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 419, 420 और आईटी एक्ट की धारा 66सी, 66डी के तहत प्रकरण दर्ज करके जमानत पर छोड़ दिया गया, लेकिन वो आक्रोशित होकर उद्दंडता करने लगा तो धारा 151 के तहत प्रकरण दर्ज करके तहसीलदार के समक्ष पेश किया और जेल भेज दिया.’

वे बताते हैं, ‘बाद में यूट्यूबर कनिष्क समेत 40-50 लोग थाने के सामने धरने पर बैठ गए और मुख्यमंत्री, विधायक व भाजपा के ख़िलाफ़ नारेबाजी करने लगे. समझाने पर नहीं माने तो बलपूर्वक हटाया गया. इसी के तहत 10 लोगों को अभिरक्षा में लेकर न्यायालय में पेश किया, वहां उन्हें जमानत मिल गई.’

बता दें कि सभी 10 लोगों पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 152, 153, 186, 341, 504 व 34 के तहत मामला दर्ज किया है.

एसपी ने आगे कहा, ‘फोटो वायरल होने की घटना अशोभनीय और असम्मानजनक है. दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है. इसकी उच्चस्तरीय जांच एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से करा रहे हैं, उस आधार पर कार्रवाई होगी.’

एसपी मुकेश श्रीवास्तव ने कनिष्क को अपराधी प्रवृत्ति का भी बताया है और कहा कि उनके ख़िलाफ़ गर्ल्स हॉस्टल में घुसकर वीडियो बनाने संबंधी प्रकरण पहले से दर्ज है
उन्होंने कहा, ‘कनिष्क के ऊपर आईपीसी की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 452 (बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना) का प्रकरण दर्ज है, जिसमें जांच चल रही है.’

साथ ही वे कहते हैं कि यहां के स्थानीय मीडिया ने खंडन किया है कि कनिष्क पत्रकार नहीं हैं. 40-50 लोगों ने हमें आकर स्वयं कहा है कि यूट्यूब पर खबर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

इस पर आदित्य कहते हैं, ‘स्थानीय मीडिया तो विधायक के इशारे पर चलता है. वह क्यों हमारे साथ खड़ा होगा?’

वहीं, अपने ऊपर दर्ज प्रकरण को फर्जी बताते हुए कनिष्क कहते हैं, ‘विधायक की बेटी के घर में एक अवैध नर्सिंग कॉलेज संचालित था. मैं उसका कवरेज करने गया तो मेरा कैमरा तोड़ दिया. वहां से निकलने के बाद विधायक ने कॉलेज को गर्ल्स हॉस्टल दर्शाकर मेरे ख़िलाफ़ एफआईआर करा दी गई. मेरे पास आज भी वहां कॉलेज होने संबंधी प्रमाण मौजूद हैं.’

बहरहाल, खुद को पत्रकार साबित करने के लिए कनिष्क ने न्यूज नेशन का अपना नियुक्ति पत्र और यूट्यूब से मिला प्रमाण-पत्र भी सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया है.

इस बीच, मामले के केंद्र में रहे रंगकर्मी नीरज कुंदेर से भी मीडिया ने बात की. कुंदेर 6 अप्रैल को जमानत पर बाहर आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘मुझे साजिशन फंसाया जा रहा है. जो फर्जी फेसबुक आईडी चलाने का मुझ पर आरोप है, उसी आईडी से मेरे जेल में रहने के दौरान भी पोस्ट हुए हैं. पुलिस कहती है कि मेरा गिरोह वह आईडी चलाता है. अगर ऐसा है तो पुलिस सबको पकड़े.’

फंसाने का कारण पूछने पर उन्होंने बताया, ‘चार-पांच वर्ष पहले मैं भाजपा विधायक के साथ था. उनसे क्षेत्र में एक रंगमंच बनाने की मांग करता था. उन्होंने वर्षों तक बस आश्वासन दिया. फिर जिले में कलेक्टर अभिषेक सिंह आए. उन्होंने खूब विकास कार्य कराए और रंगमंच के लिए भी ज़मीन का आवंटन किया. वे जनता के बीच नायक बन गए. विधायक को यह नागवार गुजरा.’

वे बताते हैं, ‘तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और जिले से कमलेश्वर पटेल मंत्री थे. भाजपा विधायक और उन्होंने मिलकर कलेक्टर का तबादला करा दिया. उनका तबादला रोकने हमने प्रदर्शन किया जिसमें हजारों लोग शामिल हुए. हम भूख हड़ताल पर थे, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलाने का आश्वासन देकर तुड़वाया गया.’

भाजपा विधायक के आवास से महज कुछ मीटर के फासले पर रहने वाले नीरज साथ ही बताते हैं, ‘मैं, कनिष्क और सुनील लगातार भाजपा विधायक की भ्रष्ट गतिविधियों का पर्दाफाश करते थे, जैसे कि उन्होंने किस तरह आदिवासियों की ज़मीन को अवैध तरीके से अपने नाम करा लिया.’

बकौल नीरज, इन्हीं सब कारणों के चलते विधायक उनसे रंजिश रखते हैं और उन पर आयकर विभाग का छापा तक पड़वाया. वे आरोप लगाते हैं कि जमानत देने वाले तहसीलदार विधायक के संबंधी हैं, इसलिए जिस धारा में एक दिन में जमानत होनी थी, उसमें चार दिन लग गए.

