AtalHind
दिल्लीराष्ट्रीय

मीडिया की ओर से की गई सरकार की आलोचना नहीं हो सकती राजद्रोह

मीडिया की ओर से की गई सरकार की आलोचना नहीं हो सकती राजद्रोह
notification icon
मीडिया की ओर से की गई सरकार की आलोचना नहीं हो सकती राजद्रोह मीडिया की ओर से की गई सरकार की आलोचना नहीं हो सकती राजद्रोहDELHI(ATAL HIND)सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 संबंधी मामलों को लेकर मीडिया द्वारा आलोचनात्मक खबरें दिखाए जाने का कड़ा संज्ञान लेने पर प्राधिकारियों पर कटाक्ष करते हुए सोमवार को सवाल किया कि क्या नदी में शव फेंके जाने की खबर दिखाने वाले समाचार चैनल के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है या नहीं? जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष संक्रमण के कारण मारे गए शवों का गरिमा के साथ अंतिम संस्कार किए जाने का मामला उठा. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमने नदी में शव फेंके जाने की एक तस्वीर देखी. मुझे नहीं पता कि यह दिखाने वाले समाचार चैनल के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है या नहीं.’ सुप्रीम कोर्ट ने वाईएसआर के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के ‘आपत्तिजनक’ भाषण दिखाने में कथित राजद्रोह के लिए दो तेलगू समाचार चैनलों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से पुलिस को रोक दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टीवी चैनलों की ओर से कार्यक्रमों का प्रसारण और प्रिंट मीडिया की ओर से विचारों के प्रकाशन में चाहे सरकार की कितनी भी आलोचना हो राजद्रोह नहीं हो सकता. वह मीडिया के खिलाफ लगाए जा रहे ऐसे आरोपों के संदर्भ में देशद्रोह को परिभाषित करने का भी प्रयास करेगी.जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह समय है कि हम राजद्रोह की सीमा को परिभाषित करें.’ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने उन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा, जिन पर राजद्रोह के कठोर दंडात्मक अपराध सहित विभिन्न अपराधों का आरोप है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट भी पीठ का हिस्साशीर्ष अदालत ने इससे पहले कोविड-19 संबंधी समस्याओं के लिए सोशल मीडिया के जरिए मदद मांगने वालों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी और वैश्विक महामारी से निपटने के तरीके को लेकर सरकार की आलोचना की थी. शीर्ष अदालत कोविड-19 मरीजों को आवश्यक दवाओं, टीकों और चिकित्सकीय ऑक्सीजन की आपूर्ति से संबंधित मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है. इस मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और न्यायमित्र मीनाक्षी अरोड़ा ने संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के शवों का गरिमा के साथ अंतिम संस्कार नहीं किए जाने का मामला उठाया. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट भी इस पीठ का हिस्सा है. ‘श्मशानघाट और कब्रिस्तान सरकार के विषय’विशेष पीठ की सहायता कर रहीं अरोड़ा ने कहा, ‘श्मशानघाट और कब्रिस्तान सरकार के विषय हैं, लेकिन हमने देखा है कि संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के शवों का गरिमा के साथ अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा. यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे पास बड़ी संख्या में श्मशानघाट हैं, जो बंद पड़े हैं.’ उन्होंने कहा कि संक्रमण फैलने के भय के अलावा एक समस्या यह है कि गरीब लोग शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें यह ‘महंगा’ लगता है. (समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)Share this story

Advertisement

Related posts

Joshimath: लोगों को चिंता लोगों में चिंता है सोच रहे हैं क्या होगा, कहां जाएंगे

editor

अल क़ायदा की भारतीय शहरों पर आत्मघाती हमले की धमकी,पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर

atalhind

पटौदी में  इंडियन नेशनल लोकदल को बड़ा झटका, आप के हुए सुखबीर तंवर

atalhind

Leave a Comment

URL