बहरहाल, दो अप्रैल को कोतवाली थाने में ही एक एफआईआर विधायक के भतीजे भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र शुक्ला के खिलाफ भी दर्ज हुई है, जो व्यवसायी सुनील भूर्तिया ने दर्ज कराई है. वह नीरज, कनिष्क व अन्य के परिचित व पड़ोसी हैं.

वे बताते हैं, ‘दो अप्रैल की रात जब मैं काम से लौट रहा था तो नीरज की गिरफ्तारी के विरोध में होते प्रदर्शन को देखकर वहां रुका और कुछ देर बाद चला गया. जब मैं रास्ते में एक दुकान पर खड़ा था तो धर्मेंद्र शुक्ल दो वाहनों और कई बाइक सवारों के साथ आया और मुझे वहां से बाहर खींचकर पीटते हुए अपनी गाड़ी में डाल दिया और बेहोशी की हालत में कोतवाली थाने छोड़ दिया, जहां कनिष्क आदि पहले से ही हिरासत में थे.’

वे आगे कहते हैं, ‘उनका तर्क है कि मैं भी थाने के सामने प्रदर्शन में शामिल था. मान लीजिए कि मैं शामिल भी था तो मुझे पकड़ने का अधिकार पुलिस को है, विधायक के भतीजे को मुझे पीटकर पकड़ने का अधिकार किसने दिया?’

भूर्तिया का दावा है कि थाने में उन्होंने जब एफआईआर लिखने को कहा तो टीआई ने बोला कि एफआईआर की तो तुम्हें भी बाकियों (कनिष्क आदि) की तरह अंदर कर देंगे.

भूर्तिया बताते हैं कि सारी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी.

सुनील चौधरी कहते हैं, ‘भूर्तिया ने एफआईआर की उम्मीद छोड़ दी थी, क्योंकि पुलिस और विधायक भवन मालिक पर सीसीटीवी फुटेज न देने का दबाव बना रहे थे, लेकिन सीधी की भाजपा सांसद रीति पाठक के दबाव में सीसीटीवी फुटेज हमें मिलीं और धर्मेंद्र के खिलाफ एफआईआर भी हुई.’

दो अप्रैल की इस घटना की एफआईआर चार अप्रैल को दर्ज की गई.

बहरहाल, नीरज और कनिष्क की मांग है कि दो अप्रैल के सभी मामलों की जांच स्थानीय पुलिस से न कराई जाए. वहीं, सुनील चौधरी और सुनील भूर्तिया न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं.

नीरज का दावा है कि विधायक, उनके भतीजे धर्मेंद्र शुक्ला, कोतवाली टीआई व तहसीलदार की कॉल डिटेल और घटना के समय की लोकेशन निकाली जाए, साथ ही दो अप्रैल की थाने की सीसीटीवी फुटेज निकाले जाएं तो सब साफ हो जाएगा, लेकिन जानकारी मिली है कि थाने के सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दिए गए हैं.

मामले में जब भाजपा विधायक से संपर्क साधा तो उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया, ‘मैं क्यों (सब) कराऊंगा. मैंने तो एफआईआर दर्ज कराई है.’

बाद में उन्होंने वॉट्सऐप पर एक मैसेज भेजते हुए अगले मैसेज में लिखा कि ‘यह एक स्वतंत्र पत्रकार की रिपोर्ट है.’

उस रिपोर्ट के आधार पर ही उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. वह रिपोर्ट किसी स्वतंत्र पत्रकार की है या नहीं है, इसकी पुष्टि अटल हिन्द नहीं कर सकता है.

बहरहाल, उस कथित रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उनके ऊपर लगने वाले आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करे, उल्टा यह सवाल पूछा गया है कि क्या विधायक और उनके परिजनों के खिलाफ फर्जी आईडी से आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करना न्यायोचित था?

साथ ही, यह जांच करने की मांग की गई है कि उनके चरित्र हनन का प्रयास किसके इशारे पर हो रहा था? हालांकि, आगे इसका जवाब भी है जो इस प्रकार है, ‘इसके पीछे नीरज कुंदेर व कनिष्क तिवारी तथा ‘विधायक विरोधी भाजपा नेताओं’ के बीच दुरभिसंधि (मिलीभगत) स्पष्ट नजर आती है.’

चूंकि, स्वयं विधायक ने उक्त कथित रिपोर्ट को अपना बयान बनाए जाने की स्वीकृति दी है तो इसमें दर्ज ये शब्द ‘विधायक विरोधी भाजपा नेताओं’ से संभव है कि विवाद के मूल में भाजपा के स्थानीय नेताओं के बीच की निजी दुश्मनी का भी एंगल हो सकता है.

नीरज ने भी बातचीत में स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल और स्थानीय भाजपा सांसद रीति पाठक की आपसी प्रतिद्वंद्विता का जिक्र किया है और विधायक के भतीजे के खिलाफ एफआईआर में भी रीति पाठक के हस्तक्षेप संबंधी बात सुनील ने स्वीकारी है.

इस बीच, राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल और आलोचक भाजपा की शिवराज सरकार में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं कि पत्रकारों समेत लोगों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है.

इसलिए भाजपा से जुड़े सभी सवालों को लेकर जब पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल से संपर्क साधा तो उन्होंने कहा, ‘भाजपा का मामले से कोई लेना-देना नहीं है. यह पुलिस से जुड़ा मामला है, उसने जो खिलवाड़ किया है, उस पर सवाल हो रहे हैं और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है. इस प्रकार की घटना (तस्वीर संबंधी) भाजपा स्वीकार नहीं करती.’

बहरहाल, पीड़ितों ने राज्य मानवाधिकार आयोग का रुख किया है

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